
असम में बाल विवाह के खिलाफ मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मुहिम छेड़ी हुई है. जबसे उन्होंने प्रोहिबिशन ऑफ़ चाइल्ड मैरिज एक्ट के साथ POCSO एक्ट के तहत भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. तबसे 4000 से भी ज्यादा बाल विवाह के केस दर्ज किए गए. तो वहीं 2 हज़ार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. कुछ समाजसेवी संगठनों ने इस कदम को सराहा है. हालांकि दूसरी तरफ एक तबका ऐसा भी है जो इस फैसले को संदेहास्पद दृष्टि से देख रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार से ही इन गिरफ्तारियों के विरोध में महिलाएं राज्य भर में प्रदर्शन कर रही हैं. उनका कहना है कि उनके घरवालों ने कोई अपराध नहीं किया. गिरफ्तार हुए इन लोगों में धार्मिक पुजारी भी शामिल हैं जिनकी संख्या 50 से ज्यादा हैं जो बाल विवाहों को धर्म के आधार पर जायज ठहरा रहे थे. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को ये तक भी कह दिया है कि ये अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा. क्यों इतने बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां हुई और बाल विवाह कितनी बड़ी समस्या है असम में? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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केसीआर के नाम से मशहूर कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव उन नेताओं की उस जमात में शामिल हो चुके हैं जो 2024 के लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आमने-सामने भिड़ने को बेताब हैं. ताजा गतिविधियों से तो यही लगता है कि केसीआर भी विपक्ष के नेतृत्व का सपना वैसे ही संजोये हुए हैं जैसे बाकी क्षेत्रीय नेता. कुछ ही दिन पहले मुख्यमंत्री केसीआर ने तेलंगाना के खम्मम में एक रैली की थी. कांग्रेस को किनारे रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा सीपीआई के डी राजा पहुंचे थे. चर्चा तो खैर एक लंबे अरसे से चल रही है कि केसीआर देश भर में बीजेपी का राष्ट्रीय विकल्प बनने की कोशिश में हैं. और अपने इस अभियान की शुरुआत उन्होंने कल तेलंगाना के बाहर अपनी पहली रैली से की. महाराष्ट्र के नांदेड़ में उनकी ये रैली थी. यहाँ उन्होंने कई नेताओं की आधिकारिक रूप से बीआरएस में जोइनिंग कराई. किसानों के मुद्दे से लेकर केसीआर इस दौरान शिवाजी तक गए जिन्हें महाराष्ट्र की राजनीति का एक बहुत बड़ा सिम्बल माना जाता है. अपने इस पैन इंडिया मूवमेंट में वो सफल कितने होंगे ये पता लगने में अभी देर है. लेकिन फिलहाल तेलांगना से बाहर अपनी पहली रैली महाराष्ट्र में क्यों और लोकसभा चुनावों के लिए विकल्प बनने की उनकी ये चाह कितनी गम्भीर दिखती है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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करीब नौ साल तक देश पर राज करने वाले जनरल मुशर्रफ का रविवार को दुबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. आतंकवादी हमलों से लेकर अदालत की ओर से फांसी के आदेश तक कई बार मौत को चकमा देने वाले मुशर्रफ की जान एमीलॉयडोसिस नामक एक बीमारी से हुई, जिसके कारण उनके सारे अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. भारत के कट्टर विरोध और करगिल युद्ध के रचनाकार से लेकर अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दाहिना हाथ बनकर अंतररष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक बनने तक मुशर्रफ ने जियोपॉलिटक्स में कई अहम भूमिकाएं निभाईं. आजतक में हमारे सहयोगी और सीनियर जर्नलिस्ट गौरव सावंत ने पाकिस्तानी पत्रकार राना अली से विस्तार से परवेज मुशर्रफ पर बातचीत की. 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.