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ये हैं प्राचीन भारत के सबसे खतरनाक अस्त्र, 'ब्रह्मास्त्र' अकेला नहीं, जानिए हथियार और उनके उपयोग

बॉलीवुड फिल्म Brahmastra का Boycott सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. हम फिल्म की बात नहीं कर रहे. हम बताएंगे आपको प्राचीन भारत के अस्त्रों, उनके विज्ञान के बारे में. क्या अंतर होता है इन अस्त्रों में? शस्त्र क्या होते हैं? कैसे छोड़े जाते थे ये हथियार? इन हथियारों का जिक्र अग्नि पुराण (Agni Purana) में किया गया है.

Ancient Indian Astra Ancient Indian Astra
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

बॉलीवुड की फिल्म ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) को लेकर विरोध हो रहा है. #BoycottBrahmastra के नाम से सोशल मीडिया पर विरोधी कैंपेन चला रहे हैं. इस खबर में इस घटना या इवेंट से कोई लेना-देना नहीं है. हम आपको प्राचीन भारत के अस्त्रों-शस्त्रों के बारे में बताएंगे. खासतौर पर दोनों के बीच का अंतर. विशेष तौर पर उन अस्त्रों के बारे में जिन्हें मिसाइल की तरह चलाया जाता था. प्राचीन भारत के वो अस्त्र जिनका जिक्र अग्नि पुराण (Agni Purana) में किया गया है. उनका अंतर समझाया गया है. उनके बारे में विस्तृत विज्ञान को भी बताया गया है. 

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हाथों से चलाने जाने वाले हथियारों को शस्त्र कहते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः अन्स्प्लैश)

प्राचीन हथियार (Ancient Weapons) दो तरह के होते थे. पहला शस्त्र (Shastra) यानी जो हाथ में पकड़कर चलाया जाए. जैसे- तलवार, गदा, भाला, फरसा, कुल्हाड़ी, हथौड़ा आदि. दूसरे होते हैं अस्त्र (Astra) यानी वो मिसाइल जैसे हथियार जिन्हें मंत्रों के उच्चारण से लॉन्च किया जाता था. 

मिसाइल जैसे हथियारों को पांच प्रमुख हिस्सों में बांटा गया था 

अग्नि पुराण में ऐसे अस्त्रों को पांच प्रमुख हिस्सों में बांटा गया है. पहला- यंत्रमुक्त (Yantramukta) यानी वो अस्त्र जो किसी यंत्र से मुक्त होते हों, मतलब किसी मशीन द्वारा लॉन्च किये जाने वाले अस्त्र. दूसरा- पाणिमुक्त (Panimukta) यानी वो अस्त्र जो हाथों से फेंके जाएं. तीसरा- मुक्त संधारिता (Mukta-Sandharita) यानी ऐसे हथियार जो फेंक कर वापस खींच लिए जाएं. चौथा- मुक्त (Mukta) वो जिन्हें फेंकना न पड़े और पांचवां - बहुयुद्ध (Bahuyuddha) यानी ऐसे हथियार जो क्लोज कॉम्बैट यानी नजदीकी लड़ाई के लिए काम आते थे. इन पांचों के कई उप-श्रेणियां (Sub-Categories) भी हैं. 

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वज्रास्त्र का उपयोग आमतौर पर इंद्र करते थे. (प्रतीकात्मक फोटोः ट्विटर/InfoVedic)

इनमें से चौथा अस्त्र मुक्त (Mukta) ही ऐसा है जिसमें न किसी यंत्र का उपयोग होता न ही हाथ का. ये प्राचीन भारत के सबसे ताकतवर हथियारों में से एक माने जाते थे. इन्हें मंत्रों के जरिए चलाया जाता था. इन पांच हथियारों में शामिल हैं- विष्णुचक्र (Vishnuchakra), वज्रास्त्र (Vajrastra), ब्रह्मास्त्र (Brahmastra), नारायणास्त्र (Narayanastra) और पाशुपतास्त्र (Pashupatastra). इनके अलावा कई और अस्र हैं, जो आपने टीवी पर रामायण और महाभारत के टीवी सीरियल्स में इन हथियारों का उपयोग देखा होगा. अब हम आपको इन हथियारों का थोड़ी-थोड़ी जानकारी देते हैं. 

