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बाल विवाह करने वालों को रेप जैसी कड़ी सज़ा बनेगी नज़ीर?: दिन भर, 15 फरवरी

बाल विवाह के ख़िलाफ़ असम सरकार की सख़्त मुहिम के पीछे क्या पॉलिटिक्स है और इस समस्या से निपटने के लिए क्या गिरफ़्तारी ही अकेला रास्ता है? लद्दाख में ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट कितना अहम है और सेना से लेकर आम लोगों को इससे क्या फ़ायदा होगा? ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की चीन यात्रा के मायने और समुद्र का लेवल बढ़ जाने से भारत के किन शहरों पर ख़तरा, सुनिए आज के 'दिन भर' में कुलदीप मिश्र से.

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कुमार केशव / Kumar Keshav
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  • 15 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST

असम की सरकार ने पिछले दिनों 'बाल विवाह' के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया. राज्य में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के ऐलान के बाद पुलिस ने राज्यव्यापी कार्रवाई करनी शुरू की और पिछले 15 दिनों में क़रीब 4 हज़ार से ज़्यादा मुक़दमे दर्ज़ हुए. बात मुक़दमों तक ही सीमित नहीं है. क़रीब 3 हज़ार लोग अरेस्ट हो चुके हैं और इसके ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट भी हो रहे हैं. 

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बाल विवाह पर सख़्ती: ज़रूरत या सियासत?

कल इस मामले पर गुवाहाटी हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई भी हुई. जिसमें कोर्ट ने सरकार की इस कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की और POCSO ऐक्ट जोड़े जाने पर सवाल भी उठाये. तो असम में जो कार्रवाई हो रही है, क्या अरेस्ट ही एकमात्र रास्ता है और इसके पीछे की पॉलिटिक्स क्या है, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.


चीन-ईरान की दोस्ती पर USA की तिरछी नज़र!

आज से करीब दो साल पहले ईरान की राजधानी तेहरान में चीनी और ईरानी विदेश मंत्री के बीच एक एग्रीमेंट साइन हुआ...  25-year co-operation accord. मकसद था कि दोनों देश एक दूसरे के सहयोग से अपनी-अपनी गाड़ी खींच सकें. तब ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी थे जिनके रिश्ते चीन से मज़बूत बताए गए, मगर अगस्त में ईरान को नया राष्ट्रपति मिला... इब्राहिम रईसी. कहा गया कि रूहानी की जगह भरने में रईसी को वक्त लगेगा लेकिन ये प्रिडिक्शन शायद ग़लत साबित हुई और इसकी गवाही है रईसी का तीन दिवसीय चीन दौरा. दोनों देश अभी अमेरिका के लगाए सैंक्शंस की ज़द में हैं साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों देश रूस के साथ हैं. दोनों देश इस समय अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन हैं. ईरान पर अमेरिका न्यूक्लियर डील का दवाब भी बना रहा है लेकिन ईरान सहमत नहीं है. इन सब के बाद अब रईसी का चीन दौरा अमेरिका को खटक सकता है क्योंकि दौरे के लिस्ट में न्यूक्लियर डील जैसी कई चीज़े शामिल हैं. 

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आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि ईरान ने करंट फाइनेंशियल ईयर में चीन को 12.6 बिलियन डॉलर का माल एक्सपोर्ट किया है वहां से 12.7 बिलियन डॉलर का माल इंपोर्ट किया है. मतलब मामला बराबरी का है. अगले 25 साल तक चीन करीब 400 अरब डॉलर ईरान में  निवेश करने वाला है. हालांकि अरब देशों पर दोनों देशों का रुख जुदा दिखाई पड़ता है. पिछले साल जब चीन ने Gulf Cooperation Council ज्वाइन किया तो ईरान ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुई तेहरान में चीन के एंबेसडर को समन कर दिया था. तो वर्ल्ड पॉलिटिक्स के लिहाज़ से रईसी का चीन दौरा कितना अहम है और अमेरिका के लिए क्या ये मुलाकात परेशानी खड़ी करेगी, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.
 

लद्दाख में ऑल वेदर रोड की अहमियत

सरकार बॉर्डर इलाक़ों में इंफ़्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के पर लगातार फ़ोकस कर रही है. आज भी मोदी कैबिनेट ने देश की सिक्योरिटी को लेकर कई अहम फैसले किए. कैबिनेट ने भारत-चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी के लिए 9,400 कर्मियों की एक ऑपरेशनल बटालियन के साथ सात नई बटालियन बनाए जाने को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा कैबिनेट मीटिंग में सिंकुलना टनल के निर्माण को भी क्लीयरेंस दे दी गई. इसके अलावा केंद्र सरकार ने सीमावर्ती इलाक़ों के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को भी आज मंज़ूरी दे दी. इस प्रोग्राम के लिए तीन साल में 4800 करोड़ रुपये का वित्तीय आवंटन किया गया है. तो लद्दाख के लिए ऑल वेदर रोड की कितनी अहमियत है और ये वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम क्या है जिसको लेकर कैबिनेट ने आज फैसला किया है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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ख़तरे में मुंबई?  

UN की कई एजेंसियों में से एक है World Meteorological Organization. जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है ये एजेंसी मौसम से जुड़ी ख़बरों पर नज़र रखती है. इसकी अभी एक रिपोर्ट आई जिसमें भारत,चीन, बांग्लादेश और नीदरलैंड में सी लेवल में बढ़ोतरी की बात कही गई. जिसके बाद अब समुद्री किनारों पर बसे शहरों, बस्तियों पर ख़तरा मंडरा रहा है. सी लेवल बढ़ने से तूफान और बाढ़ की इंटेंसिटी और ख़तरनाक हो सकती है, साथ ही यह उपजाऊ ज़मीन पर भी बुरा असर पड़ सकता है.  

जब जलवायु परिवर्तन के कारण कोस्टल इम्पैक्ट्स की बात आती है तो भारत एक प्रमुख केंद्र बन जाता है. आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि सी लेवल बढ़ने से भारत में मछली उत्पादन में भी गिरावट आई है जो कि अच्छा संकेत नहीं है. तो इस रिपोर्ट की बड़ी बातें क्या हैं और कौन कौन से ऐसी जगहें हैं जो रेड ज़ोन में हैं, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में. 

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