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अमर जवान ज्योति (India Gate Amar Jawan Jyoti Flame) को इंडिया गेट से वॉर मेमोरियल पर शिफ्ट किया जा रहा है, जिसपर सियासी तनातनी जारी है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसे दुखद बताया है. कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इसको लेकर सरकार को घेरा है. वहीं सरकार ने तर्क दिया है कि मशाल को बुझाने का झूठ फैलाया जा रहा है, जबकि उसे शिफ्ट किया जा रहा है. इस बीच कुछ पूर्व सैन्य अफसर भी सामने आए हैं जिन्होंने सरकार का समर्थन किया है.
बता दें कि अमर जवान ज्योति का निर्माण 1972 में इंडिया गेट के नीचे किया गया था. इसे 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों की याद में बनाया गया था.. भारत ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर अब इस अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट करने का फैसला किया गया है.
इंडिया गेट पर लगेगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के रूप में जलने वाली आग की लौ का गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलने वाली लौ में विलय किया जाएगा. वहीं इंडिया गेट पर आने वाले वक्त में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगेगी. चल रहे विवाद के बीच ही पीएम मोदी ने इसका ऐलान कर दिया है. जब तक ग्रेनाइट पत्थर की प्रतिमा तैयार नहीं होती, तबतक वहां नेताजी की होलोग्राम वाली प्रतिमा जगमगाएगी.
अमर जवान ज्योति विवाद पर क्या बोले पूर्व सैन्य अफसर
अमर जवान ज्योति विवाद पर 1971 के युद्ध में शामिल रहे पूर्व थल सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमर जवान ज्योति के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. केंद्र के हर फैसले को राजनीतिक रंग देने का ट्रेंड बन गया है.
वहीं भारतीय सेना के पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आज एक बड़ा दिन है. इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति के साथ मिला दिया जाएगा. यह अच्छा फैसला है. उन्होंने आगे कहा कि अमर जवान ज्योति को उठाकर नेशनल वार मेमोरियल में शिफ्ट किया जाए.
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उन्होंने कहा कि अमर जवान ज्योति जब नेशनल वॉर मेमोरियल में जाएगी तो देशवासियों को गर्व होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इंडिया गेट पर लोग पिकनिक मनाने भी आते हैं. लेकिन वॉर मेमोरियल इसके अनुकूल जगह है.
इस विवाद पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि इंडिया गेट अंग्रेजों का बनाया हुआ युद्ध स्मारक है, जिसके नीचे रखी अमर जवान ज्योति 1971 में शहीद जवानों की याद में रखी गई. वहीं राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सभी जवानों के लिए है जो 1947 से अबतक के युद्धों में देश के लिए लड़े.
राजनीतिक पार्टियों ने बनाया मुद्दा
अमर जवान ज्योति के मुद्दे पर राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार को घेरा था. उन्होंने लिखा कि बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा. कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं. हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे.
वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा ने इसके लिए केंद्र सरकार को घेरा. वह बोले कि मैं मानता हूं कि आपका योगदान हिंदुस्तान के गौरवशाली इतिहास में नहीं रहा है. इसका मतलब ये तो नहीं है की जो 50 वर्ष से लौ जल रही थी उसको आप भुझा दें. इस तरह के निर्णय लेने की सलाह कौन देता है आपको? समकालीन की बात मत करिए वो ताली बजा देंगे, लेकिन इतिहास ताली नहीं बजाएगा.
विवाद पर AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा, 'मोदी ने फिर से स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है. उनके संघर्ष की वजह से ही देश को स्वतंत्रता, समानता, धर्म की स्वतंत्रता, अस्पृश्यता से मुक्ति मिली थी. मोदी को लगता है कि वह संघर्ष समय की बर्बादी थी. यह शर्मनाक है.'
सरकार की तरफ से भी आई सफाई
अमर जवान ज्योति के पूरे विवाद पर कांग्रेस ने सफाई दी है कि मामले पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं. कहा गया है कि अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है. इसे नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मर्ज (विलय) किया जाएगा. यह भी कहा गया कि यह देखना अजीब होता था कि अमर जवान ज्योति की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनका कोई नाम वहां मौजूद नहीं है. इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल उन शहीदों के हैं जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी. ऐसे में यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक हैं.