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कारसेवा में लगी थी गोली, अब न्योता मिलने पर Ayodhya निकले Asansol के अभय बर्णवाल 

भगवा लहराते हुए जय श्री राम के नारों के साथ अयोध्या के लिए रवाना हुए श्रीराम आंदोलन में गोली खाने वाले कारसेवक अभय बर्णवाल. लोगों ने रास्ते में खाने के लिए सत्तू और ठेकुआ देकर विदा किया. उन्हें 33 साल पुराना वह दौर याद आ गया, जब दादी-नानी ने राम मंदिर आंदोलन में जाने के लिए ऐसे ही विदा किया था.

अभय बर्णवाल के पैर में लगी थी गोली. अभय बर्णवाल के पैर में लगी थी गोली.
अनिल गिरी
  • आसनसोल ,
  • 19 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:25 PM IST

आसनसोल के मोहिसीला के रहने वाले 54 साल के अभय बर्णवाल हाथ में भगवा झंडा लहराते हुए जय श्री राम के नारों के साथ अयोध्या के लिए निकल पड़े हैं. 33 साल पहले वह करीब 21 साल के थे. उस दौरान भी वह अयोध्या के लिए इसी जोश से कारसेवा करने निकले थे. मगर, इतने सालों में देश में कई स्थितियां बदल चुकी हैं.

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33 साल पहले जहां कारसेवकों पर गोलियां चली थीं, वहीं अब कारसेवकों को सम्मानित किया जा रहा है. उनके अयोध्या पहुंचने पर फूलों से स्वागत होगा. आज से 33 साल पहले विवादित स्थल पर श्रीराम मंदिर बनाने के लिए हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से कारसेवक हाथों में भगवा झंडा लेकर निकले थे. 

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आज वहां कानून के आदेश के बाद भव्य रामलला का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. 22 जनवरी को मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा है. ऐसे में 90 के दशक में अयोध्या पहुंचे जिन कारसेवकों पर गोलियां चली थीं, आज उन पर उसी स्थल पर फूल बरसाए जाएंगे. उनका स्वागत किया जाएगा. उनको श्री रामलला के मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा में सम्मानित किया जाएगा. 

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कारसेवकों और उनके परिजनों को दिया जा रहा है न्योता

हालांकि, इस बर्षों बाद मिली इस जीत और सफलता को देखने के लिए ऐसे बहुत सारे कारसेवक इस दुनिया में नही हैं. मगर, जो कारसेवक अभी जीवित हैं, उनको और जो मर चुके हैं उनके परिवार के एक-एक सदस्य को पूरे देश से ढूंढ़कर निमंत्रण दिया जा रहा है. 

इन्हीं में से एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रहने वाले अभय बर्णवाल भी हैं. उनकी पत्नी और आसनसोल के लोगों ने बहुत ही धूम-धाम से उनको गाजे-बाजे के साथ अयोध्या के लिए विदा किया. इस दौरान जय श्रीराम के नारे भी जोर-शोर से लगाए गए.

21 अक्टूबर 1990 को अयोध्या के लिए निकले 84 कारसेवक 

अभय ने कहा वह 21-22 साल की उम्र मे करीब 85 कार सेवकों के साथ अयोध्या श्री राम आंदोलन में शामिल होने के लिए 21 अक्टूबर 1990 को रवाना हुए थे. उस समय उन लोगों की कुछ इस तरह ही विदाई हुई थी. उनकी दादी ने उनको रास्ते में खाने के लिये सत्तू और ठेकुआ दिया था. आज न तो दादी हैं और न ही उनके साथ अयोध्या श्रीराम आंदोलन में जाने वाले उनके 84 कारसेवक साथी.

इसके बावजूद वह आसनसोल से अकेले अपने उन तमाम कारसेवक साथियों की यादें लेकर अयोध्या जा रहे हैं, जो इस इतिहासिक क्षण को देखने और सुनने के लिए इस दुनिया में नही हैं. उन्होंने कहा आज आसनसोल वासियों ने उनको रास्ते में खाने के लिए सत्तू और ठेकुआ देकर उनकी दादी-नानी की याद ताजा करा दी. साथ ही विदाई के समय जय श्रीराम का नारा लगाकर उनके अन्य कारसेवक साथियों की याद दिलाई, जो इस दुनिया में नही हैं. 

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36 घंटों तक छिपते-छिपाते पहुंचे, फिर पैर में लगी थी गोली  

अभय ने बताया कि साढ़े तीन सौ किलोमीटर पैदल चलकर 36 घंटों तक छिपते-छिपाते अयोध्या के विवादित स्थल तक पहुंचे थे. कोठारी बंधुओं के साथ विवादित गुंबद पर भगवा झंडा लहराया था, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. इस दौरान अभय के पैर में गोली लगी थी. 

भगवान राम ने भेजा है बुलावा, सफल हो गया जीवन  

श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलने से अभय काफी खुश हैं. वह इस निमंत्रण को भगवान श्री राम का बुलावा मानकर लोगों से कह रहे हैं कि उनको श्री राम ने बुलाया है. श्री राम ने उन्हें खुद निमंत्रण भेजा है. 500 साल बाद रामलला अयोध्या वापस आ रहे हैं. जिनके स्वागत में वह मौजूद रहकर खुद इस इतिहासिक पल का गवाह बनेंगे. अभय का कहना है कि उनका जन्म सफल हो गया. उनकी जीवन की सारी खुशियां उन्हें इस निमंत्रण से मिल गई.

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