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असम-मिजोरम विवाद: 26 जुलाई को जहां चली थी गोली, अब कैसे हैं हालात? पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

असम और मिजोरम की सीमा पर 26 जुलाई को हुई गोलीबारी के बाद हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं. दोनों राज्यों के बीच बातचीत लगभग ठप है. इस बीच असम की ओर से लगाए गए इकोनॉमिक ब्लॉकेड के चलते मिजोरम में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है.

असम-मिजोरम सीमा विवाद के चलते 26 जुलाई को हुई थी हिंसा असम-मिजोरम सीमा विवाद के चलते 26 जुलाई को हुई थी हिंसा
आशुतोष मिश्रा
  • दिसपुर,
  • 01 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST
  • असम-मिजोरम बॉर्डर पर चली थी गोलियां
  • घटना के बाद अब भी हालात तनावपूर्ण
  • दोनों राज्यों के बीच पूरी तरह से ठप है बातचीत

असम और मिजोरम की सीमा पर 26 जुलाई को हुई गोलीबारी के बाद हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं. दोनों राज्यों के बीच बातचीत लगभग ठप है. इस बीच असम की ओर से लगाए गए इकोनॉमिक ब्लॉकेड के चलते मिजोरम में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है. 'आजतक' से बातचीत करते हुए मिजोरम के मुख्य सचिव ने कहा है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर पुनर्विचार किया जाएगा और कानूनी अड़चन ना आने की स्थिति में उनका नाम मुकदमे से हटा दिया जाएगा. इस बीच, दोनों राज्यों की सीमा पर जिस जगह पर गोली चली थी, वहां सबसे पहले 'आजतक' पहुंचा है. जली हुईं गाड़ियां, आसपास बिखरे मलबे के अलावा चारों तरफ सिर्फ सुरक्षा बल ही दिखाई दे रहे हैं.  

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क्या बोले मिजोरम के पुलिस अधीक्षक?
मिजोरम के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि पहली गोली असम पुलिस की ओर से चलाई गई, जिसके जवाब में मिजोरम पुलिस ने एलएमजी से फायर किया. मिजोरम का दावा यह भी है कि सबसे पहले असम पुलिस लाइट मशीन गन लेकर के आई थी और उसे मिजोरम की सीमा के भीतर इंस्टॉल किया और पहली गोली चलाई गई, जिसकी जवाबी कार्रवाई में मिजोरम की तरफ से ऊंची पहाड़ियों से लाइट मशीन गन से फायर किया गया. वहीं, मिजोरम की सीमा में जिले के स्थानीय निवासी कहते हैं कि वह किसान हैं, इसलिए उनके पास चिड़िया मारने वाली बंदूक है और इसी को लेकर वह उस दिन आए थे. स्थानीय नागरिक लाछा वामियां कहते हैं कि हर बार असम के पुलिस हमारे गांव में आती है और हमें परेशान करती है, ऐसे में हमारे पास जो कुछ भी होगा हम उसका इस्तेमाल करेंगे. गांव के दूसरे स्थानीय निवासी भी इस बात से इनकार नहीं करते.

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असम के लोग बोले- मिजोरम की ओर से चली पहली गोली
असम और मिजोरम की सीमाओं के बीच विवाद को पहले से देखते हुए दोनों तरफ से सीआरपीएफ को तैनात किया गया है. बावजूद उसके सीमा पर यह हादसा हुआ जो अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है. दोनों राज्यों के बीच एक बफर जोन भी है. मिजोरम के खिलाफ असम ने जो दावा किया है, उसे भी समझना जरूरी है. असम के आखिरी गांव में पहाड़ों पर बसे लोगों का कहना है कि गोली मिजोरम की ओर से चलाई गई जो उनके गांव तक पहुंची, जिसके चलते वह डर के मारे निचले इलाकों में जंगलों में चले गए थे. खुद असम सरकार के मंत्री अशोक सिंघल भी इस गांव में लोगों से मिलने गए थे जहां गांव के लोगों ने उन्हें घरों पर लगी गोलियां सुपुर्द की. अशोक सिंघल ने बातचीत करते हुए कहा था कि इन गोलियों को फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजा जाएगा. वहीं, 26 जुलाई की घटना के बाद 6 पुलिस कर्मियों के शहीद होने से सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले ग्रामीण दहशत में है. लैलापुर गांव की पहाड़ियां में रहने वाले प्यारुद्दीन ने बातचीत करते हुए कहा कि गोलीबारी के बाद उनके यहां गांव के कई लोग अपना सामान लेकर दूर सुरक्षित इलाकों में चले गए हैं और वह खुद भी अपने घर का सामान लेकर यहां से जा चुके हैं. 

