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क्यों एक बार फिर पीएम मोदी को सीधे निशाना बनाने लगे सीएम केजरीवाल? क्या है रणनीति

सीएम अरविंद केजरीवाल के भाषणों में बीेते कुछ महीनों से एक बदलाव नोटिस किया जा रहा है. वह एक बार फिर पीएम मोदी पर सीधे तौर पर निशाना साधने लगे हैं, जबकि 2019 में बीजेपी की जीत होने और पीएम मोदी 2.0 कार्यकाल शुरू होने के बाद उन्होंने इस तरह के हमले बंद कर दिए थे. सीएम केजरीवाल में हुए इस बदलाव की वजह क्या है?

सीएम अरविंद केजरीवाल, पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) सीएम अरविंद केजरीवाल, पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
विकास पोरवाल
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2023,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को रामलीला मैदान में महारैली की और केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ हुंकार भरी. इस रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने पीएम मोदी को 'चौथी पास राजा' बताते हुए कहानी भी सुनाई. 'चौथी पास' कहकर एक बार फिर उन्होंने पीएम मोदी की शिक्षा को लेकर निशाना साधा, जैसा कि वह पिछले कुछ महीनों से करते आ रहे हैं. 

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इससे पहले अरविंद केजरीवाल जब जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरने पर पहुंचे थे, तब भी उन्होंने पीएम मोदी का जिक्र करते हुए एक कहानी सुनाई थी और उन पर निशाना साधा था. आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों के लिए बीते दिनों थीम सॉन्ग लॉन्च किया था. गीत जिसके बोल थे 'केजरीवाल कचरा साफ करेगा', इसमें जहां आम आदमी पार्टी अपने दिल्ली और पंजाब मॉडल को बहुत अच्छा बता रही थी तो वहीं बिजली माफ-पानी हॉफ जैसी योजनाओं को भी प्रचारित कर रही थी.

इन सबके बीच जो एक बात खास तौर पर ध्यान खींच रही थी, वह थी गाने में पीएम मोदी, सीएम योगी और कमल निशान के झंडे का प्रयोग. थीम सॉन्ग में एक जगह जब ये वाक्य आता है कि 'भ्रष्टाचारी को हटाना है' तो स्क्रीन पर पीएम मोदी और सीएम योगी नजर आते हैं. यानी आम आदमी पार्टी ने अपने थीम सॉन्ग में सांकेतिक तौर पर ही सही, लेकिन बाकायदा फोटो लगा कर पीएम मोदी को भ्रष्टाचारी कहा था.

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क्या बदल गया है सीएम का रुख?
बीते कुछ महीनों से दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के राजनीति करने और इस दौरान टीका-टिप्पणी करने के तौर-तरीकों में बदलाव देखा जा रहा है. ये बदलाव खास तौर पर पीएम मोदी के प्रति उनके नए रुख में आया है, जिसमें वह सार्वजनिक मंचों से उनका नाम लेकर कठोर टिप्पणियां करते दिख रहे हैं. मार्च-अप्रैल में जोर-शोर से उठे डिग्री विवाद को ही उदाहरण के तौर पर देखें तो अरविंद केजरीवाल ने कई बार राजनीतिक मंचों और जनसभाओं में पीएम मोदी को सीधे तौर पर घेरा है.

पहले पीएम मोदी का नाम लेने से बचते थे सीएम केजरीवाल
सवाल है कि आखिर सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को नाम लेकर घेरना क्यों शुरू किया है? ये सवाल इसलिए, क्योंकि 2019 से 2022 के अंत तक के अरविंद केजरीवाल के रुख को देखें तो वह राजनीतिक सभाओं और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी पीएम का नाम लेने से बचते थे. यह बदलाव उन्होंने बीजेपी-2.0 कार्यकाल शुरू होने के ठीक बाद किया था. इस दौरान उन्होंने जो भी आरोप लगाए वह केंद्र सरकार पर लगाए. सीधे प्रधानमंत्री या पीएम मोदी शब्द का इस्तेमाल उन्होंने नहीं किया.

पिछले कुछ सालों में नहीं किया सीधा हमला
साल 2022 की फरवरी में अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि ' आठ जनवरी को पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा हुई. इसके बाद से अरविंद केजरीवाल अलग-अलग राज्यों में 38 भाषण दे चुके हैं, लेकिन उन्होंने इस दौरान 'मोदी' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. यही रिपोर्ट आगे इसकी भी तस्दीक करती है कि,बीते दो सालों में उन्हें सबसे कम बार सीधे तौर पर किसी आलोचना में 'पीएम मोदी' शब्द का इस्तेमाल करते देखा गया है. साल 2020 में भी कृषि कानूनों की खिलाफत करते हुए जब सीएम अरविंद केजरीवाल ने सिंधू बॉर्डर पर अपने भाषण दिए, या सोशल मीडिया पर कोई बात की, तो भी उन्होंने 'मोदी' शब्द का प्रयोग नहीं किया था.

