Advertisement

अपराधियों से डील करने में असम सरकार क्या यूपी के रास्ते पर? असम मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट मांगी

असम में हिमंता बिस्वा सरकार की बात की जाए तो इसके कार्यकाल में पिछले 40-45 दिनों में राज्य में पुलिस शूटिंग/एनकाउंटर्स की कई घटनाएं हो चुकी हैं. मई से अब तक कम से कम 12 संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों की पुलिस कार्रवाई में मौत हुई है. कई घायल भी हुए हैं.

असम में अपराधियों के खात्मे के लिए किए जा रहे एनकाउंटर्स (फाइल) असम में अपराधियों के खात्मे के लिए किए जा रहे एनकाउंटर्स (फाइल)
हेमंत कुमार नाथ
  • गुवाहाटी,
  • 13 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST
  • हिमंता के मुख्यमंत्री बनने के बाद ताबड़तोड़ एनकाउंटर
  • मई से अब तक 12 उग्रवादियों या अपराधियों की मौत
  • योगी आदित्यनाथ को फॉलो न करें CM सरमा- विपक्ष

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के पास गृह मंत्रालय का भी जिम्मा है. राज्य में अपराधियों से डील करने के मामले में क्या वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रास्ते पर चल रहे हैं? असम में अपराधों की संख्या घटाने के दिशा में कई कदम उठाए गए हैं.

योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 में यूपी की कमान संभाल ली थी तो पहले 10 महीने में ही 1100 से अधिक पुलिस शूटिंग और एनकाउंटर्स की घटनाएं हुई थीं. इनमें कम से कम 34 कुख्यात अपराधी मारे गए थे और 265 से अधिक घायल हुए थे.

Advertisement

वहीं अगर असम में हिमंता बिस्वा सरकार की बात की जाए तो इसके कार्यकाल में पिछले 40-45 दिनों में राज्य में पुलिस शूटिंग/एनकाउंटर्स की कई घटनाएं हो चुकी हैं. मई से अब तक कम से कम 12 संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों की पुलिस कार्रवाई में मौत हुई है. कई घायल भी हुए हैं. इस अवधि में 1300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 

एनकाउंटर पर सियासत गर्म
हिरासत में लिए गए लोगों में से कई पर रेप, अपहरण, अवैध ड्रग्स कारोबार जैसे संगीन आरोप हैं. कई के खिलाफ पशुओं की तस्करी के आरोप में केस दर्ज हैं. कुछ ने हिरासत से भागने की कोशिश की तो पुलिस के एक्शन में घायल हो गए. 

असम में पुलिस शूटिंग/एनकाउंटर्स की हालिया घटनाओं पर सियासत भी गर्म हो गई है. विपक्ष इन पर सवाल उठाते हुए राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है.   

Advertisement

इसे भी क्लिक करें --- असम: बरसों तक सरकार ने नहीं सुनी, ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर नदी पर खड़ा किया बांस का पुल

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फॉलो कर रहे हैं और कार्यपालिका और न्यायिक तंत्र को मिलाने की कोशिश कर रहे हैं.  

रफीकुल इस्लाम ने कहा, 'आप (हिमंता बिस्वा सरमा) अब दो बच्चों की नीति, गाय संरक्षण और पुलिस एनकाउंटर स्टाइल को फॉलो कर रहे हैं, वही जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनाया था. आपको असम के चौतरफा विकास और अपराधों के खिलाफ लड़ाई के लिए राज्य के सभी विधायकों से बात करनी चाहिए. हम आपको समर्थन देने के लिए तैयार हैं. मैं असम के मुख्यमंत्री से आग्रह करना चाहता हूं कि वो योगी जी को फॉलो न करें. अगर आप योगी को फॉलो करेंगे तो आपकी नैया भी डूब जाएगी जैसा कि योगी जी के साथ हो रहा है.'

