
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की ओर से देरी किए जाने के मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने टिप्पणी में कहा कि मैं जानता हूं कि सिस्टम कैसे काम करता था और अब भी वैसे ही काम कर रहा है. मैं आगे इस पर और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.
याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा की कॉलेजियम के द्वारा दोबारा भेजी गई नामों की सिफारिश पर भी सरकार का वही रुख रहा है. यहां केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगले तीन दिनों में केंद्र के पास लंबित 44 जजों के नामों को मंजूरी दे दी जाएगी.
दरअसल जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों के आधार पर नियुक्ति का निर्देश देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर केंद्र को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.
गौरतलब है कि न्यायिक रिक्तियां लंबे समय से बहस का विषय रही हैं. पूर्व CJI रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट के लिए 16 सिफारिशें कीं, जबकि उनके उत्तराधिकारी, CJI एसए बोबडे ने कोई भी सिफारिश नहीं की. जस्टिस बोबडे से पदभार ग्रहण करने वाले CJI एन वी रमना ने अपने कार्यकाल के दौरान 11 सिफारिशें कीं थी.
इधर, देश भर की जिला अदालतों की बात करें तो यहां अभी भी 5850 जजों के पद खाली हैं. यानी निचली अदालतों में जजों के कुल मंजूर 25,042 पदों में से 19,192 पदों पर ही जज सेवारत हैं. लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने आंकड़ों के जरिए एक जनवरी 2020 से लेकर 19 दिसंबर 2022 यानी लगभग तीन साल का ब्योरा देते हुए बताया कि इस अवधि में सुप्रीम कोर्ट में 12 जजों की नियुक्ति हुई. हालांकि इस दौरान कई जज रिटायर भी हुए. क्योंकि 12 जजों की नियुक्ति के बावजूद आज की तारीख में सुप्रीम कोर्ट में 34 की कुल मंजूर संख्या के मुकाबले 28 जज सेवारत हैं. यानी छह जज कम हैं.