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जानें- उस बजरंग दल की कहानी जिसे बैन करने का वादा कर रही है कांग्रेस

कर्नाटक की अंजनाद्रि पर्वत श्रृंखला को बजरंग बली का जन्मस्थान माना जाता है. इन्हीं बजरंग बली के नाम पर चुनाव के दौरान कर्नाटक की राजनीति में तूफान आ गया है. इसकी शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो समाज में नफरत फैलाने वाले संगठन बजरंग दल और पीएफआई को बैन किया जाएगा.

दिल्ली में प्रदर्शन करते बजरंग दल के कार्यकर्ता (फोटो- GETTY) दिल्ली में प्रदर्शन करते बजरंग दल के कार्यकर्ता (फोटो- GETTY)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2023,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

देश में राम मंदिर आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक ऐसे संगठन की जरूरत थी जो राम के मुद्दे पर युवाओं को आंदोलित कर सके, जो राम के नाम पर सड़क पर निकल सके. इधर विश्व हिन्दू परिषद हिन्दू युवाओं को मोबिलाइज कर रही थी. इसी माहौल में एक नेता हिन्दुओं की आवाज को बढ़ चढ़ कर उठा रहा था. नाम था विनय कटियार. विनय कटियार तब फायर ब्रांड नेता थे और राम मंदिर के मुद्दे को लेकर बेहद उग्र थे. इसी परिदृश्य में साल 1984 में बजरंग दल की स्थापना हुई.  

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39 साल आगे बढ़ते हैं. साल है 2023 और मौका है कर्नाटक विधानसभा चुनाव. हिन्दू मान्यता में मंगलवार को बजरंगबली का दिन माना जाता है. लेकिन कर्नाटक की राजनीति में मंगलवार बजरंगबली के नाम से जुड़े संगठन बजरंग दल के लिए मुसीबत और विवाद लेकर आया. 2 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जब घोषणा पत्र जारी किया तो उसमें मुफ्त की सौगातों के साथ साथ पार्टी के एक वादे ने सभी का ध्यान खींचा. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो समाज में नफरत फैलाने वाले बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों को बैन किया जाएगा. 

बजरंग दल और PFI की तुलना पर बवाल

कांग्रेस के इस वादे से पहले से गरम कर्नाटक का राजनीतिक तापमान और भी उबल पड़ा. बीजेपी समेत कई हिन्दूवादी संगठन और बजरंग दल ने भी इस वादे के लिए कांग्रेस की आलोचना की. बजरंग दल ने कहा कि वो एक राष्ट्रवादी संगठन है और इसकी तुलना पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठन से करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. बजरंग दल ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि बजरंग दल की देश और धर्म के प्रति निष्ठा की वजह से कांग्रेस और पीएफआई के आंखों की किरकिरी बना हुआ है. बजरंग दल इस मुद्दे को कर्नाटक समेत पूरे देश में जोर-शोर से उठा रही है और प्रदर्शन कर रही है. 

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कांग्रेस को राम और बजरंग बली दोनों से दिक्कत- PM मोदी

मंगलवार को जब पीएम मोदी चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक के विजयनगर के होस्पेट पहुंचे तो उन्होंने वहां से इस मुद्दे को उठाया. विजयनगर से सटे आंजनेद्री पर्वत का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं हनुमान जी की पवित्र भूमि पर आया हूं तो मेरा ये बहुत बड़ा सौभाग्य है लेकिन दुर्भाग्य देखिए जब मैं हनुमानजी की पवित्र भूमि को प्रणाम करने को आया हूं तो उसी समय कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग बली को ताले में बंद करने का निर्णय किया है. पीएम मोदी ने कहा कि इन्होंने पहले भगवान श्रीराम को ताले में बंद किया और अब जय बजरंग बली बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प लिया है. ये देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को प्रभु श्री राम से तकलीफ होती थी और अब जय बजरंगबली बोलने वालों से तकलीफ हो रही है. 

