Advertisement

महंत नरेंद्र गिरि का आखिरी इंटरव्यू, बताया था- क्यों बीजेपी का समर्थन करते हैं साधु-संत

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का सोमवार को निधन हो गया. उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. अपने निधन से एक दिन पहले ही एक कार्यक्रम के लिए नरेंद्र गिरि ने रिकॉर्डिंग करवाई थी. इस दौरान उन्होंने बीजेपी का समर्थन करने को लेकर खुलकर बात की थी.

रविवार को महंत नरेंद्र गिरि के साथ आजतक ने रिकॉर्डिंग की थी. रविवार को महंत नरेंद्र गिरि के साथ आजतक ने रिकॉर्डिंग की थी.
राहुल कंवल
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:29 PM IST
  • महंत नरेंद्र गिरि का सोमवार को निधन
  • रविवार को हुई थी आखिरी रिकॉर्डिंग

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) का सोमवार को निधन हो गया. पुलिस ने बताया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली. उनके कमरे से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri) पर परेशान करने का आरोप लगाया है. 

अपने निधन से एक दिन पहले ही यानी रविवार को महंत नरेंद्र गिरि ने आजतक एक खास कार्यक्रम के सिलसिले में रिकॉर्डिंग की थी. इस रिकॉर्डिंग में उन्होंने कई बातों पर खुलकर बात की थी. क्या कुछ था आइए जानते हैं....

Advertisement

सवालः आपको वाकई में लगता है कि कुछ काम हुआ है बीते 4.5 साल में?

महंत नरेंद्र गिरिः देखिए, 4.5 साल काम नहीं, विकास हुआ है. अन्य सरकारों से तो ज्यादा काम हुआ है. आप सड़क देख लीजिए. गांव की सड़क देख लीजिए. हाइवे देख लीजिए. पहले बनारस लगता था 4 घंटा. आज लगता है डेढ़-दो घंटा. आप कानपुर चले जाइए. प्रयागराज से कौशाम्बी का जो मार्ग था. वहां मेरा खेत भी है. पहले जाने में 2 घंटा लगता था. आज 30 मिनट में पहुंच जाता हूं. तो ये सब विकास दिखता है. 

4.5 साल जोड़ा आपने. एक साल निकाल दीजिए कोरोनाकाल में. अब बचा साढ़े तीन साल. और साढ़े तीन साल में जो विकास भाजपा ने किया वो प्रशंसनीय है. हम संत-महात्मा भी यही चाहते हैं कि विकास के साथ-साथ धर्म को जोड़ना भी जरूरी होता है. जो हमारी सनातन परंपरा को लेकर चले. वो सरकार अच्छी भी होती है और धर्म के प्रति डरती भी है. और जिन्हें धर्म के प्रति डर ही नहीं है, वो क्या करेगा.

Advertisement

सवालः क्या साधु-संतों का राजनीतिक पार्टी के पक्ष में आना सही है?

महंत नरेंद्र गिरिः हम लोग जब घर-बार छोड़कर संत-महात्मा बनते हैं तो देश के लिए बनते हैं, अपने धर्म की रक्षा के लिए बनते हैं. जो पार्टी हमारे धर्म की रक्षा के लिए और देश की रक्षा के लिए कार्य करती है उसके साथ संत महात्मा होते हैं. राम मंदिर का समर्थन तो पहले किसी ने किया नहीं. अब कर रहे हैं क्योंकि उनकी मजबूरी है. वो जान गए हैं कि हिंदू एक हो रहा है तो उनकी मजबूरी है. वो जानते हैं कि मुसलमानों को छोड़कर अब थोड़ा हिंदू धर्म की तरफ भी आना पड़ेगा. लेकिन वो सफलता नहीं मिलेगी. जो शुरू से रहा वो असली है और जो अभी जुड़ा वो तो नकली माना जाएगा न. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement