
मणिपुर में आरक्षण के मुद्दे को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा थमने का नहीं ले रही है. राज्य में तनाव के बीच राजधानी इंफाल में भीषण आग लग गई है. आग लगने का कारण अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन स्थानीय लोगों ने कुकी समुदाय को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है.
इंफाल में जो भीषण आग लगी है उसकी चपेट में कई घर आए हैं. जिस इलाके में यह आग लगी है वहां मैतेई समुदाय के ज्यादा लोग रहते हैं. बता दें कि जिस जगह आग की लपटें उठ रही हैं उससे कुछ किलोमीटर की दूरी पर सीएम आवास और मणिपुर के DGP का हेड क्वार्टर है.
आग लगने के बाद एक महिला का कहना है कि उसके पति लापता हैं. आग लगने के बाद लोगों ने कई सिलेंडर के फटने की आवाज भी सुनी है.
राज्य में अब तक 150 लोगों की मौत
बता दें कि मणिपुर में अब तक हुई हिंसा में 150 लोगों की मौत हो चुकी है. 3 से 5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई. 16 जुलाई के बाद मणिपुर हिंसा में किसी की जान जाने की खबर नहीं है.
वहीं मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है. मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के वायरल वीडियो मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में करीब तीन महीने पहले शुरू हुई हिंसा भड़कने के बाद यह महिलाओं के खिलाफ एकमात्र उदाहरण नहीं है.
मणिपुर में जिन महिलाओं को नग्न घुमाया गया और उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान सभी FIR, जांच के लिए उठाए गए कदम, पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए गए आदि मुद्दों पर जवाब मांगा है. इन जवाबों के साथ सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फिर इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी.
361 राहत कैंप में रह रहे 57 हजार शरणार्थी
सरकारी सूत्रों का दावा है कि केंद्र सरकार मणिपुर में शांति बहाली के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही. सरकार की पहल पर अब तक मैतेई और कुकी समुदाय के बीच 6 दौर की बातचीत हो चुकी है.
दोनों समुदायों के रिटायर सरकारी अफसरों को भी शांति बहाली के मिशन में लगाया गया है. 361 राहत कैंप इस वक्त ऑपरेशन में हैं, जिनमें दोनों समुदायों के 57 हजार शरणार्थी रखे गए हैं.