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'सोशल मीडिया पर हो रही जजों की बदनामी', बोले CJI, आईटी नियमों को चुनौती वाली सभी याचिकाएं SC ट्रांसफर

केबल रूल्स 2021 में संशोधन और डिजिटल मीडिया आईटी रूल्स 2021 को विभिन्न याचिकाओं द्वारा विभिन्न कोर्ट में चुनौती दी गई है. अब हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं पर छह हफ्ते बाद एक साथ सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर सख्त टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर सख्त टिप्पणी की
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:17 PM IST
  • डिजिटल मीडिया के नियमन का कानून कहां है: सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर होंगी IT नियमों से जुड़ी सभी याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने बेलगाम वेब पोर्टल और यू-ट्यूब चैनलों पर चिंता जताई है. इसके साथ-साथ नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली जितनी भी याचिकाएं विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित हैं उनको सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है, अब इनपर एक साथ सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस तरह बिना नियमन के नहीं छोड़ा जा सकता.

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चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर हर चीज और विषय को सांप्रदायिक रंग क्यों दे दिया जाता है? उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि सोशल मीडिया पर जजों की छवि को धूमिल करने के प्रयास होते हैं.

बता दें कि केबल रूल्स 2021 में संशोधन और डिजिटल मीडिया आईटी रूल्स 2021 को विभिन्न याचिकाओं द्वारा विभिन्न कोर्ट में चुनौती दी गई है. इनमें से ही एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई कर रही थी. अब हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं पर छह हफ्ते बाद एक साथ सुनवाई होगी.

वेब पोर्टल पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं: चीफ जस्टिस

एन वी रमना ने कहा कि ऐसा लगता है कि वेब पोर्टल पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है. वो जो चाहे चलाते हैं. उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं है. वे हमें कभी जवाब नहीं देते. वो संस्थाओं के खिलाफ बहुत बुरा लिखते हैं. लोगों के लिए तो भूल जाओ, न्यायपालिका और जजों के लिए भी कुछ भी मनमाना लिखते-कहते हैं. आज कोई भी अपना टीवी चला सकता है. यू-ट्यूब पर देखा जाए तो एक मिनट में इतना कुछ दिखा दिया जाता है.

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अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या इससे निपटने के लिए कोई तंत्र है? आपके पास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अखबारों के लिए तो व्यवस्था है लेकिन वेब पोर्टल के लिए भी कुछ करना होगा. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर सोशल और डिजिटल मीडिया पर निगरानी के लिए आयोग बनाने के वादे का क्या हुआ?

वहीं याचिकाकर्ता NBSA ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इन नियमों को चुनौती दी है क्योंकि ये नियम मीडिया को स्वायत्तता और नागरिकों के अधिकारों के बीच संतुलन नहीं करते. इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे विशेषज्ञ इसी संतुलन को व्यवस्थित करने के लिए नियम मीडिया और नागरिकों को तीन स्तरीय सुविधा देते हैं.

इस पर CJI ने पूछा कि हम ये स्पष्टीकरण चाहते हैं कि प्रिंट प्रेस मीडिया के लिए नियमन और आयोग है, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया स्वनियमन करते हैं लेकिन बाकी के लिए क्या इंतजाम है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि टीवी चैनल्स के दो संगठन हैं. लेकिन ये आईटी नियम सभी पर एक साथ लागू हैं.

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