
अखिल भारतीय कैडर सेवा नियमों में प्रस्तावित बदलावों को लेकर राज्य सरकारें केंद्र के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराने लगी हैं. अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर दी है. सीएम सोरेन ने प्रस्तावित संशोधन की मंशा और उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संशोधन से राज्य कैडर के अखिल भारतीय सेवा अधिकारी को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर बुलाने का रास्ता साफ हो जाएगा. राज्य को केवल तीन कैडर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस की सेवाएं मिलती हैं, जबकि केंद्र में अधिकारियों का एक बड़ा पूल है.
उन्होंने कहा कि झारखंड जैसा राज्य पहले से ही अधिकारियों की भारी कमी से जूझ रहा है. राज्य में 215 आईएएस अफसरों के स्वीकृत पदों में से सिर्फ 65 फीसदी यानी 140 अधिकारी ही अपनी सेवाएं दे पा रहे हैं. बाकी या तो प्रतिनियुक्ति पर हैं या अलग-अलग कार्य पर राज्य के बाहर हैं. 149 आईपीएस के स्वीकृत पद के मुकाबले अभी 64 फीसदी 95 अधिकारी ही राज्य में सेवा दे रहे हैं. आईएफएस कैडर में स्थिति और भी खराब है. अधिकारी कई विभागों के प्रभार संभाल रहे हैं जिससे निश्चित रूप से बोझ बढ़ता है. अधिकारियों की कमी के कारण काम भी बाधित होता है या निर्णय में देरी होती है. राज्य की सहमति या एनओसी के बिना अधिकारी की अचानक प्रतिनियुक्ति से संकट और बढ़ जाएगा.
सोरेन ने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि इस तरह के संशोधन क्यों शुरू किए जा रहे हैं? इससे नौकरशाही को अपूरणीय क्षति होगी. यह संशोधन राज्य-केंद्र संबंधों के बीच टकराव बढ़ाएगा, जबकि पहले से ही बहुत अधिक तनावपूर्ण रिश्ते हैं. यह सहकारी संघवाद के उद्देश्य को विफल कर देगा.
I have written to @PMOIndia expressing strong reservations on the proposed All India Services cadre rule amendments by Govt of India. They promote ‘unilateralism’ rather than ‘cooperative federalism’. I hope he will consider my request and bury the proposal at this stage itself. pic.twitter.com/PXiz9MY52N
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) January 22, 2022हेमंत सोरेन ने संदेह जताया है कि केंद्र अखिल भारतीय कैडर के अफसरों पर सीधा नियंत्रण रखना चाहता है और उनका उपयोग राजनीतिक कारणों से भी करना चाहता है.
दरअसल, केंद्र सरकार आईएएस और आईपीएस अफसरों की प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य सरकारों की मंजूरी वाली जरूरत को खत्म करने की तैयारी में है. केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने 12 जनवरी एक पत्र के जरिए सभी राज्यों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) 1954 के नियम-6 में संशोधन के प्रस्ताव की जानकारी भेजी है. इसमें राज्यों से 25 जनवरी तक सुझाव मांगा गया है ताकि बदलाव में जरूरी संशोधन शामिल किए जाएं.
बता दें कि इस प्रस्ताव को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीएम मोदी को 8 दिन में दो बार पत्र लिख चुकी हैं. वहीं, कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी आपत्ति जता चुके हैं. इसके अलावा, महाराष्ट्र और केरल सरकार भी प्रधानमंत्री से इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रही है.