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लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न का ऐलान तो ओवैसी ने कसा तंज, कही ये बात

अटल सरकार में डिप्टी पीएम रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान होने के बाद एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर तंज कसते हुए हमला बोला. अपने X हैंडल पर आडवाणी और भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि, 'लालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न के हक़दार हैं. हिंसा में जान गंवाने वाले भारतीयों की कब्रें सीढ़ियों के अलावा और कुछ नहीं हैं.'

एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो) एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के बाद, मंदिर आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा रहे लालकृष्ण आडवाणी भारत रत्न से सम्मानित होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसका ऐलान किया और बताया कि पूर्व उप प्रधानमंत्री को देश के सबसे बड़े सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. खुद 96 वर्षीय आडवाणी ने इस बारे में एक बयान जारी कर बताया कि वह पूरी विनम्रता और कृतज्ञता से यह सम्मान से स्वीकार करेंगे. इस सम्मान के ऐलान होने के बाद, जहां एक और पूर्व गृहमंत्री के लिए बधाइयों का तांता लगा हुआ है, तो इसी बीच एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर हमला बोला है. 

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ओवैसी ने बोला हमला
अटल सरकार में डिप्टी पीएम रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान होने के बाद एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर तंज कसते हुए हमला बोला. अपने X हैंडल पर आडवाणी और भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि, 'लालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न के हक़दार हैं. हिंसा में जान गंवाने वाले भारतीयों की कब्रें सीढ़ियों के अलावा और कुछ नहीं हैं.'

96 साल के हैं एलके आडवाणी
आडवाणी की उम्र 96 साल है. उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को अविभाजित भारत के सिंध प्रांत (लाहौर) में हुआ था. आडवाणी के पिता का नाम था कृष्णचंद डी आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी था. आडवाणी की स्कूली पढ़ाई पाकिस्तान के कराची में हुई. उन्होंने सिंध में कॉलेज में दाखिला लिया. जब देश का विभाजन हुआ तो उनका परिवार मुंबई आ गया. यहां उन्होंने कानून की शिक्षा ली. आडवाणी जब 14 साल के थे तभी संघ से जुड़ गए थे.

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"इदं न मम" मेरे आदर्श वाक्य' 
आडवाणी ने कहा, "जब से मैं 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुआ, तब से मैंने केवल एक ही कामना की है - जीवन में मुझे जो भी कार्य सौंपा गया है, उसमें अपने प्यारे देश को समर्पित और निस्वार्थ सेवा की. जिस चीज ने मेरे जीवन को प्रेरित किया है वह आदर्श वाक्य है "इदं न मम" ─ "यह जीवन मेरा नहीं है. मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए है."

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