हिन्दी पट्टी से दक्षिण तक धमक

बजरंग दल भारत की हिंदी पट्टी में हिन्दुओं का एक दमदार और प्रभावशाली संगठन तो है ही, इस संगठन ने कर्नाटक की राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि में भी अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज कराई है. इसके अलावा बजरंग दल ने पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में भी अपनी पहुंच बनाई है.

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बजरंग दल के कार्यकर्ता (फाइल फोटो-GETTY IMAGE)

संतों की पुकार पर बना बजरंग दल

बजरंग दल के इतिहास पर नजर डालें तो इसकी स्थापना करीब 39 साल पहले हुई थी. विश्व हिन्दू परिषद की वेबसाइट के अनुसार अक्टूबर 1984 में वीएचपी की ओर से श्रीराम जानकी रथ यात्रा निकाली गई थी. जब अयोध्या से ये यात्रा प्रस्थान कर रही थी तो यूपी की तत्कालीन सरकार ने यात्रा को सुरक्षा देने से मना कर दिया. तब यात्रा में मौजूद संतों ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस रथ यात्रा की जिम्मेदारी संभालें. संतों ने कहा कि जिस तरह से श्रीराम के कार्य के लिए हनुमान सदा उपस्थित रहते थे उसी तरह आज के युग में श्रीराम के कार्य के लिए बजरंगियों की टोली मौजूद रहे. इसी संकल्प के साथ 8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल की स्थापना हुई. विनय कटियार को बजरंग दल का संस्थापक माना जाता है.

 1984 में बजरंग दल की स्थापना के बाद विनय कटियार को इसके प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई. बाद में राम मंदिर आंदोलन में जुड़े लोगों की रक्षा करना इस संगठन का अहम काम हो गया. बजरंग दल का दावा है कि इस संगठन का जन्म किसी के विरोध में नही बल्कि हिन्दुओं को चुनौती देने वाले कथित असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिये हुआ है.  

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विचारधारा और एजेंडा

बजरंग दल प्रखर हिन्दूवादी संगठन है. इसका उद्देश्य हिन्दुत्व को घर घर पहुंचाना है. मुख्य रूप से कहें तो बजरंग दल गौ, गीता, गंगा और गायत्री की रक्षा के लिए काम करता है. इस संगठन का सूत्रवाक्य सेवा, संस्कृति और सुरक्षा है. बजरंग दल कई बार वैलेंटाइन के दौरान लड़के-लड़कियों की दोस्ती का विरोधकर चर्चा में आता रहता है. इसके अलावा गौतस्करी, घुसपैठ, जनसंख्या संतुलन के मुद्दे पर भी बजरंग दल अपनी राय देता रहता है.

संगठन और शाखाएं

बजरंग दल पिछले कुछ वर्षों में युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है. बजरंग दल का दावा है कि इस दल के वर्तमान में लगभग 27 लाख सदस्य हैं. बजरंग दल अपने अखाड़े भी चलाता है. बजरंग दल की माने तो देश भर में इसके लगभग 2,500 अखाड़े चल रहे हैं. 

बजरंग दल और विवाद

बजरंग दल स्थापना के बाद से आज तक इस संगठन पर एक ही बार राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगा है और ये प्रतिबंध 1992 में नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान लगा है. ये बात वर्ष 1992 की है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ने के बाद बजरंग दल पर इसमें शामिल होने का आरोप लगा था. लेकिन इसके एक साल बाद जब बजरंग दल पर एक भी आरोप साबित नहीं हुआ तो ये प्रतिबंध 1993 में हटा लिया था.

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गुरुग्राम में बजरंग दल के कार्यकर्ता (फोटो- पीटीआई)

बजरंग दल के सदस्यों पर कई बार वैलेंटाइन डे के मौके पर युवा लड़के लड़कियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगता रहा है. 14 फरवरी 2011 में उत्तर प्रदेश  के कानपुर में बजरंग दल पर ऐसा ही आरोप लगा. 

कर्नाटक में बजरंग दल 

कर्नाटक में बजरंग दल सबसे ज़्यादा खबरों में रहता है. और इसके दो बड़े कारण हैं. पहला कारण है, कर्नाटक में ईसाई मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव. राज्य में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव की वजह से राज्य में बजरंग दल भी अब काफी सक्रिय हो गया है. कर्नाटक में बजरंग दल के साढ़े चार हजार से ज्यादा अखाड़े हैं और 38 हज़ार से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं.

बजरंग दल का कहना है कि वो इस धर्म परिवर्तन के षडयंत्र के खिलाफ है. इस वजह से ईसाई मिशनरियों और बजरंग दल के बीच टकराव भी देखने को मिला है. कर्नाटक की कुल आबादी में लगभग 2 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म को मानते हैं. और ये वोटबैंक लगभग 12 लाख लोगों का है. इसलिए ये आंकड़ा अहम हो जाता है. 

कर्नाटक में बजरंग दल की सक्रियता का दूसरा बड़ी वजह है. धर्म परिवर्तन, लव जेहाद और स्कूल और कॉलेजों में हिजाब का विवाद. बजरंग दल इन तीनों के ही खिलाफ है. पिछले साल जब कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की मांग को लेकर आन्दोलन हुआ था तो इस दौरान बजरंग दल ने इसका खुलकर विरोध किया था. और इस दौरान कुछ कट्टरपंथियों ने बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की दिनदहाड़े चाकू मारकर हत्या कर दी थी. बजरंग दल के इस कार्यकर्ता का नाम हर्षा था। और इसकी उम्र सिर्फ 28 साल थी. 

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मुस्लिमों पर हमले

1 अप्रैल 2022 को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में कथित रूप से एक मुस्लिम मीट व्यापारी पर हमला करने के आरोप में बजरंग दल के 5 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. 

जनवरी 18 2022 को कर्नाटक के गडग जिले में एक 20 वर्षीय मुस्लिम युवक पर कुछ लोगों ने हमला किया था. इसमें बजरंग दल के सदस्य भी थे. इस हमले में इस शख्स की मौत हो गई थी. 

1 अप्रैल 2021 को बैंगलुरु में बजरंग दल के सदस्यों ने कथित रूप से एक हिन्दू लड़की के साथ सफर कर रहे एक मुस्लिम युवक पर हमला किया था. इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल के 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. 

ईसाइयों पर हमले

सितंबर 2008 में तटीय कर्नाटक में कई चर्चों पर हमले हुए. इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन सीएम बीएस येदियुरप्पा ने एक जांच कमेटी गठित की. 2009 में इस कमेटी की जांच रिपोर्ट में बजरंग दल की ओर इशारा किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि बजरंग दल के नेताओं ने मंगलौर क्षेत्र में चर्चों पर हमले की जिम्मेदारी ली थी. 

28 नवंबर 2021 को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बेलूर टाउन में ईसाइयों के प्रेयर मीटिंग को रोक दिया.  बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि यहां धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. 

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जून 1, 2018:  बेल्लारी पुलिस ने कथित तौर पर मवेशियों को अवैध रूप से ले जा रहे एक शख्स की संदिग्ध मौत के सिलसिले में बजरंग दल के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. 

मई 19, 2023: उडुपी जिले की पुलिस के अनुसार मूडुबेले में एक ईसाई प्रार्थना घर पर बजरंग दल के लोगों ने हमला किया था. इसमें 7 लोग घायल हो गए थे. बजरंग दल का आरोप है कि यहां धर्मांतरण की गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था.

कर्नाटक और बजरंगबली का कनेक्शन

उत्तरी कर्नाटक में हम्पी नाम का एक शहर और कस्बा है, जहां अंजनाद्रि नाम का पर्वत है और ऐसी मान्यता है किहनुमान का जन्म इसी पर्वत पर हुआ था. ये पर्वत जिस हम्पी नाम की जगह पर है, वो पहले किष्किंधा राज्य का हिस्सा था. किष्किंधा राज्य का उल्लेख रामायण में भी मिलता है. 


 

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