
असम के कामरूप में एक बार फिर धरती डोल गई है. यहां कामरूप में शाम चार बजकर 52 मिनट के आसपास भूकंप के हलके झटके महसूस किए गए. नेशलन सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 3.7 रही है. पिछले दो-तीन सालों में भूकंप आने का सिलसिला लगातार चल रहा है. एक के बाद एक अलग-अलग स्थानों पर मध्यम स्तर तक भूकंप रिकॉर्ड किए जा रहे हैं. इस भूकंप की वजह से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
बिहार, अंडमान, उत्तर प्रदेश में भी आए भूकंप
अभी पांच दिन पहले बिहार के अररिया में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई थी. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप के झटके अररिया में सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर महसूस किए गए थे. इससे पहले 10 अप्रैल को अंडमान और निकोबार में देर रात धरती हिली थी. जानकारी के मुताबिक, निकोबार द्वीप कैंपबेल बे से 220 किमी उत्तर में रात 2 बजकर 26 मिनट बजे भूकंप आया. NCS के मुताबिक, भूकंप की गहराई 32 किमी थी. उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 3 अप्रैल की सुबह 4 बजकर 33 सेकेंड पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई थी. इसका केंद्र जमीन के अंदर 10 किमी गहराई में बताया गया था.
दो महीने में आए भूकंप
क्यों आता है भूकंप?
धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं. रगड़ती हैं. एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है. इसे ही भूकंप कहते हैं. भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं. रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है.