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पहाड़ियों में बसे लैला पुर गांव के लोगों में दहशत
यह गांव सीमावर्ती इलाकों से बेहद नजदीक है और जब भी यहां टकराव होता है सबसे ज्यादा डर गांव वालों को होता है. गांव में रहने वाले चंचल गोस्वामी कहते हैं कि 26 जुलाई को मिजोरम की ओर से आने वाली मशीन गन की गोलियां उनके गांव तक आ रही थी जिसके बाद डर की वजह से तमाम सारे लोग निचले इलाकों में जंगलों में चले गए थे और अब वह डर में रहते हैं कि न जाने फिर यहां क्या हो जाए. गांव के दूसरे लोग भी इस घटना से नाराज हैं और दहशत में भी हैं. इसी गांव के रहने वाले मनिंदर मिस्त्री हैं और काम के लिए अक्सर मिजोरम जाते रहते हैं लेकिन अब आगे जाने की अनुमति नहीं है क्योंकि मोर्चा सीआरपीएफ ने संभाला है. मनिंदर कहते हैं कि अब उस पार जाने का मन नहीं करेगा क्योंकि उन्होंने हमारे लोगों पर गोली चलाई है. मनिंदर के मुताबिक पहले भी झड़प होती थी और मिजोरम से आने वाली पुलिस कई बार लोगों की झोपड़ियां तोड़ देती थी और दुकानें तोड़ देती थीं लेकिन इस बार उन्होंने गोली चलाई है. 

सीमा पर जमकर हुई थी झड़प

मिजोरम के खिलाफ लगा इकोनॉमिक ब्लॉकेड
इस बीच, असम की ओर से मिजोरम के खिलाफ अघोषित इकोनॉमिक ब्लॉकेड लगा दिया गया है. मिजोरम के मुख्य सचिव का कहना है कि इस मामले को लेकर के उन्होंने केंद्र सरकार को जानकारी दी है और वह जवाब के इंतजार में हैं. लेकिन इसका असर मिजोरम के अंदरूनी इलाकों में दिखने लगा है जहां पेट्रोल-डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी के चलते राशनिंग व्यवस्था शुरू हो गई है. मिजोरम के कोलासिब जिले की एसडीएम मेजर केरलीन आजतक से बातचीत करते हुए कहती हैं कि 26 जुलाई के बाद से असम की ओर से ब्लॉकेड लगाया गया है जिसके बाद हमें आवश्यक वस्तुओं की दिक्कत हो रही है और अब डिप्टी कमिश्नर की अनुमति से ही टू व्हीलर गाड़ियों को 3 लीटर और मध्यम गाड़ियों को 5 लीटर डीजल या पेट्रोल दिया जा रहा है. 

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सीमा पर लगाई गई सीआपीएफ
मिजोरम की सीमा पार करने के बाद असम की सीमा में प्रवेश करने पर सबसे पहला पुलिस चेक पोस्ट लैलापुर ही है. अब यहां सीआरपीएफ लगा दी गई है लेकिन बैरिकेड के दूसरी तरफ स्थानीय लोग बड़ी संख्या में जमा हैं, जो पुलिस पैरामिलिट्री और सेना के अलावा किसी और गाड़ियों को इस चेक से आगे मिजोरम की सीमा में जाने नहीं दे रहे हैं. स्थानीय ट्रक मालिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा कहते हैं कि यह ब्लॉकेड 26 जुलाई से चल रहा है और जब तक हालात ठीक नहीं होते यह ब्लॉकेड चलेगा. राजा को इस बात की आपत्ति है कि जब असम की ओर से मिजोरम की सप्लाई बंद की गई है तो फिर त्रिपुरा के रास्ते मिजोरम को दाना पानी और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति क्यों की जा रही है. दूसरे स्थानीय निवासियों का कहना है कि वह 6 पुलिसकर्मियों की मौत से आहत हैं और जब तक हालात नहीं सुधरते, ब्लॉकेड खत्म नहीं होगा. 

 

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