
तमिलनाडु की सियासत इन दिनों डीएमके द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुथमिज मुरुगन सम्मेलन की वजह से काफी सुर्खियों में है. डिंडिगुल जिले के पलानी शहर में हो रहे इस कार्यक्रम की चर्चा होना भी लाजमी है क्योंकि यह आयोजन डीएमके की ओर से किया गया जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं और जिनकी राजनीति का जोर ही अंधविश्वास के खिलाफ और धर्म की राजनीति के विरोध में रहा है.
लोकसभा चुनाव से पहले तो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन की 'सनातन धर्म' पर की गई टिप्पणी ने देशभर में चर्चा बटोरी थी. लेकिन अब जब डीएमके ही इस तरह के आयोजन कर रही है तो सवाल भी उठ रहे हैं. खास बात है कि ये सवाल अब डीएमके के सहयोगी दल ही उठा रहे हैं. अब सबसे पहले जानते हैं कि आखिर किसने क्या कहा...
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के कई सहयोगी दल जिसमें CPI(M) और VCK शामिल हैं वो डीएमके का विरोध कर रहे हैं. इन पार्टियों ने DMK के इस धार्मिक सम्मेलन आयोजित करने के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे सेकुलरिज्म के खिलाफ बताया है.
CPI(M) ने किया विरोध
CPI(M) पार्टी के राज्य अध्यक्ष K. Balakrishnan ने कहा कि सरकार को धार्मिक समारोहों का आयोजन नहीं करना चाहिए. क्योंकि यह सेकुलरिज्म के सिद्धांत के खिलाफ है और राज्य को इससे दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि BJP और RSS द्वारा ऐसा किया जाता है. लेकिन सरकारों को ऐसे कदम से दूर रहना चाहिए.
VCK ने भी जताई नाराजगी
विदुथलाई चिरुथिगल काचि (VCK) के महासचिव और सांसद D. Ravikumar ने भी राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि सरकार द्वारा धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन केवल सांप्रदायिकता को बढ़ावा देता है. इससे दूर रहना चाहिए.
विरोध के बावजूद हुआ आयोजन
खास बात ये रही कि सहयोगी दलों के विरोध के बावजूद डीएमके ने इसका आयोजन किया. जिसमें दुनिया भर से भक्तों ने हिस्सा लिया. उदयनिधि स्टालिन ने इस दौरान कहा कि कुछ लोग सरकार द्वारा धार्मिक सम्मेलन आयोजित करने पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन यह सम्मेलन अचानक नहीं आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा कि द्रविड़म का मतलब सभी के लिए सब कुछ है. द्रविड़म किसी के बीच भेदभाव नहीं करता. यह सबको एकजुट करता है.
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'यह आयोजन बीजेपी को काउंटर करने के लिए'?
जानकारों की मानें तो डीएमके ने इसे बड़ी प्लानिंग के साथ आयोजित किया है. DMK की इस रणनीति ने मुरुगन को BJP के राम के खिलाफ खड़ा करने और उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ दी गई टिप्पणी का डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,डीएमके के नेताओं का कहना है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए इस तरह के आयोजन करना जरूरी है. हाल के बरसों में भगवा पार्टी की गतिविधियां अधिक दिखाई देने लगी हैं भले ही उसका चुनावी असर उनके मनमाफिक न रहा हो.
राज्य में मुरुगन सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं. उन्हें द्रविड़ भगवान माना जाता है. उनकी लोकप्रियता इस बात से ही समझी जा सकती है कि वे ज्यादातर तमिल घरों में पूजनीय हैं और वहां की अधिकतर ऊंची जातियों को छोड़कर करीब उन सभी के घरों की दीवारों की शोभा बढ़ाते हैं. मुरुगन को एक युद्ध देवता के रूप में पूजा जाता है और एक भाले के साथ चित्रित किया जाता है. उनके पूजा स्थानों पर जाति भेदभाव के बिना तीर्थयात्रा की जाती है. भाजपा इन दिनों राज्य में तमिल हिन्दुओं को जुटाने की कोशिश कर रही है. उसके मुकाबले डीएमके ने द्रविड़ देवता, निचली जातियों की आस्था वाली काट निकाली है.
वैसे आयोजन का उद्देश्य तमिल देवता मुरुगन की महिमा को और बढ़ाना है. साथ ही, देश और दुनिया भर के भगवान मुरुगन के भक्तों को एकजुट करना और मुरुगन के मूल सिद्धांतों को फैलाना और समझाना है.