
केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के एक डिलीट किए गए ट्वीट ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. इस ट्वीट में उन्होंने एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक का भारत में स्वागत किया था, लेकिन बाद में इसे डिलीट कर दिया गया. विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या सरकार पहले ही स्टारलिंक को अप्रूवल देने का मन बना चुकी है? साथ ही सवाल उठाया कि आईटी मंत्री ने अपना ट्वीट क्यों हटाया?
अश्विनी वैष्णव ने ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर पोस्ट किया था कि 'Starlink, welcome to India! यह दूरदराज के क्षेत्रों में रेलवे परियोजनाओं के लिए उपयोगी होगा. हालांकि कुछ समय बाद इस ट्वीट को डिलीट दिया गया है, लेकिन इसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
अश्विनी वैष्णव की ओर से ट्वीट को डिलीट करने के बाद कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने इसका स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए सरकार पर कई आरोप लगाए. कांग्रेस की नेता शमा मोहम्मद ने कहा कि आईटी मंत्री ने अपना ट्वीट क्यों डिलीट किया? बीजेपी ने यूपीए पर झूठे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन अब बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम बांट रही है. वे एलन मस्क और ट्रंप को खुश करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं और भारत में एकाधिकार (मोनोपॉली) बना रहे हैं.
वहीं, टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने पूछा कि "क्या बीजेपी को एलन मस्क से अप्रूवल के बदले पैसे मिले हैं?" उन्होंने लिखा कि "भारत के आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया कि "स्टारलिंक, भारत में आपका स्वागत है" और फिर उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया. एलन मस्क के स्टारलिंक को अभी तक सरकारी मंजूरी नहीं मिली है. इसे कोई सैटेलाइट स्पेक्ट्रम भी आवंटित नहीं किया गया है, लेकिन अश्विनी वैष्णव के ट्वीट से साफ पता चलता है कि पीएम मोदी ट्रंप और एलन मस्क के लिए हरसंभव प्रयास करने जा रहे हैं. "सरकारी मंजूरी" की गारंटी साफ है. उन्होंने पूछा कि एलन मस्क से बीजेपी को कितना मिल रहा है?
उधर, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी ने सवाल किया कि क्या पीएम मोदी अमेरिका और एलन मस्क को खुश करने के लिए गुपचुप तरीके से तैयारी कर रहे हैं, जबकि हम लोग महंगे इंटरनेट के लिए भुगतान करने में व्यस्त हैं, पीएम मोदी और मस्क शायद स्पेसएक्स रॉकेट पर चाय की चुस्की लेते हुए भारत को दुनिया का पहला "वाई-फाई राष्ट्र" बनाने की योजना बना रहे होंगे. "डिजिटल इंडिया" को भूल जाइए, ये "स्टारलिंक्ड इंडिया" है".
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस विवाद को लेकर कहा कि जियो और एयरटेल द्वारा महज 12 घंटों के भीतर स्टारलिंक के साथ साझेदारी की घोषणा यह दिखाती है कि सब कुछ पहले से तय था, उन्होंने यह भी पूछा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसले कौन करेगा, स्टारलिंक या उसके भारतीय साझेदार? अन्य सैटेलाइट इंटरनेट कंपनियों को भी मंजूरी मिलेगी या नहीं?
स्टारलिंक की मंजूरी अभी लंबित
बता दें कि एयरटेल और JIO ने स्टारलिंक के साथ करार किया है, लेकिन सरकारी मंजूरी मिलना अभी बाकी है. एयरटेल और JIO दोनों ने अपनी प्रेस रिलीज़ में स्पष्ट किया है कि स्टारलिंक की सेवाएं तभी शुरू हो पाएंगी जब स्पेसएक्स को भारत में अपने नेटवर्क की बिक्री की अनुमति मिलेगी. 2022 में भारतीय सरकार ने बिना लाइसेंस के स्टारलिंक सेवाएं बेचने पर रोक लगा दी थी और कंपनी को प्री-बुकिंग रिफंड करने के लिए मजबूर किया था. वहीं, 2024 में कंपनी ने फिर से भारत में आवेदन किया, और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि अगर स्टारलिंक भारत के सुरक्षा और नियामक नियमों का पालन करता है, तो उसे मंजूरी दी जा सकती है.