
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. अब बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी का बयान सामने आया है. इकबाल अंसारी ने कहा है कि अयोध्या में जो विकास हुआ है, बीजेपी सरकार में हुआ है. इससे पहले कोई विकास नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि अयोध्या में सड़क, रेलवे लाइन और एअरपोर्ट का विकास भी भाजपा सरकार में हुआ है. अंसारी ने कहा, अयोध्या धर्म की नगरी है. जो भी सरकार आए उसे यहां विकास करना चाहिए. विकास होगा तो सबका फायदा होगा.
इकबाल अंसारी ने कहा, 'अयोध्या सबको आना चाहिए. सभी लोग यहां आएं और दर्शन करें. अयोध्या ऐसी नगरी है जहां एक को बुलाया जाए तो बीस लोग आते हैं. इसलिए धर्म की इस नगरी में सबको आना चाहिए.'
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अयोध्या में रोड शो किया. इस दौरान लोगों ने उनका पुष्पवर्षा के साथ भव्य स्वागत किया. सड़क के दोनों तरफ लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा और हर कोई अपने प्रधानमंत्री की एक झलक पाने को आतुर दिखा. इस दौरान बाबरी केस के पक्षकार हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी पीएम मोदी पर गुलाब के फूल बरसाते हुए नजर आए.
'अयोध्या सबको संदेश देती है'
पीएम पर फूल बरसाने को लेकर इकबाल अंसारी ने कहा, 'अयोध्या सभी को संदेश देती है. यहां हिंदू मुस्लिम सब मिलकर रहते हैं, एक दूसरे के कार्यक्रम में शिरकत करते हैं.'
मालूम हो कि बाबरी केस में इकबाल अंसारी पक्षकार रहे थे और मंदिर के लिए भूमि दिए जाने के खिलाफ थे. वह कोर्ट में मामला लड़ रहे थे. कोर्ट में जो मामला चला उसमें इकबाल अंसारी एक चेहरा बनकर सामने आए थे. लेकिन आज जब प्रधानमंत्री का रोड शो निकला तो वह पीएम मोदी पर फूल बरसाते हुए नजर आए.
इकबाल अंसारी को मिला था भूमि पूजन का न्योता
वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन के लिए पहुंचे थे तो बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने तब भी पीएम मोदी का स्वागत किया था. तब इकबाल अंसारी को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया था. तब निमंत्रण मिलने के बाद इकबाल अंसारी ने कहा था कि मैं कार्यक्रम में जरूर जाऊंगा. उन्होंने कहा कि भगवान राम की मर्जी से हमें न्योता मिला है. अयोध्या में गंगा-जमुनी तहजीब बरकरार है. मैं हमेशा मठ-मंदिरों में जाता रहा हूं. कार्ड मिला है तो जरूर जाऊंगा.
बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान है. कार्यक्रम के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और एचडी देवगोड़ा तक का निमंत्रण भेजा गया है. ट्रस्ट ने करीब 6 हजार लोगों को निमंत्रण पत्र भेजा है. लेकिन अब विपक्ष धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण का आरोप लगाकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. चूंकि कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में ये मुद्दा सियासी रूप गरम भी होता दिख रहा है.
'राजनीतिक भंवर में फंसे विपक्षी दल'
विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक इस बात को लेकर बंटा हुआ है कि अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होना है या नहीं. एक तरफ पार्टियों को डर है कि यदि वे इसमें शामिल नहीं हुए तो उन्हें हिंदू विरोधी बताकर घेरा जाएगा तो दूसरी तरफ उन्हें यह भी लगता है कि यदि वे शामिल हुए तो बीजेपी के हाथों में खेले जाने के आरोप लगाए जाएंगे. फिलहाल, विपक्ष का इंडिया गुट गंभीर राजनीतिक भंवर में फंस गया है.
शशि थरूर का बयान स्पष्ट करता है कांग्रेस की विचारधारा?
तो दुविधा क्या है? कांग्रेस नेता शशि थरूर का बयान इसे पूरी तरह स्पष्ट कर देता है. थरूर ने गुरुवार को कहा, ...यदि आप जाते हैं तो इसका मतलब है कि आप बीजेपी के हाथों में खेल रहे हैं. यदि आप नहीं जाते हैं तो इसका मतलब है कि आप हिंदू विरोधी हैं, यह बकवास है.
थरूर आगे कहते हैं कि वामपंथी दल इस मामले पर आसानी से निर्णय ले सकते हैं क्योंकि उन्हें किसी भी धर्म में विश्वास नहीं है. कांग्रेस के भीतर सीपीआई (एम) या बीजेपी की कोई विचारधारा नहीं है. हम हिंदुत्व को एक राजनीतिक सिद्धांत के रूप में देख रहे हैं. इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए हम ना तो सीपीआई (एम) हैं और ना ही बीजेपी. हमें इस मामले पर निर्णय लेने के लिए समय दें.
'विपक्ष के लिए एक जैसा स्टैंड लेना मुश्किल'
अलग-अलग विचारधारा वाले विपक्ष के इंडिया ब्लॉक को एक जैसा रुख अपनाना मुश्किल हो रहा है. इसके पीछे यह माना जा रहा है कि अगर कार्यक्रम में जाने का फैसला करते हैं तो यह बीजेपी को बढ़त देने जैसा होगा, क्योंकि एक समय राम मंदिर आंदोलन में बीजेपी ही अगुआकार के तौर पर सबसे आगे खड़ी रही.
राम मंदिर के न्योते पर इंडिया गुट कैसे बंटा हुआ है?
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी पहले राजनेता थे, जिन्होंने प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया था. 26 दिसंबर को येचुरी ने कहा, वे अयोध्या कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने न्योते को अस्वीकार करने का कारण धार्मिक कार्यक्रम का 'राजनीतिकरण' बताया. सीताराम येचुरी का कहना था कि इस उद्घाटन समारोह में जो हो रहा है, वह यह है कि इसे एक राज्य प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया गया है जिसमें प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य लोग शामिल हैं. यह लोगों की धार्मिक आस्था का सीधा राजनीतिकरण है जो संविधान के अनुरूप नहीं है.
टीएमसी के भी शामिल होने की संभावना नहीं
सूत्रों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस भी सीपीएम की लाइन पर चल सकती है. सूत्रों ने बताया कि टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल ना होने की संभावना है. पश्चिम बंगाल में वैचारिक और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) दोनों इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं. हालांकि, टीएमसी ने आधिकारिक तौर पर अपने फैसले की घोषणा नहीं की है, लेकिन इसकी प्रमुख ममता बनर्जी के करीबी सूत्रों का कहना है कि पार्टी बीजेपी के राजनीतिक नैरेटिव में शामिल होने से सावधान है. यह भी कहा जा रहा है कि तृणमूल को यह संदेह है कि बीजेपी मंदिर निर्माण को 2024 के आम चुनाव में एक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल कर सकती है.
उद्धव गुट बोला- 22 जनवरी के बाद जाएंगे अयोध्या
गुरुवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी राम मंदिर कार्यक्रम को लेकर बयान दिया है. उद्धव गुट भी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है. शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने घोषणा की कि उसका कोई भी कार्यकर्ता या नेता 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा. राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, यह सब राजनीति है. कौन बीजेपी के कार्यक्रम में शामिल होना चाहता है? यह कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं है. यह बीजेपी का कार्यक्रम है, यह बीजेपी की रैली है. बीजेपी का कार्यक्रम खत्म होने के बाद हम (अयोध्या) जाएंगे.
वही, बीजेपी नेता और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को राम मंदिर उद्घाटन के लिए आमंत्रित लोगों से कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया. ठाकुर ने कहा, 450 वर्षों से ज्यादा का इंतजार खत्म हो रहा है. भारत में लोगों की कई पीढ़ियों का सपना साकार हो रहा है. जिन लोगों को राम मंदिर के अभिषेक के लिए आमंत्रित किया गया है, मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि वे समारोह में शामिल हों. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि लोग अयोध्या आने लगे हैं और तीर्थयात्रियों को वहां जाने से पहले उचित जानकारी होनी चाहिए ताकि उन्हें भीड़ से असुविधा ना हो.
कांग्रेस की दुविधा- राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल हों या नहीं?
इंडिया ब्लॉक की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस से सबसे ज्यादा मुश्किल या कह लीजिए धर्म संकट में दिख रही है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने 21 दिसंबर को कहा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने प्रतिष्ठा समारोह के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रण भेजा है. एक हफ्ते बाद भी कांग्रेस ने इस बात की कोई घोषणा नहीं की है कि पार्टी नेता इस कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं. जानकार कहते हैं कि कांग्रेस को ऐसा रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है जिससे उसे चुनावी मैदान में ज्यादा नुकसान ना हो.
'लोगों को फैसला लेने का अधिकार'
शशि थरूर ने कहा, लोगों को आमंत्रित किया गया है और लोगों को ही तय करने दें कि वे जाना चाहते हैं या नहीं. मैं मंदिर को एक राजनीतिक मंच नहीं मानता. किसी राजनीतिक कार्यक्रम में ना जाने से आप हिंदू विरोधी नहीं हो जाते. थरूर से जब पूछा गया कि क्या इस फैसले का 2024 के चुनाव पर असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, कांग्रेस नेतृत्व को कठघरे में खड़ा करना और यह कहना कि यदि आप जाते हैं तो इसका मतलब है कि आप बीजेपी के हाथों में खेल रहे हैं. यदि आप नहीं जाते हैं तो इसका मतलब है कि आप हिंदू विरोधी हैं. यह बकवास है. मुझे लगता है कि प्रत्येक नागरिक को अपना फैसला लेने का अधिकार है. उन्होंने कहा, चुनाव इतना आसान नहीं है. ना ही यह किसी व्यक्तिगत निर्णय के बारे में है.
'जिन्हें निमंत्रण नहीं गया, वो भी उलझन में'
वहीं, इंडिया ब्लॉक में शामिल सपा, एनसीपी समेत जिन दलों को अब तक निमंत्रण नहीं मिला है, वे भी उलझन में देखे जा रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, मेरा मानना है कि बिना भगवान की इच्छा के कोई दर्शन नहीं करने जा सकता. बिना उनके इच्छा के कोई दर्शन नहीं कर पाता और भगवान का बुलावा कब-किसको आ जाए, कोई कह नहीं सकता."
शरद पवार ने कहा, 'पता नहीं कि वह (भाजपा) इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रही है. हमें खुशी है कि मंदिर बन रहा है, जिसके लिए कई लोगों ने योगदान दिया है.' शरद पवार विपक्षी नेताओं के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. हालांकि कई दफा उनका रुख इंडिया ब्लॉक से इतर रहा है. ऐसे में अभी तक उनके अयोध्या जाने की प्लानिंग को लेकर सस्पेंस बना हुआ था. हालांकि शरद पवार ने साफ किया है कि उन्हें इस समारोह का आमंत्रण नहीं भेजा गया है.
बताते चलें कि राम मंदिर के साथ एक राजनीतिक आंदोलन जुड़ा हुआ है और पार्टियां और उनके नेता जो निर्णय लेते हैं, उन्हें राजनीति के चश्मे से देखे जाने और चुनावी नतीजे प्रभावित होने का जोखिम रहता है.
हम इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे: सीताराम येचुरी
राम मंदिर लोकार्पण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी को भी मिला है. उन्होंने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, 'राम मंदिर का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री करेंगे. सीएम योगी भी वहां रहेंगे. संवैधानिक पदों पर बैठे लोग वहां रहेंगे. यह धर्म का खुला राजनीतिकरण है. यह राजनीतिक उद्देश्यों के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग है. इसलिए हम इस बारे में स्पष्ट हैं कि हम इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे'.
राम पर बीजेपी का मालिकाना हक है क्या: जितेंद्र अव्हाड
राम मंदिर उ्घाटन समारोह को लेकर एनसीपी विधायक (शरद पवार गुट) जितेंद्र अव्हाड ने भी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा, 'रामलला किसी के बाप की प्रापर्टी हैं क्या? राम पर उनका (बीजेपी) मालिकाना हक है क्या? आप तो राम का इस्तमाल करते हो. 1970 से लेकर आज तक गंगा जल हो, ईंट हो, मिट्टी हो, आपने बेच-बेच कर राम मंदिर बनाने का काम किया है. अब बीजेपी के जमीनी हालात खराब हैं तो चुनाव के दौरान उन्हें रामलला याद आ गए हैं. राम तो दिलों में बसते हैं. राजनीति के लिए उनका इस्तेमाल करना ठीक नही है. ये कौन होते हैं न्योता देने वाले. हमको मंदिर जाने से रोकोगे क्या?'