
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए ट्रेन हादसे में CBI ने चार्जशीट दाखिल की है. इसमें रेलवे के 3 अधिकारियों के नाम हैं. इसमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं. तीनों पर गैर इरादतन हत्या और सबूतों को गायब करने के आरोप है. तीनों आरोपियों को सीबीआई ने 7 जुलाई को गिरफ्तार किया था. बालासोर में हुए रेल हादसे में 296 लोग मारे गए और 1,200 से अधिक घायल हुए थे.
भुवनेश्वर में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर चार्जशीट में सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान पेश किए गए सबूतों के आधार पर IPC की धारा 304 पार्ट-II (गैर इरादतन हत्या), धारा 34 के साथ ही 201 ( एजेंसी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि आरोपी के खिलाफ सामान्य इरादे से अपराध के सबूतों को गायब करना) और रेलवे अधिनियम की धारा 153 (जानबूझकर किए गए कृत्य से रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालना) लगाई गई है.
आरोपी की सीधी निगरानी में किया गया काम
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में ये भी कहा कि बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन (जहां हादसा हुआ) के सिग्नल और दूरसंचार के रखरखाव की सीधी जिम्मेदारी आरोपी की थी. आरोप पत्र में ये भी कहा गया है कि बहनागा बाजार स्टेशन के पास लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर मरम्मत का काम और LC गेट नंबर 79 के सर्किट का उपयोग महंत की सीधी निगरानी में किया गया था.
चार्जशीट में क्या-क्या कहा गया?
चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि मौजूदा सिग्नल और इंटरलॉकिंग इंस्टॉलेशन का परीक्षण, ओवरहालिंग और बदलाव योजना और निर्देशों के अनुसार थे या नहीं. लेकिन आरोपियों ने ऐसा नहीं किया. केंद्रीय जांच एजेंसी ने ओडिशा पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली थी.
...तो टाला जा सकता था हादसा
रेलवे की हाई-लेवल जांच में हादसे की मुख्य वजह "गलत सिग्नलिंग" पाया गया था. सिग्नलिंग और दूरसंचार विभाग में "कई स्तरों पर चूक" को चिह्नित किया गया था, लेकिन संकेत दिया गया था कि अगर पिछले चेतावनी सिग्नलों की सूचना दी जाती तो त्रासदी को टाला जा सकता था. रेलवे सुरक्षा आयोग द्वारा रेलवे बोर्ड को सौंपी गई स्वतंत्र जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नलिंग में खामियों के बावजूद अगर 2 समानांतर पटरियों को जोड़ने वाले स्विचों का "बार-बार असामान्य व्यवहार" होता तो सिग्नलिंग और दूरसंचार कर्मचारियों द्वारा जरूरी कदम उठाए जा सकते थे. बहनागा बाजार के स्टेशन प्रबंधक द्वारा उन्हें सूचना भी दी गई थी.
गलत वायरिंग की ये थी वजह
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बहनागा बाजार स्टेशन पर लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर को रिप्लेस करने के लिए स्टेशन-स्पेसिफिक अप्रूव्ड सर्किट डायग्राम की आपूर्ति नहीं की गई, जो कि एक गलत कदम था जिसके कारण गलत वायरिंग हुई. इसमें कहा गया है कि फील्ड पर्यवेक्षकों की एक टीम ने वायरिंग डायग्राम को संशोधित किया और इसे दोहराने में विफल रही.
पुरानी घटनाओं का भी जिक्र
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 16 मई 2022 को दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के बांकरनयाबाज़ स्टेशन पर गलत वायरिंग और केबल की खराबी के कारण इसी तरह की घटना हुई थी.