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असम में बाल विवाह और पॉक्सो एक्ट के तहत होने वाली गिरफ्तारियों का कन्विक्शन रेट पांच फीसदी के आसपास ही है. इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दी है.
उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध कानून और पॉक्सो एक्ट के तहत 8 हजार 773 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई, जिनमें से महज 494 को ही दोषी साबित किया गया. ये आंकड़े जनवरी 2017 से फरवरी 2023 के बीच के हैं.
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ये जानकारी विधानसभा में कांग्रेस विधायक अब्दुर राशिद मंडल के सवाल के जवाब में दी है. उन्होंने बताया कि 494 लोगों को सजा हुई, जबकि 6 हजार 174 को जमानत पर छोड़ दिया गया. इस हिसाब से बाल विवाह और पॉक्सो के मामलों में कन्विक्शन रेट महज 5.63 फीसदी ही रहा.
उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध कानून के तहत 4 हजार 49 और पॉक्सो एक्ट के तहत 8 हजार 908 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. सरमा ने ये भी जानकारी दी कि 2017 से फरवरी 2023 के बीच 134 लड़के और 2,975 लड़कियों की शादी तय उम्र से पहले ही हो गई.
बता दें कि कानूनन लड़कों की शादी की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल तय है. अगर इस तय उम्र से पहले शादी होती है तो उसे बाल विवाह माना जाता है. भारत में बाल विवाह करना और करवाना अपराध है.
बाल विवाह के खिलाफ चला था ऑपरेशन
हाल ही में असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था. इसमें धड़ाधड़ गिरफ्तारियां हुई थीं. अब जब सरकार ने आंकड़े पेश किए तो कांग्रेस विधायक मंडल ने हिमंता सरकार पर इन दो कानूनों के जरिए लोगों को 'आतंकित' करने का आरोप लगाया.
इस पर असम सरकार में मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, 'ये कैसे लोगों को डराना हो गया. आपने (कांग्रेस सरकार) कोई नियम नहीं बनाए. वोट बैंक की पॉलिटिक्स के चक्कर में आपने कोई पहल नहीं की.'
वहीं, निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई के सवाल पर सीएम हिमंता ने बताया कि अप्रैल 2021 से फरवरी 2021 के बीच बाल विवाह के 4 हजार 111 मामले सामने आए हैं.
उन्होंने बताया कि इस दौरान कुल मिलाकर 4 हजार 670 केस दर्ज किए गए, जिनमें 7 हजार 142 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इनमें से 3 हजार 483 को गिरफ्तार किया गया, जबकि 1 हजार 182 अभी जेल में हैं, 2 हजार 253 जमानत पर हैं और बाकी 48 लोगों को नोटिस जारी किया गया है.
उन्होंने ये भी बताया कि बाल विवाह से पैदा हुए बच्चों की जिम्मेदारी के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है, लेकिन अगर किसी बच्चे को सुरक्षा और देखभाल की जरूरत है तो कदम उठाए जाएंगे.
राज्यपाल पर अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि बाल विवाह के आरोपियों पर पॉक्सो और रेप के मामलों ने समाज में अशांति पैदा कर दी है. कई बुजुर्ग लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है.
AIUDF के विधायक अमीनुल इस्लाम ने आरोप लगाया कि सरकार ने साजिश रची और उन लोगों पर पॉक्सो और रेप के आरोप लगाए, जिनकी शादी को 7-8 साल हो गए थे.
कांग्रेस विधायक भरत चंद्र नराह ने सरकार के दावे पर सवाल पर उठाते हुए कहा कि बाल विवाह असम में मातृ मृत्यु दर के कारणों में से एक है, लेकिन एकमात्र कारण नहीं है.
सीपीएम के विधायक मनोरंजन तालुकदार ने कहा, सरकार कह रही है कि बाल विवाह निषेध कानून लागू नहीं किया गया था. अगर ऐसा था तो इसका जिम्मेदार कौन है? असम में 6 साल से बीजेपी सत्ता में है. उन्होंने कहा कि राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कोई जागरूकता पैदा नहीं की गई है. असम सरकार को केरल मॉडल से सीखना चाहिए, जहां बाल विवाह का शायद ही कोई मामला हो.