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राज्य और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध के कारण कर्नाटक में आयुष्मान भारत वरिष्ठ नागरिक योजना अभी तक लागू नहीं हो पाई है. कर्नाटक सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार केवल 30-40% धनराशि का योगदान दे रही है, जिससे राज्य को 70% से अधिक लागत वहन करनी पड़ रही है.
यह दिक्कत इसलिए आ रही है क्योंकि केंद्र सरकार ने लाभार्थियों की पहचान करने के लिए पुरानी 2011 की जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया है, जबकि कर्नाटक सरकार राशन कार्ड से प्राप्त ताजा आंकड़ों पर निर्भर है. वर्तमान में, भारत सरकार प्रति परिवार केवल 1,052 रुपये प्रदान करती है, जबकि कर्नाटक सरकार प्रति परिवार 2,500 रुपये से अधिक खर्च करती है. जिससे राज्य पर काफी वित्तीय बोझ बढ़ रहा है.
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कर्नाटक सरकार की मांग
कर्नाटक ने केंद्र सरकार से ताजा डेटाबेस के आधार पर अपनी हिस्सेदारी को संशोधित करने का अनुरोध किया है. राज्य सरकार ने अलग आयुष्मान भारत कार्ड की आवश्यकता का यह तर्क देते हुए विरोध किया है कि आधार कार्ड ही लाभार्थी के विवरण को सत्यापित करने और उपचार प्रदान करने के लिए पर्याप्त है. इस गतिरोध की वजह से 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री ने लिखी चिट्ठी
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, 'ऐसी केंद्रीय योजना में आदर्श रूप से सरकार को लागत का 80-90 प्रतिशत वहन करना चाहिए लेकिन अब, वे 60-40 हिस्सा चाहते हैं, और सारा श्रेय खुद ले लेते हैं. यह एक अच्छी योजना है, लेकिन हम लागत का 75 प्रतिशत वहन नहीं कर सकते, जबकि वे 25 प्रतिशत वहन करते हैं. मैंने कुछ महीने पहले केंद्र को लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. मैं एक बार फिर लिखूंगा.'
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