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भविष्य के युद्धों में किस तरह की तकनीक होगी शामिल? आर्मी चीफ ने बताया

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स के महत्व पर बोलते हुए आर्मी चीफ नरवणे ने चुनौतियों पर सावधानी बरतने की बात कही. उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों में ऐसी टेक्नोलॉजी भी शामिल होगी, जिसे प्राप्त करना तो आसान है, लेकिन हराना काफी मुश्किल.

आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST
  • 'हाई-टेक सेनाओं को कम तकनीक वालों ने हराया'
  • 'टेक्नोलॉजी को शामिल करते हुए संतुलन बनाने की जरूरत'
  • आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने वेबिनार में रखी अपनी बात

इंडियन आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने गुरुवार को एक वेबिनार में कहा कि भारत की सीमाओं की खासियत और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखते हुए एक मिक्स एंड मैच ऑप्शन को अडॉप्ट करने की आवश्यकता है, जिसमें टेक्नोलॉजी ओरिएंटेड आर्मी के साथ-साथ जमीन पर भी अच्छी पकड़ वाली आर्मी शामिल हो. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने आगे की चुनौतियों पर सावधानी बरतने की बात कही.

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आर्मी चीफ ने कहा, ''जब हम एआई सहित टॉप टेक्नोलॉजी को लेकर बात करते हुए हैं, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य के युद्धों में ऐसी टेक्नोलॉजी भी शामिल होगी, जिसे प्राप्त करना तो आसान है, लेकिन हराना काफी मुश्किल.''

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, हाई-टेक सेनाओं को कम तकनीक वाले विरोधियों द्वारा लगातार विफल किया गया है. इस प्रकार, हमारी सूची और सिद्धांतों में टेक्नोलॉजी को शामिल करते हुए संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें: LAC पर चीन की बढ़ती हलचल पर बोले सेना प्रमुख जनरल नरवणे, 'इस बार वे हमें नहीं चौंका सकते'


'ड्रोन का तेजी से उपयोग किया जाएगा'

इंडियन आर्मी चीफ का यह बयान हाल ही में जम्मू एयरफोर्स के स्टेशन पर ड्रोन के जरिए हुए हमलों के बाद आया है. बीते दिनों दो हमले हुए थे, जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ था. इन हमलों के बाद भी कई ड्रोन्स मिल चुके हैं. 'इंडिया टुडे' के गौरव सावंत से बात करते हुए वेबिनार के दौरान आर्मी चीफ ने कहा कि ड्रोन का तेजी से उपयोग किया जाएगा. हमें आक्रामक और रक्षात्मक उपाय करने होंगे.

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उन्होंने लद्दाख में चीन के साथ सैन्य संघर्ष के संदर्भ में अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि पिछले एक साल के दौरान उत्तरी सीमाओं के साथ हुए घटनाक्रम इस बात की याद दिलाते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को लगातार तैयार रहने और परिस्थितियों के अनुकूल होने की जरूरत है. 

भारत की सीमाओं के संदर्भ में आधुनिक तकनीकों को शामिल करने की जरूरतों के बारे में विस्तार से बताते हुए आर्मी चीफ ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अधिक एकीकरण, और बेहतर कंप्यूटिंग शक्ति निस्संदेह ह्यूमन एफर्ट्स को बढ़ाएगी.

 

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