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'गलती दोबारा नहीं दोहराई जाएगी...', बाबा रामदेव की संस्था 'पतंजलि आयुर्वेद' ने जारी किया सार्वजनिक माफीनामा

स्वामी रामदेव की संस्था पतंजलि आयुर्वेद का यह माफीनामा सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से एक दिन पहले आया. सुप्रीम कोर्ट 23 अप्रैल को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले सुनवाई करेगा. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया है.

बाबा रामदेव (फाइल फोटो) बाबा रामदेव (फाइल फोटो)
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:24 AM IST

योग गुरु स्वामी रामदेव को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से एक बार फिर झटका लगने के बाद पतंजलि आयुर्वेद ने एक राष्ट्रीय दैनिक में एक सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया है. इसमें पतंजलि ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. विज्ञापन प्रकाशित न करने के कोर्ट के निर्देश पतंजलि का कहना है कि यह गलती दोबारा नहीं दोहराई जाएगी. यह माफी सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से एक दिन पहले आई है. 

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 23 अप्रैल को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले सुनवाई करेगा. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया है.

योग शिविर के लिए चुकाना होगा सर्विस टैक्स

सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल को हुई सुनवाई में बाबा रामदेव को कहा था कि अब उनके योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं. स्वामी रामदेव के योग शिविरों का आयोजन करने वाली संस्था 'पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट' अब सर्विस टैक्स यानी सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा. अब उनके योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं. स्वामी रामदेव के योग शिविरों का आयोजन करने वाली संस्था 'पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट' अब सर्विस टैक्स यानी सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा.

बता दें कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट स्वामी रामदेव के योग शिविरों के लिए प्रवेश शुल्क (Entry Fee) लेती है. जस्टिस ओक और जस्टिस भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने सही कहा है. प्रवेश शुल्क लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा (सर्विस) है. हमें ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. लिहाजा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की अपील खारिज की जाती है.' इसी के साथ अदालत ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्राइब्यूनल (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. 

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यह भी पढ़ें: स्वामी रामदेव को SC से एक और झटका, क्या है मामला?

'हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस' की श्रेणी में आता है योग शिविर

दरअसल CESTAT (Customs Excise And Service Tax Appellate Tribunal) ने माना था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से आयोजित योग शिविर किसी भी व्यक्ति से भागीदारी के लिए शुल्क लेता है. यह , इसलिए ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आने चाहिए. ट्राइब्यूनल ने कहा था कि ट्रस्ट विभिन्न आवासीय और गैर-आवासीय शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने में लगा हुआ है. इसके लिए भागीदारों से दान के रूप में राशि एकत्र की जाती है, लेकिन असल में यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रवेश शुल्क होता है.

पतंजलि को चुकाना होगा 4.5 करोड़ रुपये का सर्विस टैक्स

सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट से जुर्माना और ब्याज समेत अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के दौरान लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए लगभग 4.5 करोड़ रुपये अदा करने को कहा था. ट्रस्ट ने दलील दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है और यह 'हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस' कैटेगरी के तहत टैक्स योग्य नहीं है. लेकिन ट्राइब्यूनल ने कहा कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट का यह दावा किसी भी सकारात्मक सबूत द्वारा समर्थित नहीं है कि वह व्यक्ति को होने वाली विशिष्ट बीमारियों के लिए उपचार प्रदान कर रहा है.

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