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हिंदी की किसी से स्पर्धा नहीं, वो सभी भारतीय भाषाओं की सखी: अमित शाह

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार ने भारतीय भाषा विभाग की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय भाषा का अधिकाधिक प्रचलन बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद वे हर राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ उनकी मातृभाषा में पत्र-व्यवहार करेंगे.

राज्यसभा को संबोधित करते अमित शाह राज्यसभा को संबोधित करते अमित शाह
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के तहत राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब दिया. अपने संबोधन के दौरान हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने कहा कि हिंदी किसी भी भाषा से प्रतिस्पर्धा नहीं करती, बल्कि वह सभी भारतीय भाषाओं की सखी है. उनका यह बयान भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित करता है.

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अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार ने भारतीय भाषा विभाग की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय भाषा का अधिकाधिक प्रचलन बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद वे हर राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ उनकी मातृभाषा में पत्र-व्यवहार करेंगे. 

उन्होंने दक्षिण भारतीय भाषाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता भी जताई और कहा कि तमिलनाडु सरकार पिछले दो वर्षों से इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई तमिल भाषा में कराने की अनुमति नहीं दे रही है. उन्होंने कहा, "इस मंच से कह रहा हूं तमिलनाडु सरकार से, दो साल से कह रहे हैं कि आपमें हिम्मत नहीं है इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई तमिल में कराने की. मगर एनडीए की सरकार आई तो हम तमिल में पढ़ाई कराएंगे." 

'ये भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए ऐसा कर रहे'

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गृह मंत्री ने कहा कि हजारों किलोमीटर दूर की भाषा आपको अच्छी लगती है. तमिल बच्चा गुजरात में भी काम कर सकता है, दिल्ली में भी काम कर सकता है. हम गांव-गांव जाकर एक्सपोज करेंगे कि ये भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. हिंदी सभी भाषाओं की सखी है. नरेंद्र मोदी सरकार हिंदी के साथ-साथ सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए किसी को शंका नहीं होनी चाहिए.

नक्सलवाद पर भी दिया बयान

इस दौरान अमित शाह ने नक्सलवाद और उग्रवाद पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि 2014 में जब नरेन्द्र मोदी सरकार चुनकर आई, तब कई सारे मुद्दे हमें मिले. इस देश की सुरक्षा, विकास और सार्वभौमत्व को तीन बड़ी समस्याओं के कारण चुनौतियां मिलती रहीं. तीन नासूर थे. पहला- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या, दूसरा- वामपंथी उग्रवाद- जो तिरुपति से पशुपतिनाथ का सपना देखते थे और तीसरा नासूर था उत्तर पूर्व का उग्रवाद. इन तीन समस्याओं के चलते इस देश के 92 हजार नागरिक चार दशक में मारे गए. इन तीन समस्याओं के उन्मूलन के लिए एक सुनियोजित प्रयास कभी नहीं हुआ था. ये नरेन्द्र मोदी ने चुनकर आने के बाद किया.

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