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असदुद्दीन ओवैसी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का किया विरोध, उच्च स्तरीय समिति को लिखा पत्र

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विरोध किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन पर उच्च स्तरीय समिति को एक पत्र लिखा है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन भारतीय लोकतंत्र और संघवाद के लिए एक आपदा होगा. 

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विरोध किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन पर उच्च स्तरीय समिति को एक पत्र लिखा है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन भारतीय लोकतंत्र और संघवाद के लिए एक आपदा होगा. 

पत्र में उन्होंने उच्च स्तरीय समिति के सचिव नितेन चंद्र को संबोधित करते हुए लिखा कि मैं संसद सदस्य और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष के रूप में एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए आपको लिख रहा हूं. मैंने संवैधानिक कानून पर आधारित प्रस्ताव पर अपनी ठोस आपत्तियां बता दी हैं. इन्हीं आपत्तियों से 27 जून, 2018 को भारत के विधि आयोग को भी अवगत कराया गया था, जब उसने इस मुद्दे पर सुझाव मांगे थे. मैंने इस मुद्दे पर 12 मार्च, 2021 को हिंदुस्तान टाइम्स के लिए लिखा मेरा एक लेख भी संलग्न किया है.'

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ओवेसी ने पत्र में कहा, 'न तो संसदीय स्थायी समिति, नीति आयोग या विधि आयोग ने यह प्रदर्शित किया है कि ऐसा कदम उठाने की आवश्यकता क्यों है.' उन्होंने कहा कि इसके बजाय चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि इसे कैसे लागू किया जा सकता है. एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, 'दुर्भाग्य से, एचएलसी के संदर्भ की शर्तों में भी वही दोष मौजूद है.' उन्होंने कहा कि फोकस 'स्थायी आधार पर एक साथ चुनाव कराने के लिए एक उचित कानूनी और प्रशासनिक ढांचे के निर्माण' पर है.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पता नहीं लगाया गया है कि क्या भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में इस तरह के मूलभूत परिवर्तन संवैधानिक रूप से स्वीकार्य हैं. ओवैसी ने आगे कहा कि चुनाव महज औपचारिकता नहीं है और मतदाता रबर स्टांप नहीं हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रशासनिक सुविधा या आर्थिक व्यवहार्यता जैसे 'कमजोर' विचारों के अधीन नहीं हो सकते. उन्होंने पत्र में पूछा, 'अगर संवैधानिक आवश्यकताएं वित्तीय या प्रशासनिक विचारों के अधीन होतीं, तो इसके बेतुके परिणाम होते.

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