नागास्त्र और नागपाशास्त्र लगभग एक जैसे ही थे बस असर अलग-अलग. (प्रतीकात्मक फोटो)

आग्नेयास्त्र (Agneyastra) यानी वो अस्त्र जो आग निकालता है. इसे किसी सामान्य तरीके से बुझाया नहीं जा सकता. वरुणास्त्र (Varuastra) यानी वो अस्त्र जो भारी मात्रा में पानी फेंकता हो. आमतौर पर इस हथियार का उपयोग आग्नेयास्त्र को रोकने के लिए किया जाता था. नागास्त्र (Nagastra) ऐसा अस्त्र था जो सांप फेंकता था, इसके चलने से मौत तय मानी जाती थी. नागपाशास्त्र (Nagapashastra) चलाकर दुश्मन के हथियारों को जहरीलें सांपों से बांध दिया जाता था. इसे किसी अन्य अस्त्र से खत्म नहीं किया जा सकता था. असल में यह उस समय का एक बायोलॉजिकल हथियार था, जो एक झटके में पूरी सेना को बेहोश करने या मार डालने के लिए उपयोग होता था. 

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नारायाणास्त्र को खतरनाक अस्त्रों में माना जाता है. (प्रतीकात्मक फोटोः सोशल मीडिया)

नारायणास्त्र (Narayanastra) सबसे ताकतवर अस्त्रों में से एक. किसी को भी कहीं भी खत्म करने की क्षमता. इसे कोई रोक नहीं सकता था. न ही खत्म किया जा सकता था. इसे रोकने का एक मात्र तरीका है कि इसके आगे पूरी तरह से हार मान लो. सरेंड कर दो. महाभारत के युद्ध में 16वें दिन अस्वत्थामा ने इसे चला दिया था. तब कृष्ण ने पांडवों को सारे हथियार डालकर सरेंडर करने को कह दिया था. 

भारतीय अस्त्रों के बारे में अग्नि पुराण में जिक्र किया गया है. (प्रतीकात्मक फोटो)

भार्गवास्त्र (Bhargavastra) यानी वो अस्त्र जिसे परशुराम ने कर्ण को दिया था. इसने एक ही झटके में पांडवों की एक अक्षुणी सेना को खत्म कर दिया था. यह इंद्रास्त्र से ज्यादा ताकतवर अस्त्र माना जाता है. यह पूरे ग्रह को नष्ट कर सकता है अगर इसे रोका न जाए. इसे चलाने वाला ही इसे रोक सकता है. 

ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) को सभी अस्त्रों का राजा माना जाता है. कहते हैं कि इसके चलने से भयानक तबाही मचती है. पूरा पर्यावरण खत्म हो जाता है. जीवन या उससे जुड़े कोई स्रोत नहीं बचते. पुरुष और महिलाएं नपुंसक हो जाते हैं. बारिश बंद हो जाती है. सूखा पड़ जाता है. वेदों में इन अस्त्र का उपयोग तब करने को कहा गया है, जब कोई चारा न बचे. पुराणों में जिक्र है कि जब यह अस्त्र चलता है तो 10 हजार सूरज की गर्मी के बराबर आग निकलती है. भयानक धुआं निकलता है. 

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ब्रह्मशिरास्त्र का उपयोग मेघनाद ने रामायण में वानरों की सेना को खत्म करने के लिए किया था. (प्रतीकात्मक फोटोः ट्विटर/infovedic)

पाशुपतास्त्र (Pashupatastra) सबसे खतरनाक अस्त्रों में से एक माना गया है. यह अपने टारगेट को पूरी तरह से नष्ट कर देता है. चाहे टारगेट कितना ही ताकतवर क्यों न हो. यह अस्त्र चलता है तो इसके साथ कई दानव, आत्माएं, प्रेत आदि भी चलने लगते हैं. हर बार जब यह अस्त्र मंत्रों द्वारा बुलाया जाता है, तब इसका सिर बदल जाता है. यानी इसका अगला हिस्सा. इसके बाद है ब्रह्मशिरास्त्र (Brahmshirastra) यानी वो अस्त्र जो ब्रह्मास्त्र से चार गुना ज्यादा ताकतवर है. ऐसा माना जाता है कि इसी अस्त्र से ब्रह्मास्त्र का जन्म हुआ है. 

कहते हैं ब्रह्मांडअस्त्र महाभारत में अर्जुन के पास था. (प्रतीकात्मक फोटोः ट्विटर/infovedic)

आखिर में आता है सबसे खतरनाक ब्रह्मांडास्त्र (Brahmandastra) यानी वो अस्त्र जो पूरे सौर मंडल या फिर ब्रह्मांड को खत्म कर दे. अग्नि पुराण (Agni Purana) में दवाओं, राजनीति, कृषि, योजना, मंदिरों, योग और मोक्ष आदि के बारे में भी बताया गया है. इसी में 249 से लेकर 252 अध्याय तक 32 प्रकार के मार्शल आर्ट यानी युद्धकलाओं और हथियारों के बनने और उनके मेंटेनेंस के बारे में भी बताया गया है. 

(नोटः ये प्राचीन अस्त्र-शस्त्र कैसे दिखते थे, इसकी पुष्टि हम नहीं कर सकते. सभी तस्वीरें काल्पनिक हैं.)

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