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राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी ने इस रिपोर्ट में केजरीवाल के कदम को सूझ-बूझ भरा बताया था. वह कहती हैं कि 'केजरीवाल को लगा कि पीएम मोदी पर हमला फ़ायरबैक कर सकता है और मोदी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. लोग बीजेपी से नाख़ुश हो सकते हैं, लेकिन वे सोचते हैं कि पीएम मोदी अच्छा कर रहे हैं. ऐसे में सीएम अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी से सीधे भिड़ना नहीं चाहते.

परसेप्शन बनाने के लिए सही समय
तो क्या वजह है कि सीएम अरविंद केजरीवाल अब एक बार फिर अपने भाषणों में पीएम मोदी को निशाना बनाने लगे हैं. इसके लिए एक तर्क दिया जा रहा है कि ये साल 2023 है, और यह वह वक्त है, जबकि देश में होने वाले आम चुनावों के लिए ठीक एक साल और बाकी है. परसेप्शन बनाने के लिए यही सही समय है. दूसरा ये कि इस वक्त विपक्षी एकता का जो जोर चल रहा है, तो सीएम केजरीवाल खुद को उस खेमे से अलग नहीं दिखाना चाहते हैं जो बीजेपी के विरुद्ध है. भले ही उनका राज्यों में कांग्रेस से राजनीतिक बैर है, लेकिन बीजेपी हटाओ अभियान में अरविंद केजरीवाल भी उसी अंब्रेला के नीचे आना चाहते हैं, जिसकी चर्चा इधर जोरों-शोरों से है. ये एक वजह हो सकती है कि उन्होंने हर मामले में सीधे तौर पर पीएम को घेरना शुरू किया है.

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केजरीवाल से शराब घोटाले में हो चुकी है पूछताछ
वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह इसे अब के ताजा समीकरणों से जोड़ते हुए देखते हैं. वह कहते हैं कि ये सही है कि बीते लगभग तीन सालों में अरविंद केजरीवाल के भाषणों से पीएम मोदी का सीधा जिक्र नदारद रहा है, लेकिन हाल के दिनों में वह फिर से पीएम पर हमलावर हुए हैं. इसकी दो वजहें हो सकती हैं. पहली तो यह कि आम आदमी पार्टी के बड़े और शीर्ष नेतृत्व वाले नेता अलग-अलग मामलों में फंसे हैं और जेल में हैं. सत्येंद्र जैन पहले से जेल में थे और फिर शराब घोटाला मामले में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया को भी जेल जाना पड़ा. इस जांच की आंच सीएम केजरीवाल तक भी पहुंची और उन्हें पूछताछ के लिए जाना पड़ा.

अब इतना होने के बाद आम आदमी पार्टी और सीएम केजरीवाल के पास कुछ बचा ही नहीं है कि वह अपने भाषणों में पीएम मोदी पर शाब्दिक हमलों से दूरी बना कर चलें. ये उनके लिए जरूरी है और सीएम केजरीवाल हर मौके पर ऐसा कर भी रहे हैं. दूसरा कारण वह 2024 में होने वाले आम चुनावों से जोड़कर देखते हैं. अभी राहुल गांधी की सदस्यता जा चुकी है और इसे कांग्रेसी Modi v/s Rahul की तरह प्रचारित कर रहे हैं.

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इसलिए पीएम मोदी पर हमलावर हैं अरविंद केजरीवाल
चुनावी साल शुरू होने वाला है, जनता के बीच हर हाल में पहुंचने का वक्त अभी से शुरू हो चुका है और सीएम केजरीवाल ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है. वह मोदी vs कांग्रेस या राहुल के चलन के बीच मोदी v/s केजरीवाल भी लाना चाह रहे हैं. वह ये दिखाना चाहते हैं कि पीएम मोदी के खिलाफ राहुल गांधी ही नहीं अरविंद केजरीवाल भी हैं. वोटिंग के वक्त जब पीएम मोदी से अलग किसी विकल्प पर विचार हो तो वोटर्स को कांग्रेस के अलावा अरविंद केजरीवाल का भी नाम याद रहे. यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल एक बार फिर सीधे तौर पर पीएम मोदी पर हमलावर होने लगे हैं और अपने भाषणों में सीधे तौर पीएम नरेंद्र मोदी का नाम ले रहे हैं.
 

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