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समलैंगिक जोड़े साथ रह सकते हैं, माता-पिता इसमें 'हस्तक्षेप' न करें: आंध्र प्रदेश HC

कोर्ट ने मंगलवार को ललिता के माता-पिता को कपल के रिश्ते में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया, और कहा कि उनकी बेटी बालिग है तथा अपने निर्णय खुद ले सकती है. यह कपल पिछले एक वर्ष से विजयवाड़ा में 'साथ रह रहा है.'

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें साथी चुनने की स्वतंत्रता है. जस्टिस आर रघुनंदन राव और के महेश्वर राव की पीठ कविता (बदला हुआ नाम) द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस पिटीशन (Habeas Corpus Petition) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसकी साथी ललिता (बदला हुआ नाम) को उसके पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिया था और उसे नरसीपटनम में अपने घर पर रखा था.

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कोर्ट ने मंगलवार को ललिता के माता-पिता को कपल के रिश्ते में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया, और कहा कि उनकी बेटी बालिग है तथा अपने निर्णय खुद ले सकती है. यह कपल पिछले एक वर्ष से विजयवाड़ा में 'साथ रह रहा है.'

ललिता ने सितंबर में शिकायत दर्ज कराई थी
कविता द्वारा पहले की गई गुमशुदगी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने उसके पिता के घर से ललिता को ढूंढ निकाला तथा उसे बचा लिया. उसके बाद उसे 15 दिनों तक कल्याण गृह में रखा गया, हालांकि उसने पुलिस से अनुरोध किया कि वह बालिग है और अपने साथी के साथ रहना चाहती है. ललिता ने सितंबर में अपने पिता के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके माता-पिता उसे रिश्ते और अन्य मुद्दों पर परेशान कर रहे हैं.

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अवैध तरीके से हिरासत में रखने का आरोप
पुलिस के हस्तक्षेप के बाद, ललिता विजयवाड़ा वापस आ गई और काम पर जाने लगी. वह अक्सर अपने साथी से मिलने जाती थी. हालांकि, ललिता के पिता एक बार फिर उसके घर आए और बेटी को जबरन एक गाड़ी में ले गए. कविता ने अपनी हैबियस कॉर्पस पिटीशन में आरोप लगाया कि उन्होंने उसे 'अवैध रूप से' अपनी हिरासत में रखा.

पिता ने पुलिस में दर्ज कराई थी शिकायत
पिता ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई कि कविता और उसके परिवार के सदस्यों ने उनकी बेटी का अपहरण कर लिया है. कविता के वकील जदा श्रवण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति ने याचिकाकर्ता के माता-पिता के साझा घर में याचिकाकर्ता के साथ रहने के लिए अपनी स्पष्ट सहमति व्यक्त की है और वह कभी भी अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के पास वापस नहीं जाना चाहेगी.

कुमार ने अदालत को यह भी बताया कि ललिता ने अपने माता-पिता के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत को वापस लेने की इच्छा भी व्यक्त की है, अगर उसे याचिकाकर्ता के साथ रहने की अनुमति दी जाए. विजयवाड़ा पुलिस ने मंगलवार को अदालत के निर्देश के बाद ललिता को हाई कोर्ट में पेश किया.

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पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि ललिता के परिवार के सदस्यों के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वह शिकायत वापस लेने को तैयार है.

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