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सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बोले केजरीवाल: सारे सबूत और गवाह गढ़े हुए

सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने ईडी के जवाब पर अपना प्रतिउत्तर दाखिल किया. इस मामले में अब 29 अप्रैल को सुनवाई होगी. ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल ने जवाब दाखिल करते हुए जांच एजेंसी ED के आरोपों पर अपनी आपत्ति और जवाब दिए हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. (ANI Photo) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. (ANI Photo)
संजय शर्मा/अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने ईडी के जवाब पर अपना प्रतिउत्तर दाखिल किया. इस मामले में अब 29 अप्रैल को सुनवाई होगी. ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल ने जवाब दाखिल करते हुए जांच एजेंसी ED के आरोपों पर अपनी आपत्ति और जवाब दिए हैं.

उधर, केजरीवाल के कोर्ट में जवाब देने के बाद आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. पार्टी ने कहा कि,  ED के चारों गवाहों का संबंध भाजपा से है. लोकसभा चुनाव में मगुंटा श्रीनिवास रेड्डी भाजपा समर्थित प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं. पार्टी के अनुसार, भाजपा को तथाकथित शराब घोटाले में 60 करोड़ का चंदा देने वाले शरत रेड्डी भी सत्तारूढ़ दल के करीबी हैं. भाजपा की गोवा इकाई के एक सीनियर नेता एवं मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के करीबी सत्य विजय का बयान काफी कुछ कहता है, क्योंकि सत्य विजय गोवा सीएम के नजदीकी होने के साथ साथ सीएम के चुनावी कैंपेन मैनेजर भी रहे हैं.

ईडी ने अपने हलफनामे में लगाए बड़े आरोप

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अरविंद केजरीवाल ने उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब नीति मामले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को वैध ठहराया था. प्रवर्तन निदेशालय ने गत बुधवार को केजरीवाल की इस याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था. जांच एजेंसी ने अपने हलफनामे में, दावा किया था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सबूतों के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था. ईडी के मुताबिक दिल्ली की नई शराब नीति में अनियमितताएं सामने आने और मामले की जांच के दौरान लगभग 170 मोबाइल फोन नष्ट किए गए.'

हलफनामे में ईडी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख नौ बार तलब किए जाने के बावजूद पूछताछ से बच रहे थे. केंद्रीय जांच एजेंसी ने शीर्ष अदालत में अपने एफिडेविट के ​जरिए स्पष्ट किया कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तब हुई जब उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के समन को बार-बार नजरअंदाज किया और दिल्ली उच्च न्यायालय से सुरक्षा प्राप्त करने में विफल रहे. प्रवर्तन निदेशालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी, उसके कद और पद की परवाह किए बिना, पर्याप्त सबूतों पर आधारित है, साथ ही स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करती है. बता दें कि केजरीवाल की ओर से अपनी गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया गया है. दिल्ली के सीएम की ओर से आरोप लगाया गया है कि उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकने के लिए उनकी गिरफ्तारी हुई.

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सुप्रीम कोर्ट में झूठ उगल रही है ईडी: AAP

केजरीवाल की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था को नजरंदाज करके की गई है. केजरीवाल ने ईडी की तरफ से भेजे गए हर एक समन का विस्तार से जवाब दिया गया है. आप नेता संजय सिंह के मुताबिक ईडी सिर्फ जांच मे सहयोग न करने का हवाला देकर गिरफ्तार नहीं कर सकती. केजरीवाल के समर्थक नेताओं ने दलील दी है कि जो दस्तावेज अरविंद केजरीवाल के पक्ष मे आते हैं उनको जानबूझकर कोर्ट के सामने ईडी ने नहीं रखा.

इतना ही नहीं जिन बयानो और सबूतों के आधार पर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है वो 7 दिसंबर 2022 से लेकर 27 जुलाई 2023 तक के हैं. उसके बाद से केजरीवाल के खिलाफ ईडी के पास कोई भी सबूत नहीं हैं. ऐसे मे इन पुराने सबूतों के आधार पर 21 मार्च को गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी? एजेंसी का ये कदम समझ से परे है. 21 मार्च को गिरफ्तारी से पहले इन पुराने सबूतो पर सफाई को लेकर केजरीवाल का कोई बयान भी दर्ज नही किया गया . लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद की गई गिरफ्तारी ईडी की मंशा को साफ जाहिर करती है.

ईडी का एकमात्र मकसद ये था कि केजरीवाल के खिलाफ कुछ बयानों को हासिल किया जाए, जैसे ही बयान मिले उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. केजरीवाल के जवाब के हवाले से कहा जा रहा है कि ईडी ने जानबूझकर सह आरोपियों के उन बयानों को कोर्ट मे नहीं रखा है जिसमें केजरीवाल पर कोई आरोप नहीं लगाया गया था. इन नेताओं के मुताबिक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी अपने आप मे एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे केंद्र सरकार ईडी जैसी एजेंसियों का दुरूपयोग कर अपने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने मे लगी है.

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चुनाव प्रकिया के बीच हुई ये गिरफ्तारी जहां एक ओर आप पार्टी को नुकसान पहुंचाएगी, वही इसके चलते सत्तारूढ़ बीजेपी पार्टी को फायदा होगा. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ज़रूरी है कि सभी पार्टियों को बराबर मौक़ा मिले. चुनाव आचार संहिता लागू होने के 5 दिन बाद जिस तरह से एक सीटिंग CM और राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया.
 इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आप पार्टी को साऊथ ग्रुप  से धन या एडवांस में रिश्वत मिली. गोवा चुनाव प्रचार में उनका उपयोग करना तो दूर की बात है. आप पार्टी को एक भी रुपया नहीं मिला.ईडी द्वारा लगाए गए आरोप का कोई ठोस सबूत नहीं हैं. एक ईडी गवाह मगुंटा  श्रीनिवास रेड्डी जो अब तेलगु देशम पार्टी ज्वाईन कर चुका है जो अब एनडीए का हिस्सा है.

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