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'...तो हम मंदिरों के नीचे बौद्ध स्थलों का दावा करेंगे', अजमेर दरगाह मामले पर बोले राजरत्न अंबेडकर

नवंबर में अजमेर की एक निचली अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर एक याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें दावा किया गया था कि दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.

अजमेर दरगाह पर नोटिस को लेकर अंबेडकर के पोते ने सवाल उठाए अजमेर दरगाह पर नोटिस को लेकर अंबेडकर के पोते ने सवाल उठाए
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:54 PM IST

डॉ भीमराव अंबेडकर के परपोते राजरत्न ने बुधवार को निचली अदालतों द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के उल्लंघन में याचिकाओं को स्वीकार करने और नोटिस जारी करने को संविधान का अपमान बताया. राजरत्न अंबेडकर, जो बौद्ध सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं, ने अजमेर में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "अगर यह (प्रवृत्ति) जारी रहती है, तो हम मंदिरों के नीचे बौद्ध विरासत स्थलों को उजागर करने के लिए याचिका दायर करेंगे." 

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दरअसल, नवंबर में अजमेर की एक निचली अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर एक याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें दावा किया गया था कि दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.

पीटीआई के मुताबिक राजरत्न अंबेडकर ने कहा, "हम किसी विवाद के लिए नहीं कहते, लेकिन इस तरह की पक्षपातपूर्ण याचिकाओं को चुनौती दिए बिना नहीं छोड़ा जा सकता. पूजा स्थल अधिनियम 1991 के बावजूद, पूजा स्थलों की जांच की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार करना और उस पर नोटिस जारी करना संविधान का अपमान है. न्यायपालिका के माध्यम से संविधान को हटाने का प्रयास किया जा रहा है." 

उन्होंने कहा, "अगर इस तरह की जांच की अनुमति दी जाती है, तो हम मंदिरों के नीचे बौद्ध विरासत स्थलों को लेकर याचिका दायर करेंगे." 

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राजरत्न अंबेडकर ने दावा किया कि पुरातत्व विशेषज्ञों ने कहा है कि गुजरात में सोमनाथ मंदिर के 12 फीट नीचे बौद्ध अवशेष हैं.अगर भारत सरकार आने वाले समय में अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है, तो हम जांच की मांग करते हुए याचिका दायर करेंगे. हमारे पास सबूत हैं, चाहे वह सोमनाथ मंदिर हो या तिरुपति में बालाजी मंदिर."

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए एसडीपीआई की राष्ट्रीय महासचिव यास्मीन फारूकी ने अजमेर कोर्ट में याचिका को संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती बताया. उन्होंने कहा, "यह याचिका डॉ. अंबेडकर के संविधान के लिए एक लिटमस टेस्ट है. इसके मुख्य संरक्षक के रूप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्याय सुनिश्चित करना चाहिए. ख्वाजा साहब के लाखों अनुयायी उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं." 

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