
चाय के बागानों की खुशबू से महकने वाला राज्य असम फिर बाढ़ से जूझ रहा है. 33 में से 27 जिलों में हालात खराब हैं. 6.62 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. एक की मौत भी हो चुकी है. असम को बारिश से अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले चार दिन यहां भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की है.
असम की डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, राज्य के 27 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. 1,400 से ज्यादा गांवों में लोग परेशानी में हैं. लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना को भी लगाया गया है. बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 125 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.
असम में बाढ़ से ये हालत तब है, जब मॉनसून ने देश में दस्तक भी नहीं दी है. असम में बाढ़ की ये पहली लहर है. पहले तो ऐसा होता था कि असम में 4-5 साल में एकाध बार बाढ़ आती थी, लेकिन अब हर साल ही यहां 3 से 4 बार बाढ़ आ रही हैं. असम में इतनी बाढ़ क्यों आती है? ये समझने से पहले यहां कि जियोग्राफी पर नजर डालना जरूरी है.
असम देश का ऐसा राज्य है जो पूरी तरह से नदी घाटी में बसा हुआ है. यहां का कुल एरिया 78 हजार 438 वर्ग किमी का है. इसका 56 हजार 194 वर्ग किमी एरिया ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में बसा है तो बाकी का बचा 22 हजार 244 वर्ग किमी का हिस्सा बराक नदी की घाटी में.
इतना ही नहीं, राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार असम का 31 हजार 500 वर्ग किमी का इलाका बाढ़ प्रभावित है. यानी, असम का जितना एरिया है, उसका 39.58% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. कुल मिलाकर देश में जितने बाढ़ प्रभावित इलाके हैं, उनमें से करीब 10 फीसदी असम में हैं.
असम में दो प्रमुख नदियां हैं. पहली है ब्रह्मपुत्र और दूसरी है बराक. इन दो के अलावा 48 छोटी-छोटी और सहायक नदियां भी हैं. इस वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है. थोड़ी सी बारिश से भी यहां बाढ़ के हालात बन जाते हैं.
लगातार फैल रही है ब्रह्मपुत्र नदी
असम में ब्रह्मपुत्र नदी लगातार फैलती जा रही है. इसका कवर एरिया भी बढ़ता जा रहा है. असम सरकार के मुताबिक, 1912 से 1928 के बीच सर्वे किया गया था, तब ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया 3 हजार 870 वर्ग किमी था.
इसके बाद 1963 से 1975 के बीच सर्वे हुआ, तब ब्रह्मपुत्र का कवर एरिया बढ़कर 4 हजार 850 वर्ग किमी हो गया. आखिरी बार 2006 में यहां सर्वे हुआ था, जिसमें ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया और बढ़कर 6 हजार 80 वर्ग किमी पर आ गया.
इसके अलावा ब्रह्मपुत्र नदी की औसतन चौड़ाई 6 किमी के आसपास है. असम के कुछ इलाकों में ये 15 किमी तक चौड़ी है.
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3800 वर्ग किमी खेती की जमीन तबाह हुई
सितंबर 2015 में असम सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 1954 से 2015 के बीच बाढ़ के कारण असम की 3 हजार 800 वर्ग किमी से ज्यादा की खेती की जमीन बर्बाद हो गई है.
खेती की जमीन बर्बाद होने का सीधा-सीधा असर यहां के लोगों पर भी पड़ रहा. असम के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, यहां की 75 फीसदी आबादी खेती-किसानी से जुड़े काम में लगी है.
हर साल 200 करोड़ का नुकसान भी
बाढ़ की वजह से असम में हर साल कई मौतें भी होती हैं. पिछले साल ही असम में बाढ़ के कारण 26 लोगों की जान गई थी. बाढ़ से करोड़ों रुपये का नुकसान भी होता है.
असम सरकार के मुताबिक, आजादी के बाद यहां 1954, 1962, 1972, 1977, 1984, 1988, 1998, 2002, 2004 और 2012 में भयंकर बाढ़ आई थी. हर साल औसतन 200 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान बाढ़ से होता है.
1998 में आई बाढ़ से असम को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. वहीं, 2004 की बाढ़ ने 770 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान किया था.
असम में बाढ़ आने के क्या हैं कारण?
1. सामान्य से ज्यादा बारिशः ब्रह्मपुत्र बोर्ड के मुताबिक, हर साल यहां सामान्य से 248 सेमी से 635 सेमी बारिश ज्यादा होती है. हर घंटे यहां 40 मिमी बारिश होती है. कभी-कभी तो ऐसा होता है जब यहां एक दिन में 500 मिमी से ज्यादा बारिश होती है.
2. रहने के लिए कम जगहः ब्रह्मपुत्र नदी जिस घाटी से होकर गुजरती है, वो बहुत संकरी है. जबकि ब्रह्मपुत्र नदी कई किमी तक फैली हुई है. दोनों ओर जंगल हैं. निचले इलाकों में खेती होती है. ऐसे में यहां रहने के लिए जगह कम है. जब नदी ऊपर से बहती हुई निचले इलाकों में आती है तो इससे बाढ़ आ जाती है.
3. जनसंख्या घनत्व का बढ़नाः कम जगह में ज्यादा लोगों के रहने की वजह से भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. 1940-41 में यहां हर किमी में 9 से 29 लोग रहते थे. लेकिन अब हर एक किमी में तकरीबन 200 लोग रहते हैं.