
सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद भी अरावली रेंज में अवैध खनन माफिया की दादागिरी जारी है. बेलगाम माफिया के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि उन्होंने डीएसपी की हत्या कर दी. गुजरात से शुरू होकर हरियाणा राजस्थान पार करते हुए दिल्ली तक मौजूद अरावली पर्वत कभी पूरे विश्व का सबसे बड़ा फोल्डेड माउंटेन था, लेकिन अवैध माइनिंग की वजह से ना केवल छोटा होता गया, बल्कि अब कई पहाड़ियों के अवशेष ही बचे हैं.
हरियाणा के तावड़ू में डीएसपी की हत्या के बाद अरावली में अवैध खनन माफिया लाइमलाइट में आ गया है, लेकिन पर्यावरण के लिहाज से संवदेनशील माने जाने वाले अरावली पर्वत श्रृंखला में अवैध खनन (माइनिंग) नई बात नहीं है. अरावली में अवैध खनन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित सेंट्रल एंपावरमेंट कमेटी 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक '1968 के बाद से राजस्थान में अवैध खनन के कारण अरावली रेंज का 25 प्रतिशत हिस्सा गायब हो चुका है'.
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में खनन की गतिविधियों पर रोक लगा दी थी. खासकर वो खनन जो सरकार की अनुमति से हो रहा था, बावजूद इसके चोरी छिपे अवैध खनन माफिया सक्रिय रहा. तभी हरियाणा सरकार ने 'हरियाणा संशोशन विधेयक 2019' को पारित कर पेड़ों की कटाई और दूसरे खनन को मंजूरी दे दी. तब पर्यावरणविद इसके खिलाफ सुप्रीम चले गए, जिसे न्यायालय की अवमानना बताया गया.
सेव अरावली ट्रस्ट के संस्थापक जितेंदर भड़ाना का दावा है कि हरियाणा और राजस्थान के बीच 30 से ज्यादा अरावली पहाड़ की चोटियां गायब हैं. इसमें धारवाड़ चट्टान पाई जाती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस रायसीना हिल्स पर राष्ट्रपति भवन स्थित है, वो अरावली पर्वत का ही भाग हुआ करता था.
पर्ची के कोड से माफिया बन जाता है मालामाल
फरीदाबाद का पाली एशिया का सबसे बड़ा क्रशर जोन माना जाता है. क्रशर के धंधे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर पत्थर तावड़ू से ही आते हैं, जिसे पीसकर रोड़ी और डस्ट बनाया जाता है. धंधे से जुड़े एक शख्स ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि माफिया पत्थर से भरे एक ट्रक से करीब 75 से लाख रुपए कमा लेता है. माफिया पुलिस की नजरों से बचने के लिए पर्ची का इस्तेमाल करता है. ये एक तरह का कोड है, जिसे दिखाते ही अवैध खनन बेरोकटोक होता है. अरावली पर्वत को दिल्ली एनसीआर का फेफड़ा भी कहा जाता है, जो ना केवल दिल्ली के प्रदूषण को रोकता है, बल्कि यहां कई विलुप्त पक्षियों की प्रजातियां मौंजूद हैं.