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वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है. इसे हिंदू पक्ष के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है लेकिन मुस्लिम पक्ष इससे खफा है. वाराणसी कोर्ट के इस फैसले से AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी चिंतित हैं. उन्होंने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए गलत बताया है.
उन्होंने कहा कि आज जज साहब के रिटायरमेंट का आखिरी दिन था. ऐसे में उन्होंने पूरा केस ही डिसाइड कर दिया. अदालत ने जो फैसला लिया है, उससे पूरे मामले को तय कर लिया गया है. यह गलत फैसला है. 6 दिसंबर फिर हो सकता है.
ओवैसी ने कहा कि आप खुद कह रहे हैं कि साल 1993 के बाद से वहां कुछ नहीं हो रहा था. ऐसे में यह इजाजत कैसे दी जा सकती है. ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा की इजाजत देना पूरी तरह गलत है. फैसले के खिलाफ अपील के लिए 30 दिन का समय देना चाहिए था.
यह फैसला भेदभावकारी और आपत्तिजनक!
वहीं, मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार देने को अन्याय बताया है. संगठन का कहना है कि यहां पूजा की इजाजत देना अन्याय है. यह भेदभावकारी और आपत्तिजनक फैसला है.
जमात-ए-इस्लामी हिंद की केरल यूनिट के अमीर पी मुजीब रहमान ने कहा कि यह फैसला मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अन्याय है. इस तरह के फैसले संघ परिवार के सांप्रदायिक एजेंडे को बढ़ावा देने में मदद करने वाले हैं. जिला कोर्ट का यह फैसला देश के मौजूदा कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं. यह फैसला प्रोटेक्शन ऑफ वर्शिप प्लेसेज एक्ट 1991 के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि यह एक्ट संविधान पर आधारित है. यहां पूजा की मंजूरी देना इसका उल्लंघन है.
बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना में पूजा पाठ करने के अधिकार देने की मांग वाली शैलेंद्र कुमार पाठक की याचिका पर सुनवाई के बाद जिला जज ने आदेश सुरक्षित कर लिया था. जिसपर बुधवार को फैसला आया.
मालूम हो कि 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश से अपने नियंत्रण में ले लिया था. ASI सर्वे के दौरान तहखाने की साफ-सफाई हुई थी. अब जिला जज ने अपने आदेश में कहा है कि विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों से पूजा कराई जाए. बैरिकेडिंग हटाने की व्यवस्था की जाए. ये सब 7 दिन के अंदर किया जाए.
आदेश के मुताबिक, जो व्यास जी का तहखाना है, अब उसके कस्टोडियन वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट हो गए हैं. इसीलिए विश्वनाथ मंदिर के जो पुजारी हैं वह उस तहखाने की साफ-सफाई करवाएंगे. वहां जो बैरिकेडिंग लगी हुई है, उस बैरिकेडिंग को हटाएंगे और फिर तहखाने के अंदर नियमित रूप से पूजा होगी. बता दें कि छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी.