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पूर्व सांसद और माफ़िया अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ़ को शनिवार की रात प्रयागराज में पुलिस की मौजूदगी में तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. मीडिया के कैमरों ने इस घटना को लाइव रिकॉर्ड किया. घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही है. टीवी कैमरे में कैद इस हत्याकांड के बाद सियासी घमासान तेज़ हो गया है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और मायावती ने प्रदेश में क़ानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं जबकि विपक्ष के कई नेताओं ने संविधान के पालन में लापरवाही बरतने पर यूपी सरकार पर निशाना साधा है.
अतीक और उसके भाइयों के तीनों हत्यारों की पहचान लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ़ सनी और अरुण कुमार मौर्य बताई जा रही है. यूपी पुलिस के मुताबिक तीनों पहले भी अपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अतीक के हत्या के पीछे इनका मक़सद केवल शोहरत की चाहत थी. लेकिन इस कहानी से कई सारे सवाल उठते हैं, जैसे तीन अलग-अलग जगहों से ताल्लुक रखने वाले इन अपराधियों ने मिलकर इस घटना को कैसे अंजाम दिया, इनके पास से जो हथियार बरामद हुआ, उस तक किसी लोकल गुंडे की पहुंच नहीं हो सकती, क्या इस हत्या के पीछे कोई चौथा शख़्स भी है, जो असल मास्टरमाइंड है. पुलिस सुरक्षा के बीच ये हत्यारे पत्रकार के भेष में अतीक तक पहुंचे, उन्हें ये एक्सेस कैसा मिला और इस हाई प्रोफ़ाइल केस में पुलिस की इतनी बड़ी चूक पर क्या सवाल उठ रहे हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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पुलवामा आतंकी हमले को लगभग चार साल हो चुके हैं 14 फ़रवरी 2019 को हुए इस आतंकी हमले में CRPF के चालिस जवान शहीद हुए थे. कुछ दिनों पहले तक देश में कहीं इसकी चर्चा नहीं हो रही थी. सभी राजनीतिक पार्टियां भी लगभग इसे भूल चुकी थी. मगर अचानक से इसपर पॉलिटिकल डिबेट होनी शुरु हो गई. हुआ यूं कि केंद्र शासित प्रदेश बनने से ठीक पहले जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रह चुके सत्यपाल मलिक ने एक इंटरव्यू दिया और पुलवामा हमले के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार बताते हुए कई सनसनीखेज़ दावे किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफ़िले पर हुआ हमला सिस्टम की 'अक्षमता' और 'लापरवाही' का नतीजा था. मलिक ने कहा कि सीआरपीएफ ने सरकार से अपने जवानों को ले जाने के लिए विमान उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उनके मुताबिक, इस पर पीएम मोदी ने उन्हें चुप रहने और किसी से कुछ न बोलने को कहा. सत्यपाल मलिक के इंटरव्यू के हवाले से कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. देश सुरक्षा से जुड़ा मामला है और 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, चुनाव के मद्देनज़र सत्यपाल मलिक के कौनसे आरोप ज़्यादा कंसर्निंग हैं, सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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जिस दिल्ली शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी हुई है, उसी केस में रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई ने 9 घंटे तक पूछताछ की. केजरीवाल सुबह 11 बजे सीबीआई मुख्यालय पहुंचे और रात के साढ़े आठ के करीब बाहर निकले, बीच में एक घंटे का ब्रेक भी था. सीबीआई के पास जाने से पहले अरविंद केजरीवाल बापू की समाधि स्थल राजघाट गए,इमरजेंसी मीटिंग कर एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसपर लेजी वीके सक्सेना की आपत्ती आ चुकी है. अपने नेता से पूछताछ का विरोध कर रहे सीबीआई मुख्यालय के बाहर से पार्टी के कई सीनियर लीडर्स और कार्यकर्ताओं को हिरासत में रख कर बाद में छोड़ दिया गया. सीबीआई हेडक्वाटर बाहर से निकलकर अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बात की कहा कि पूरा का पूरा Case ही फ़र्ज़ी है, इनके पास एक भी सुबूत नहीं है. जिसे अरविंद केजरीवाल फ़र्जी केस बता रहे हैं, उस मामले में 9 घंटे तक सीबीआई ने क्या पूछताछ की और किस वजह से उन्हें सीबीआई का समन मिला था, क्या सेंट्रल एजेंसियां आम आदमी पार्टी के साथ कुछ ज़्यादा सख़्ती से पेश आ रही है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.