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टूटा अध्यक्ष बनने का सपना, तो अजित पवार ने बताया क्या होती है खामोशी की सियासत

महाराष्ट्र में रविवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में बतौर डिप्टी सीएम शामिल हो गए. करीब चार साल बाद एक बार फिर से अजित पवार उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठ गए हैं.

फिर से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने अजित पवार. फिर से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने अजित पवार.
रोहित कुमार ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:22 PM IST

23 नवंबर 2019 की सुबह जब अजित पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली थी, तब भी उनके चाचा शरद पवार को इसकी भनक नहीं लगी थी. अब एक बार फिर से ऐसा ही कुछ घटा है. अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 9 विधायकों के साथ बीजेपी-शिवसेना की मौजूदा सरकार में शामिल हो गए हैं. इनमें से कई शरद पवार के बेहद करीबी माने जाते हैं. करीब चार साल बाद एक बार फिर से अजित पवार उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठ गए हैं. लेकिन इन चार वर्षों में महाराष्ट्र की सियासत तेजी से बदली है.

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पहले भी चौंका चुके हैं अजित पवार

2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने साथ लड़ा था और महाराष्ट्र के वोटरों ने दोनों पार्टियों को बहुमत से अधिक 15 सीटें दी थीं. लेकिन नतीजों के बाद शिवसेना के 'उग्र हिंदुत्व' ने बीजेपी के 'हिंदुत्व' को आंखें दिखानी शुरू कर दीं. नतीजतन महाराष्ट्र की जनता एक स्पष्ट जनादेश देकर भी महीने भर से अधिक समय तक 'बे-सरकार' ही रही. फिर 24 नवंबर की अल-सुबह देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी चौंका दिया. 

इधर मुंबई की दरिया पर अभी सूरज अपनी किरणें फैला ही रहा था कि बीजेपी के साथ अजीत पावर के गठजोड़ ने महाराष्ट्र का सियासी पारा चरम पर पहुंचा दिया. लेकिन इस सरकार की उम्र सिर्फ तीन दिन की रही.

तीन दलों वाली सरकार

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फिर महाराष्ट्र में दूसरी बार सरकार बनी तो सबसे अधिक सीटों वाली बीजेपी फ्रेम से गायब थी. शिवसेना के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के अनोखे गठजोड़ से महाराष्ट्र सरकार की तस्वीर पूरी हुई. उद्धव ठाकरे सीएम और अजित पवार उनके डिप्टी बने. लेकिन सरकार की तस्वीर लंबे वक्त तक टिकी नहीं. शिवसेना टूट गई. एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ हो लिए और महाराष्ट्र के नए बॉस बन गए और पूर्व बॉस देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा. ऐसे में शिवसेना (उद्धव) के राज्यसभा सांसद संजय राउत चिल्लाते रह गए कि उनकी पार्टी की चोरी हो गई. 

शरद पवार से बगावत पड़ी भारी

इसके बाद महाराष्ट्र के राजभवन के सामने वाली दरिया में न जाने कितना पानी बह गया. दरिया की लहरें कभी तेज तो कभी धीमी. लेकिन राजभवन की दीवारों की तरफ बढ़ती जरूर रहीं. कुछ यही हाल महाराष्ट्र की सियासत का भी रहा. अजित पवार ने साल 2019 में जब बगावत की थी, तब शरद पवार ने अपनी रणनीतिक कुशलता के बूते पार्टी को एकजुट कर लिया था. लेकिन अब सियासी पंडितों का मानना है कि इस बगावत ने अजित पवार के कद को राष्ट्रवादी कांग्रेस में ढलान के शुरुआती स्थान पर ला खड़ा कर दिया था. क्योंकि किसी भी दल के नेता के बगावती रुख अख्तियार करने के बाद उसके साथ दो विशेषण- 'मास्टरमाइंड और गद्दार' नत्थी हो ही जाते हैं.

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टूटा उत्तराधिकारी बनने का सपना

हालांकि, अजित पवार के साथ परोक्ष रूप से इन दोनों में से कोई भी विशेषण नहीं जुड़े. लेकिन शरद पवार के हाल के फैसलों ने बहुत कुछ साफ-साफ बयां कर दिया. शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल पटेल को राष्ट्रवादी कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. शरद पवार के इस फैसले पर अजित पवार चुप्पी साधे रहे. ठीक वैसे ही जैसे 2019 में बीजेपी के साथ सरकार बनाने से पहले साधी थी. अजित पवार को शायद शरद पवार के फैसलों के संकेत समझ आ गए थे. उन्हें समझ आ गया था कि उनके लिए एनसीपी में अब कुछ बचा नहीं. लेकिन उन्होंने इधर-उधर कुछ कहने की बजाय चुप रहना ही बेहतर समझा.

खामोशी की सियासत

अब शिवसेना और बीजेपी के साथ हाथ मिलाकार अजित पवार ने ये साबित कर दिया है कि 'खामोशी की सियासत शायद कुछ ऐसी ही होती है.' अजित पवार का दावा है कि पार्टी के 40 विधायकों का समर्थन उनके पास है.

अजित पवार के इस कदम पर वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई कहते हैं, 'अजित पवार का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में एक दबदबा था और उन्हें उम्मीद थी कि वो ही शरद पवार के उत्तराधिकारी होंगे. लेकिन शरद पवार ने पार्टी की कमान अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सौंप दी. रशीद किदवई कहते हैं कि देश के कई राजनीतिक परिवारों में ऐसी टूट पहले भी देखने को मिली है. अजित पवार के बारे में रशीद किदवई कहते हैं कि वो हवा के साथ बहने वाले नेताओं में से हैं. 

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अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक और बात कही कि जब नागालैंड में एनसीपी के सात विधायक बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं, तो हम क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि हम वो सबकुछ करेंगे, जो महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए होगा. लेकिन क्या आज की घटना महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा के कार्यकाल का क्लाइमेक्स था...या फिर एक और एक थ्रिलर की पटकथा लिखी जा रही है, क्योंकि संजय राउत ने रविवार को कहा कि अभी चंद दिनों में महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिलेगा.

 

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