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किडनी की दवा नीरी केएफटी से होगा जलोदर का उपचार! अध्ययन में मिली असरदार

जलोदर के मरीजों की छोटी करनी पड़ती थी लेकिन अब कर्नाटक के मैसूर स्थित एक मेडिकल कॉलेज के शोधार्थियों ने दावा किया है कि किडनी की बीमारियों की दवा नीरी केएफटी इस रोग के उपचार में भी असरकारक है.

आयुर्वेदिक दवा से हो सकता है जलोदर का उपचार (प्रतीकात्मक तस्वीर) आयुर्वेदिक दवा से हो सकता है जलोदर का उपचार (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 7:42 AM IST
  • मैसूर के मेडिकल शोधार्थियों ने किया ये अध्ययन
  • पेट में पानी भर जाने पर करनी पड़ती है छोटी सर्जरी

किडनी से संबंधित बीमारियों के उपचार में उपयोग की जाने वाली दवा नीरी केएफटी से जलोदर (एसाइटिस) का भी उपचार संभव हो सकता है. नीरी केएफटी एक अध्ययन में जलोदर के मरीजों पर भी असरदार पाई गई है. कर्नाटक के मैसूर स्थित जेएसएस आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के शोधार्थियों ने एक अध्ययन के बाद ये दावा किया है. यह अध्ययन जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित हुआ है.

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डॉक्टर्स के मुताबिक अध्ययन के दौरान जब जलोदर के मरीजों के उपचार में नीरी केएफटी को शामिल किया गया तो काफी तेजी से इसके सकारात्मक परिणाम नजर आए. मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर कोमला ए, प्रोफेसर सिद्धेश अराध्यमठ और शोधकर्ता मल्लीनाथ आईटी ने मिलकर भर्ती मरीजों का आयुर्वेद के फॉर्मूले से इलाज किया.

शोधार्थियों का कहना है कि अभी तक आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में हमें जानकारी थी लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर इसकी पुष्टि होना जरूरी था. इसीलिए ये अध्ययन किया गया. डॉक्टर्स के अनुसार आमतौर पर इस स्थिति में एक छोटी सर्जरी के जरिये पेट से पानी निकाला जाता है. पेट में पंक्चर करने के बाद यह पानी बाहर आ पाता है लेकिन अब यह बगैर किसी सर्जरी के भी संभव हुआ है.

एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर संचित शर्मा ने कहा कि नीरी केएफटी गुर्दों की कार्य क्षमता को बेहतर कर शरीर में एकत्रित अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में सक्षम है. उन्होंने दावा किया कि अलग-अलग मेडिकल अध्ययनों में ये वैज्ञानिक तौर पर साबित भी हुआ है. डॉक्टर संचित के मुताबिक इसका सही मात्रा में उपयोग मरीजों के लिए अत्यंत प्रभावी हो सकता है.

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दरअसल, नीरी केएफटी में पुनर्नवा, वरुण, सिगरु, सारिवा, कासनी, मकोय, शिरीष जैसी औषधियां शामिल हैं. किडनी रोग में ये औषधियां काफी असरदार हैं. साथ ही इसके इस्तेमाल से डायलिसिस चक्र भी कम किए जा सकते हैं. शोध के निष्कर्ष में दावा किया गया है कि अब आयुर्वेदिक उपचार के जरिये भी जलोदर रोगियों को लाभ मिल सकता है. पेट में सुई चुभोकर तरल पदार्थ बाहर निकालने जैसे उपचार की जरूरत नहीं है.

हर दिन दी गई खुराक

अध्ययन में कहा गया है कि जलोदर के उपचार में एमिल फार्मास्युटिकल की दवा नीरी केएफटी को भी शामिल किया गया. एक महीने तक इसकी 20 मिली की खुराक सुबह और शाम को दी गई. इसके काफी सकारात्मक परिणाम नजर आए. इस दवा ने न सिर्फ रोगियों के गुर्दे को क्षतिग्रस्त होने से बचाया, बल्कि पेट में जमा तरल पदार्थ को बाहर निकालने में भी मदद की.

क्या होता है जलोदर

जलोदर में पेट की झिल्लीदार परतों के बीच तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं. इस बीमारी के मुख्य लक्षण पैर के निचले हिस्से में सूजन आना, भूख कम लगना, पेट फूलना, थकावट और सांस लेने में तकलीफ होना, वजन बढ़ना आदि शामिल हैं. लंबी अवधि में ये बीमारी यकृत, गुर्दे के साथ ही साथ दिल को भी प्रभावित कर सकती है.

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बीमारी के कारण भी कई

डॉक्टर्स के मुताबिक जलोदर कई कारणों से हो सकता है. इसके प्रमुख कारणों में लीवर सिरोसिस, कार्डियक फेलियर, किडनी संबंधी विकार, शरीर के किसी अंग में कैंसर, फंगल संक्रमण का होना शामिल है. इनके अलावा डॉक्टर हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण, लंबे समय तक शराब का सेवन, फैटी लीवर की समस्या, एपेंडिक्स, लीवर की नसों में खून जमने को भी प्रमुख कारण मानते हैं.

 

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