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बेबी अरिहा की वतन वापसी को लेकर भारत सख्त, जर्मनी के राजदूत तलब

गुजरात की रहने वाली बेबी अरिहा शाह लगभग 20 महीने से जर्मनी में फंसी है. वहां उसे चाइल्ड केयर सेंटर में रखा गया है. बच्ची के माता-पिता पर आरोप लगाकर बच्ची को कस्टडी में भेजा गया था. हालांकि, बाद में आपराधिक आरोप हटा लिए गए. लेकिन बच्ची को माता-पिता को नहीं सौंपा गया.

माता-पिता के साथ बेबी अरिहा माता-पिता के साथ बेबी अरिहा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 8:25 PM IST

जर्मनी में फंसी गुजरात की बेबी अरिहा शाह के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. अरिहा नाम की बच्ची को जर्मनी के फोस्टर केयर में लगभग 20 महीने से रखा गया है. इस मामले में बच्ची की मां लगातार मोदी सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रही है. इस मामले में सरकार ने इस हफ्ते जर्मनी के राजदूत को तलब किया था. 

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भारतीय बच्ची अरिहा की रिहाई को लेकर भारत ने इस हफ्ते जर्मनी के राजदूत फिलीप एकरमैन (Philipp Ackermann) को तलब किया गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची का कहना है कि अरिहा मामले को लेकर इस हफ्ते एकरमैन को तलब किया गया था. भारत का कहना है कि बच्चे के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक माहौल का होना बहुत महत्वपूर्ण है. 

पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरिहा मामले को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बायरबॉक के समक्ष चिंता जताई थी. परिजनों का आरोप है कि बच्ची को बर्लिन में 20 महीने से फोस्टर केयर सेंटर में रखा गया है.

क्या है मामला?

गुजरात का एक दंपति पिछले डेढ़ साल से अपनी बच्ची से हजारों मील की दूरी पर है और उससे मिलने की गुहार लगा रहा है. अहमदाबाद के भावेश और धारा हिंदुस्तान में हैं जबकि उनकी दो साल की बेटी अरिहा जर्मनी में है.

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सितंबर 2021 इस परिवार के लिए स्याह साबित हुआ. वर्क वीजा पर जर्मनी के बर्लिन गए इस गुजराती परिवार की दुनिया उस समय बिखर गई, जब अरिहा के प्राइवेट पार्ट पर चोट लग गई और अस्पताल ले जाने पर मां-बाप पर ही यौन उत्पीड़न का आरोप लगा. इसके बाद अरिहा को प्रशासन ने फोस्टर केयर होम भेज दिया. सितंबर 2021 के बाद से ही यह परिवार अरिहा की कस्टडी के लिए कानूनी जंग लड़ रहा है. 

यह दंपति बीते सालभर से गुहार लगा रहा है कि उन्हें उनकी बेटी लौटा दी जाए. बता दें कि डॉक्टर को अरिहा के डाइपर पर खून मिल था, जिसके बाद बच्ची को प्रशासन ने फोस्टर केयर होम भेज दिया था. अरिहा तभी से फोस्टर केयर होम में ही है. 

अरिहा की मां धरा का कहना है कि इस साल अगस्त के अंत में अरिहा को फोस्टर केयर होम में दो साल पूरे हो जाएंगे. जर्मनी सरकार के नियमों के तहत अगर किसी बच्चे को फोस्टर केयर होम में रहते हुए दो साल हो जाते हैं तो उस बच्चे को उनके मां-बाप को नहीं लौटाया जाता. 

अरिहा की मां का विरोध

इससे पहले पिछला साल नवंबर में अरिहा की मां धारा शाह अपनी बच्ची की कस्टडी पाने के लिए गुजरात में बीजेपी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गई थीं. उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में हस्तक्षेप कर उनकी मदद करें. धारा शाह की अपील है कि अब सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही उनकी मदद कर सकते हैं. धारा का कहना है कि मोदी इस मामले में हस्तक्षेप करें और उनकी बेटी को उन तक पहुंचाने में मदद करें. 

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मां धारा का कहना है कि उनकी बेटी फिलहाल किसी ईसाई परिवार के पास है और उसने जर्मन भाषा बोलना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि मामले की सुनवाई में सालों लग सकते हैं. लेकिन तब तक उन्हें अरिहा की कस्टडी मिलनी चाहिए या उसे किसी रिश्तेदार को सौंप देना चाहिए. बेटी अरिहा की कस्टडी की मांग को लेकर उसके माता-पिता जंतर मंतर पर भी प्रदर्शन कर चुके हैं.

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