
गुजरात की एक अदालत ने खुद को भगवान बताने वाले आसाराम को दुष्कर्म के एक मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. गांधीनगर की कोर्ट ने आसाराम पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसे पीड़िता को बतौर मुआवजा राशि के तौर पर दिया जाएगा. इस दौरान कोर्ट ने आसाराम को आदतन अपराधी भी बताया है.
आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म का ये मामला 2013 में दर्ज हुआ था. हालांकि, पीड़िता के साथ दुष्कर्म 2001 से 2006 के बीच हुआ था. पीड़िता की बहन ने ही आसाराम के बेटे नारायण साईं के खिलाफ भी दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था. इस मामले में नारायण साईं को अप्रैल 2019 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
बता दें कि 81 वर्षीय आसाराम साल 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के एक मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उनकी बेटी भारती और अपराध को बढ़ावा देने के आरोपी चार शिष्यों सहित मामले के छह अन्य आरोपियों को सोमवार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.
अभियोजन पक्ष द्वारा आजीवन कारावास की मांग के खिलाफ तर्क देते हुए बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से आसाराम को उसकी उम्र के आधार पर 10 साल के कारावास की मांग की. दोषी के वकील ने कहा कि वो पहले से ही उम्रकैद की सजा काट रहा है.
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति को देखते हुए आसाराम सहानुभूति के पात्र नहीं हैं. उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य के आधार पर बचाव को वैध नहीं माना जा सकता है. जस्टिस ने अपने आदेश में कहा, "समाज के धार्मिक लोगों के शोषण को रोकने के लिए इस तरह के जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जा सकता है और उन्हें कानून द्वारा निर्धारित पूरी सीमा तक दंडित किया जाना चाहिए."
'इस अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता'
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आसाराम ने अपनी बेटी से भी कम उम्र की पीड़िता का यौन शोषण किया और ऐसा अपराध किया जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. अदालत ने कहा, "यह न केवल समाज की बल्कि अदालत की भी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वह एक उदाहरण पेश करे और इस तरह के व्यवहार को रोके. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की हम सभी की साझा जिम्मेदारी है."
महिलाओं को लेकर कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने यह भी कहा कि हमारे समाज में एक धार्मिक नेता को एक ऐसा व्यक्ति माना जाता है जो ईश्वर के प्रति प्रेम पैदा करता है और हमें भक्ति, धर्म और 'सत्संग' (प्रवचन) के माध्यम से ईश्वर तक ले जाता है. कोर्ट ने कहा, "शास्त्रों में भी कहा गया है कि जहां महिलाओं को सम्मान दिया जाता है वहां देवता निवास करते हैं. यदि हम महिलाओं को सम्मान देते हैं तो हम निश्चित रूप से पुरुषों के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल सकते हैं."
हाई कोर्ट में देंगे फैसले को चुनौती: आसाराम के वकील
आदेश में कहा गया कि अदालत का दृढ़ विश्वास है कि दोषी ने समाज के खिलाफ एक बहुत ही गंभीर अपराध किया है और इस तरह के जघन्य अपराध में सहानुभूति की कोई जगह नहीं हो सकती है. इसे कानून द्वारा निर्धारित पूर्ण सीमा तक दंडित किया जाना चाहिए. वहीं आसाराम के वकील ने कहा कि सेशंस कोर्ट के इस आदेश को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. जब कोर्ट ने मंगलवार को कथित सुनाईसंत को सजा तो उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गांधीनगर कोर्ट में पेश किया गया.