Advertisement

अयोध्या भूमि अधिग्रहण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जन कल्याण की जमीन निजी हाथों में देने पर सवाल

अयोध्या के भूमि अधिग्रहण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल है कि उत्तर प्रदेश सरकार विकास परिषद द्वारा जन कल्याण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जमीन को निजी क्षेत्रों को दिया जा रहा है. साथ ही मुआवजे की प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाने की मांग की गई.

सुप्रीम कोर्ट (पीटीआई) सुप्रीम कोर्ट (पीटीआई)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

अयोध्या में जन कल्याण की विकास परियोजना के लिए करीब डेढ़ हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण कर निजी क्षेत्रों को दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता आलोक शर्मा सहित तीन याचिकाकर्ताओं ने अर्जी दाखिल कर इस मामले में जारी नोटिस रद्द करने का आदेश जारी करने की गुहार लगाई. 

याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र मिश्रा के मुताबिक ये भूमि अधिग्रहण कानून का सरासर और मनमाना उल्लंघन है. साथ ही याचिकाकर्ताओं ने मुआवजे की प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाने की मांग की गई.

Advertisement

उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने 2020 और 2022 की अधिसूचनाओं के तहत अधिग्रहित 1407 एकड़ भूमि के लिए मास्टर प्लान बनाने के लिए फर्म का चयन करने के लिए 26 अगस्त 2023 को एक टेंडर प्रकाशित की.

जबकि 19 अगस्त 2023 को 450 एकड़ की एक तीसरी योजना को अधिसूचित कर दिया गया. जबकि पहली दो योजनाओं के तहत अधिग्रहित भूमि का पूर्ण उपयोग नहीं किया गया.

यह भी पढ़ें: अयोध्या-काशी के बाद अब ब्रज की बारी का क्या मतलब? सीएम योगी ने बताया

भूमि विकास गृह स्थान और बाजार पूरक प्रथम योजना अयोध्या-2023 के तीसरे और नए नोटिफिकेशन तक पहले से अधिग्रहित 1407 एकड़ भूमि पर कोई विकास कार्य शुरू नहीं हुआ था. आज तक कोई सड़क या सीवर का निर्माण नहीं किया गया और पहली योजना और दूसरी योजनाओं में कोई प्लॉटिंग नहीं की गई है.

 

Advertisement
 

अयोध्या में 2020 और 2022 के लिए प्रारंभिक योजनाएं और 2023 योजना के तहत बढ़ती आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परिषद द्वारा शुरू की गई आवास योजनाएं हैं.

यह भी पढ़ें: ISI की साजिश, स्लीपर सेल और अयोध्या में रेकी.. आतंकी की गिरफ्तारी के बाद इस एंगल से हो रही जांच

हालांकि प्रारंभिक योजना के तहत अधिग्रहित भूमि में निजी होटलों के लिए व्यावसायिक भूखंडों को काटा गया और किसानों को दिए गए मुआवजे से लगभग 30 गुना से अधिक कीमतों पर उद्योगपतियों को बेचा गया. जो कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 2 का स्पष्ट उल्लंघन है. यह धारा निजी होटलों या ऐसे ही व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाता है.

पहले से अधिग्रहित भूमि का उपयोग किए बिना नई भूमि का अधिग्रहण करना जनहित के खिलाफ है. इसलिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट शीघ्र हस्ताक्षेप करे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement