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बालासोर ट्रेन हादसा: 2 महीने बाद भी 29 शवों की पहचान नहीं, दावा करने वालों के डीएनए नहीं हुए मैच

29 जुलाई को भुवनेश्वर नगर निगम ने दो पीड़ितों झारखंड के दिनेश यादव (31) और बिहार के सुरेश रे (23) के शवों का अंतिम संस्कार किया, क्योंकि उनके परिवार के सदस्यों ने शव लेने से मना कर दिया था. झारखंड के दुमका क्षेत्र के हरदेव कुमार के रिश्तेदार कैलाश कुमार अपना डीएनए नमूना जमा करने के बाद अपने भाई के शव की पहचान का इंतजार कर रहे हैं.

बालासोर ट्रेन हादसे में 2 महीने बाद भी 29 शवों की पहचान नहीं बालासोर ट्रेन हादसे में 2 महीने बाद भी 29 शवों की पहचान नहीं
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

ओडिशा के बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन में दो महीने पहले तीन ट्रेनों की टक्कर में जान गंवाने वाले 295 लोगों में से 29 शवों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है. एक अधिकारी ने बताया कि इन शवों को एम्स भुवनेश्वर में पांच कंटेनरों में रखा गया है जबकि 266 श‍वों को उनके रिश्तेदारों को सौंपा जा चुका है.

भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के अधीक्षक दिलीप कुमार परिदा ने बताया कि दो जून को हुई दुर्घटना के बाद उन्हें अलग-अलग अस्पतालों और घटना स्थल से कुल 162 शव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 81 शवों को पहले फेज में उनके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया था. परिदा ने बताया कि बाकी बचे 81 शवों की शिनाख्त शुरू में नहीं हो सकी थी, क्योंकि इनके कई दावेदार थे और कुछ अन्य समस्याएं भी थीं.

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उन्होंने बताया कि डीएनए परीक्षण के नतीजों के आधार पर 52 और शवों को उनके परिवार को सौंप दिया गया और 29 शवों की शिनाख्त अभी तक नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि जिन शवों का डीएनए दावेदारों से मेल नहीं खाया उन्हें नियम के मुताबिक किसी को नहीं दिया जाएगा.

परिदा ने कहा, 'केंद्र और राज्य सरकारें और रेलवे तय करेंगे कि इन शवों के साथ क्या करना है. एम्स भुवनेश्वर की कोई भूमिका नहीं है. इसे सिर्फ शवों को संरक्षित करने के लिए सौंपा गया है.'

29 जुलाई को भुवनेश्वर नगर निगम ने दो पीड़ितों झारखंड के दिनेश यादव (31) और बिहार के सुरेश रे (23) के शवों का अंतिम संस्कार किया, क्योंकि उनके परिवार के सदस्यों ने शव लेने से मना कर दिया था.

झारखंड के दुमका क्षेत्र के हरदेव कुमार के रिश्तेदार कैलाश कुमार अपना डीएनए नमूना जमा करने के बाद अपने भाई के शव की पहचान का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन, अभी तक उन्हें कोई पुष्टि नहीं मिली है.

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कैलाश कुमार ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि डीएनए सैंपलिंग रिपोर्ट के आखिरी चरण में मेरे भाई के शव की पहचान हो जाएगी. मैं अंत तक इंतजार करूंगा.'


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