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क्या BJP से नाराज हैं अपर्णा यादव? यूपी महिला आयोग में उपाध्यक्ष के पद पर अबतक नहीं किया ज्वाइन

अपर्णा यादव ने अबतक यूपी महिला आयोग में उपाध्यक्ष के पद पर ज्वाइन नहीं किया है. बताया जा रहा है कि योगी सरकार से मिली इस जिम्मेदारी से अपर्णा यादव खुश नहीं हैं इसीलिए उन्होंने अबतक ज्वाइन नहीं किया है.

क्या बीजेपी से नाराज हैं अपर्णा यादव? क्या बीजेपी से नाराज हैं अपर्णा यादव?
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 06 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

योगी सरकार ने मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया था. ऐसा कहा जा रहा है कि वो इस पद से खुश नहीं हैं. इसीलिए अबतक इस पद पर उन्होंने ज्वाइन नहीं किया है. महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान और आयोग के 25 सदस्यों ने आज ऑफिस ज्वाइन कर लिया है. जबकि उपाध्यक्ष चारू चौधरी पहले ही ज्वाइन कर चुकी हैं. 

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सूत्रों के मुताबिक, अपर्णा यादव राज्य महिला आयोग में उपाध्यक्ष का पद दिए जाने से नाराज हैं. हालांकि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर कोई बयान नहीं दिया है. बता दें कि अपर्णा यादव जनवरी 2022 में बीजेपी में शामिल हुई थीं और ढाई साल बाद उन्हें कोई जिम्मेदारी सौंपी गई है.  

3 सितंबर को जारी हुई थी अधिसूचना 

अपर्णा यादव को यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष बनाए जाने की अधिसूचना 3 सितंबर की शाम जारी हुई थी. तबसे लेकर अबतक अपर्णा की ओर से कोई भी फॉर्मेलिटी पूरी नहीं की गई. अधिसूचना के अनुसार, राज्यपाल आनंदबेन पटेल ने आगरा की बबीता चौहान को यूपी महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया है. अपर्णा यादव के साथ गोरखपुर की चारू चौधरी को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा आयोग में 25 सदस्य हैं.  

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2017 में सपा की टिकट पर लड़ा था चुनाव 

अपर्णा यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव और उनकी दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्‍नी हैं. अखिलेश यादव ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अपर्णा यादव को समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट से मैदान में उतारा था. हालांकि, बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.  

यूपी चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुई थीं 

अपर्णा 2022 में जब यूपी चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुईं थीं तो ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि पार्टी उन्हें चुनाव लड़वाएगी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. उसके बाद कई बार ऐसे मौके आए, कभी विधानपरिषद तो कभी राज्यसभा ऐसी अटकलें लगती रहीं कि बीजेपी उन्हें कुछ जिम्मेदारी तो देगी, लेकिन वह खाली हाथ ही रहीं. इस बीच उनकी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ लगातार मीटिंग जरूर होती रहीं. इस साल जब लोकसभा के चुनाव हुए तो लगा कि पार्टी उन्हें कन्नौज, मैनपुरी या अमेठी, रायबरेली से चुनाव लड़ाने की तैयारी करेगी, वो अटकलें भी समय के साथ खारिज हो गईं. बीजेपी संगठन में भी अपर्णा यादव को बीते ढाई साल से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है.

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