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आंध्र प्रदेश: चित्तूर में सांडों के खेल जल्लीकट्टू में 15 लोग हुए घायल

जल्लीकट्टू जनवरी के मध्य में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि बैल के कूबड़ पर कितने समय तक कंट्रोल किया गया है. प्रतियोगी को बैल के कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करनी होती है. बैल को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ना होता है.

भव्यता के साथ मनाए जाने वाले खेल में कई युवाओं ने हिस्सा लिया. (फाइल फोटो) भव्यता के साथ मनाए जाने वाले खेल में कई युवाओं ने हिस्सा लिया. (फाइल फोटो)
अपूर्वा जयचंद्रन
  • चित्तूर,
  • 15 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:51 AM IST

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में शनिवार को सांडों को काबू करने के चर्चित खेल जल्लीकट्टू में बड़ी घटना हो गई. यहां समारोह में हिस्सा लेने के दौरान कम से कम 15 लोग घायल हो गए. यह खेल मकर संक्रांति उत्सव के रूप में आयोजित किया गया था. जल्लीकट्टू खेल में कई उत्साही युवाओं ने हिस्सा लिया था, जिसे भव्यता के साथ मनाया गया.

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ये घटना चित्तूर जिले के अनूपल्ली इलाके की है. यहां संक्रांति उत्सव में जल्लीकट्टू समारोह में आयोजित किया गया था. इसमें हिस्सा लेने वाले 15 से ज्यादा लोग घायल हो गए. ये लोग इस प्रसिद्ध खेल को खेलने की कोशिश कर रहे थे. इन लोगों को चोटें आईं हैं.

क्या होता है जल्लीकट्टू खेल?

बता दें कि जल्लीकट्टू जनवरी के मध्य में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि बैल के कूबड़ पर कितने समय तक कंट्रोल किया गया है. प्रतियोगी को बैल के कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करनी होती है. बैल को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ना होता है. बैल को एक लंबी रस्सी से बांधा जाता है. जीतने के लिए एक समय-सीमा में बैल को काबू में करना होता है. कुल मिलाकर बैल को कंट्रोल में करना इस खेल का टारगेट होता है.

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यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है. तमिल शब्द 'मट्टू' का अर्थ है बैल, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित है, जो खेती की प्रक्रिया में एक प्रमुख भागीदार हैं.

खेल को लेकर अलग-अलग राय

हालांकि, इस खेल पर बहस जारी है जिसमें एक पक्ष पशु अधिकारों के उल्लंघन का दावा करता है और दूसरा लोगों की 'संस्कृति और परंपराओं' के संरक्षण की वकालत करता है. खिलाड़ियों और जानवरों दोनों को कई बार चोट लगने की घटनाएं सामने आने से इस खेल को अदालत ने कई बार प्रतिबंधित किया है. हालांकि, खेल को जारी रखने के लिए 2017 में एक नया अध्यादेश बनाया गया था.

 

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