'एनकाउंटर में मारना मानवाधिकारों का उल्लंघन'

रफीकुल इस्लाम ने आगे कहा, 'हमने पिछले कुछ दिनों में राज्य में बहुत से पुलिस एनकाउंटर्स होते देखे हैं. अगर पुलिस जमीन पर आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ न्यायिक शक्ति का इस्तेमाल करती है तो ये गलत है. हम अपराध और अपराधियों के खिलाफ हैं. अपराधियों को न्यायिक तंत्र की ओर से ही सजा दी जानी चाहिए. लेकिन किसी व्यक्ति को दोषी साबित होने से पहले एनकाउंटर में मारना मानवाधिकारों का उल्लंघन है.'

Advertisement

दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक रकीबुल हुसैन ने कहा है कि अगर कोई फर्जी एनकाउंटर हुआ है तो भारतीय कानून निश्चित तौर पर इसे देखेगा. हुसैन ने कहा, 'एनकाउंटर्स हो रहे हैं. अगर ये अवैध तरीके से हो रहे हैं और मुख्यमंत्री ने जो कहा है उसे फॉलो किया जा रहा है तो इनके खिलाफ भारतीय कानून के मुताबिक एक्शन लिया जाएगा, आज नहीं तो कल.'

सीएम की जीरो-टॉलरेंस की नीति
बता दें कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 5 जुलाई को गुवाहाटी में राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों के ऑफिसर इंचार्जों की पहली बार हुई कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्हें रेप, छेड़छाड़, हमले जैसी घटनाओं में जल्दी से जल्दी चार्जशीट दाखिल करने के लिए कहा था. इसके अलावा हत्या, हथियार, ड्रग्स स्मगलिंग केसों में छह महीने में ऐसा करने के लिए कहा था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति को अपनाया जाए. 

हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था, 'आज कुछ लोग मेरे पास आकर कहते हैं कि इन दिनों लोग पुलिस से भाग रहे हैं और कई शूटिंग की घटनाएं हुई हैं, क्या ये पैटर्न बन रहा है. मैं ऐसे सवाल करने वालों से कहता हूं, हां यही पोलिसिंग पैटर्न होना चाहिए. पुलिस को फायर खोलना पड़ता है लेकिन छाती पर नहीं और कानून कहता है कि आप टांगों पर शूट कर सकते हैं. हम असम पुलिस को देश के श्रेष्ठ पोलिसिंग ऑर्गनाइजेशन में तब्दील करना चाहते हैं.'

Advertisement

विपक्ष के आरोपों पर असम के जल संसाधन मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता पिजुश हजारिका ने पलटवार किया है. हजारिका ने कहा, 'कुछ विपक्षी नेता पोलिसिंग एक्ट का विरोध कर रहे हैं, उनका अपराधियों से नाता रहा हो सकता है.'

विपक्ष तो जवाब नहीं देना चाहतेः बीजेपी विधायक
हजारिका ने कहा, 'अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए. उन्हें खुला हाथ नहीं देना चाहिए. कुछ लोग कह रहे हैं कि अपराधियों पर गोली नहीं चलाई जानी चाहीए. अगर अपराधी पुलिस पर गोली चलाते हैं और पुलिस इस पर कुछ नहीं करती तो पुलिसकर्मी मारे जाएं. कुछ विपक्षी नेता कह रहे हैं कि अगर अपराधी पुलिस को निशाना बनाते हैं तो पुलिस को चुप रहना चाहिए. मैं समझता हूं कि कुछ विपक्षी नेताओं का ड्रग डीलर्स, डाकू, चोरों जैसे अपराधियों से रिश्ता रहा हो सकता है.'

वहीं बीजेपी की MLA पद्मा हजारिका के मुताबिक अगर जरूरी हो तो एनकाउंटर होना चाहिए. पद्मा हजारिका ने कहा, 'विपक्ष जो कह रहा है हम उसका जवाब नहीं देना चाहते हैं. हमें इसकी परवाह है कि सरकार और पुलिस क्या कर रही है.' 

इस बीच असम राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को पुलिस फायरिंग की ऐसी कुछ घटनाओं की जांच करने के लिए कहा गया जिनमें 12 उग्रवादी/अपराधी मारे गए और कई अन्य घायल हुए.  आयोग ने इस बारे में राज्य सरकार से एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement