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5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा चुनाव आयोग, कोरोना काल में लागू हो सकते हैं ये नियम

चुनाव आयोग की मीटिंग में इस बात पर भी विचार हुआ कि राजनीतिक दलों, मतदाताओं और उम्मीदवारों के साथ-साथ सख्ती मतदान अधिकारियों पर भी लागू हो.

निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन पर अमल और सख्त होगा. (सांकेतिक फोटो) निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन पर अमल और सख्त होगा. (सांकेतिक फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST
  • 5 राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव
  • तैयारियों में जुटा है चुनाव अयोग

पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन और उस पर अमल और सख्त होगा. आयोग ने इसी बाबत मंगलवार को विशेष बैठक की. यानी आने वाले चुनावों में पुराने चुनावी रंग तो नहीं दिखेंगे, ये तो तय है. 

आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में इस बात पर भी विचार हुआ कि राजनीतिक दलों, मतदाताओं और उम्मीदवारों के लिए या फिर मतदान अधिकारियों की टीम के लिए सभी पर सख्त निगरानी रखने और जरा-सी भी लापरवाही पर तुरंत एक्शन लिया जाए. 

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दरअसल, पिछले दो सालों में हुए बिहार सहित कुछ राज्यों के चुनाव और फिर बंगाल, तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के दौरान गाइड लाइन तो जारी हुई, लेकिन उस पर अमल को लेकर सभी उदासीन रहे. चाहे फिर वह राजनीतिक दल हों, नेता, जनता या खुद निर्वाचन आयोग भी. 

2020 में जारी हुई थी पहली बार गाइडलाइन

सबसे पहले 2020 में पहले बिहार चुनाव के समय आयोग की पहली गाइडलाइन आई. फिर 2021 में बंगाल चुनाव के समय दूसरी गाइड लाइन आई. ये दो गाइड लाइन थीं. एक में राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं, मतदाताओं और नेताओं के लिए चुनाव प्रचार प्रक्रिया का प्रोटोकॉल था. क्या करें और क्या न करें का ब्यौरा. दूसरी गाइडलाइन में मतदान कराने वाली टीम यानी सुरक्षा और मतदान कार्य में लगे लोग कैसे खुद को सुरक्षित रखते हुए मतदान सम्पन्न कराएं, इसकी नियमावली थी. 

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सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता

चुनाव प्रचार के दौरान या फिर मतदान के समय सोशल डिस्टेंस का पालन और मास्क लगाने की अनिवार्यता पर सख्ती से अमल किया जाएगा. इस सिलसिले में ऑब्जर्वर्स और वीडियो ग्राफर की तादाद बढ़ाने पर भी विचार हुआ. ये भी मुमकिन है कि बिना मास्क वाले मतदाता को किसी भी सूरत में बूथ के अंदर घुसने ही न दिया जाए. 

चुनाव प्रचार की अवधि कम

आयोग चुनाव प्रचार की अवधि भी न्यूनतम करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. यानी इस बार मुमकिन है कि चुनाव प्रचार की अवधि को 22 से 25 दिन तक भी सीमित किया जा सकता है. इसके अलावा चुनाव प्रचार में लोगों की संख्या भी सीमित की जा सकती है. लापरवाही करने वाले को आचार संहिता के उल्लंघन जैसी सजा दी जा सकती है. 

कई कदम उठाने की घोषणा

आयोग अपनी सख्ती और पाबंदियों के बाबत जनता में जबरदस्त और प्रभावी प्रचार कराने पर भी विचार कर रहा है. इसके अलावा, बिहार और बंगाल वाले चुनावों के दौर से सबक लेते हुए आयोग ने कई कदम उठाने की घोषणा भी कर दी है. मसलन, मतदान बूथों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हर बूथ पर मतदाताओं की संख्या घटाई जाएगी. 

चुनाव तो कराएगा आयोग

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आयोग के उच्च अधिकारियों का साफ मानना है कि लापरवाही लोग करें और कोर्ट के गुस्से का शिकार और निशाने पर आयोग आए, ये कतई उचित नहीं है. आयोग चुनाव तो कराएगा, लेकिन पूरी सख्ती के साथ. 

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