
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के दो भूमि क्षेत्र, दो रिहायशी इलाकों, दो नदियों और पांच पर्वतीय चोटियों के नए नामों की लिस्ट जारी की थी. चीन ने तिब्बती और पिनयिन समेत तीन भाषाओं में अरुणाचल प्रदेश के नए नामों की लिस्ट जारी की थी जिसे लेकर अब भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की इस लिस्ट को खारिज कर दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों के नाम बदलने की मीडिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने चीन के दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब चीन इस तरह की हरकत कर रहा हो. अरिंदम बागची ने कहा कि हम पहले भी इस तरह की रिपोर्ट देख चुके हैं.
उन्होंने कहा कि भारत इसे सिरे से खारिज करता है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा. उन्होंने कहा कि मनगढंत नाम रख लेने से वास्तविकता नहीं बदल जाएगी. वहीं, इसे लेकर विपक्षी कांग्रेस के महासचिव (कम्युनिकेशंस) और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी बयान जारी किया है.
जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है कि एक शीर्ष चीनी डिप्लोमैट ने हाल ही में दावा किया था कि भारत-चीन की सीमा पर हालात स्थिर हैं. लेकिन चीन के उकसावे और अतिक्रमण जारी हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नए चीनी नाम का तीसरा सेट जारी हुआ है. जयराम रमेश ने कहा कि चीन ने इससे पहले 2017 और 2021 में भी ऐसा किया था.
कांग्रेस का पीएम मोदी पर वार
उन्होंने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि पीएम मोदी ने जून 2020 में चीन को क्लीन चिट दी थी और चीनी मसले पर चुप्पी साधी हुई है. हम इसकी कीमत अदा कर रहे हैं. जयराम रमेश ने कहा कि तब से अब तक लगभग तीन साल बीत गए और इतने समय के बाद भी चीनी सेना ने हमारे गश्ती दल रणनीति रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मैदान तक जाने से रोकना जारी रखा है. उन्होंने कहा कि पहले हमारे गश्ती दल वहां तक बिना किसी बाधा के जाते रहे हैं.
अरुणाचल प्रदेश में स्टेटस बदलने की कोशिश- कांग्रेस
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि अब चीनी अरुणाचल प्रदेश में स्टेटस बदलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा. जयराम रमेश ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के लोग देशभक्त और भारत के गौरवशाली नागरिक हैं. उन्होंने साथ ही ये भी जोड़ा कि ये सुनिश्चित करने के लिए भारत और भारतीयों के सामूहिक संकल्प पर किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए कि इस वास्तविकता को किसी भी तरह से डिस्टर्ब नहीं किया जाना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नए नाम की लिस्ट जारी की. इससे पहले साल 2017 में अरुणाचल प्रदेश के छह स्थान के नामों की पहली लिस्ट जारी की थी. चीन की ओर से 15 स्थानों के नाम की दूसरी लिस्ट 2021 में आई थी. चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसे वैध कदम और भौगोलिक नाम मानकीकृत करने का संप्रभु अधिकार बताया था.
तब भी भारत ने इसे खारिज करते हुए साफ कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा. बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर दावा करता है. लद्दाख के 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग पर पहले से ही चीन का कब्जा है और पाकिस्तान ने भी पीओके की 5180 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे रखी है.