
शराब घोटाले से जुड़े मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने समन भेजा है. ईडी की अर्जी पर ये समन भेजा गया है. कोर्ट ने केजरीवाल को 16 मार्च को पेश होने को कहा है.
केजरीवाल पर बनाता है धारा 174 का मामला: कोर्ट
दिल्ली शराब घोटाला मामला में राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में कहा कि ED के समन का पालन न करने के कारण अरविंद केजरीवाल पर प्रथम दृष्ट्या आईपीसी की धारा 174 का मामला बनता है. ऐसे में कोर्ट के पास इस बात के पर्याप्त आधार हैं कि वो केजरीवाल को समन जारी करे. ED की एप्लीकेशन पर कोर्ट ने केजरीवाल को 16 मार्च को पेश होने का समन भेजा है.
8 समन भेज चुकी है ED
इससे पहले ईडी सीएम केजरीवाल को आठ समन भेज चुकी है. वह इन समन को गैरकानूनी बताते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि ये समन गैरकानूनी हैं लेकिन फिर भी वह ईडी के सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने ईडी से 12 मार्च के बाद की कोई तारीख मांगी थी. केजरीवाल ने कहा था कि वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सवालों के जवाब देंगे.
केजरीवाल को बार-बार समन भेजने पर AAP का रुख
वहीं, केजरीवाल को बार-बार ईडी की ओर से समन भेजने पर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाया था कि आखिरी ईडी किस आधार पर ये समन भेज रही है. जब ED खुद इस मामले को लेकर कोर्ट गई है तो इंतजार क्यों नही कर सकती. ED सिर्फ अरविंद केजरीवाल को डराना चाहती है.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि चंडीगढ़ में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से फैसला सुनाया है, उसी का बदला अरविंद केजरीवाल से लिया जा रहा है. अगर ये सिर्फ लीगल मामला होता तो ED कोर्ट के फैसले का इंतजार करती. आम आदमी पार्टी इससे डरने वाली नहीं है.
बता दें कि इससे पहले सीएम केजरीवाल को ईडी 8 समन जारी कर चुकी हैं, लेकिन केजरीवाल अभी तक किसी भी नोटिस के जवाब में जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए. ऐसे में इन समन को छोड़ना उनके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि लगातार समन को छोड़ना ईडी की धारा 19 के तहत असहयोग के लिए अभियोग की जमीन मजबूत कर रहा है.
क्या है मामला
22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. नई नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई, जिसके बाद शराब पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई. इस नीति को लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दिया.