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'रेल मंत्री को रेल सुरक्षा की नहीं, प्रधानमंत्री को खुश करने की चिंता', बालासोर हादसे को लेकर कांग्रेस का वार, मांगा इस्तीफा

बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने सरकार पर सवालों की बौछार की है और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा भी मांगा है.

ओडिशा के बालासोर में हुए हादसे को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा (फाइल फोटो) ओडिशा के बालासोर में हुए हादसे को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST

ओडिशा के बालासोर जिले के बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन पर हुए भीषण ट्रेन हादसे में 288 लोगों की जान चली गई थी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बालासोर में ही हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटनास्थल का दौरा किया था. इस हादसे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में एक डेलिगेशन को दुर्घटनास्थल पर भेजने की बात कही थी.

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पूर्व रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं का डेलिगेशन रविवार की सुबह दुर्घटनास्थल पर पहुंचा. अधीर और ए चेल्ला कुमार ने दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर हालात की जानकारी ली. कांग्रेस ने इस हादसे को लेकर अब आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर सरकार पर सवालों की बौछार की है तो वहीं राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल और पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर हमला बोला है.

शक्ति सिंह गोहिल और पवन खेड़ा ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की है. रणदीप सुरजेवाला ने बालासोर हादसे को देश के भीषण हादसों में से एक बताया. उन्होंने कहा कि ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में 288 लोगों की जान जा चुकी है, 56 लोग जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और 747 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. सुरजेवाला ने इस हादसे को लेकर ट्वीट कर नौ सवाल किए हैं. उन्होंने पूछा है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

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हमें भगवान से बस प्रार्थना करनी चाहिए या मांगना चाहिए जवाब?

सुरजेवाला ने तंज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसा कहा है, हमें भगवान से केवल प्रार्थना करनी चाहिए या सरकार से जवाब मांगना चाहिए? उन्होंने ये भी सवाल किया कि मौत के इन मामलों को महज आंकड़े ही होना चाहिए या इस भीषण हादसे के लिए कोई जिम्मेदार है? सुरजेवाला ने ये भी कहा कि मोदी सरकार और रेल मंत्री इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं. रेल मंत्री को बर्खास्त किया जाना चाहिए.

अधिकारियों की चेतावनी को अनदेखा क्यों किया गया?

कांग्रेस नेता ने शुरुआती खबरों के हवाले से ट्वीट करते हुए कहा कि सिग्नल सिस्टम को हादसे की वजह बताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि रेल मंत्री और रेल मंत्रालय ने सिग्नलिंग सिस्टम की विफलता को लेकर चेतावनी को अनदेखा किया. सुरजेवाला ने दक्षिण पश्चिम रेल जोन के चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर की ओर से 9 फरवरी को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा कि अधिकारियों ने मंत्रालय को इस संबंध में जानकारी देते हुए बड़े हादसे की चेतावनी दी थी. रेल मंत्री ने इस चेतावनी को अनदेखा क्यों किया?

रेल मंत्री को सुरक्षा की जगह प्रधानमंत्री को खुश करने की चिंता?

सुरजेवाला ने ये भी कहा है कि हाल के दिनों में कई मालगाड़ी पटरी से उतरीं जिसमें कई लोको पायलट की जान भी गई, वैगन नष्ट हुए. इनके बाद रेल सुरक्षा को लेकर पर्याप्त चेतावनी क्यों नहीं दी गई जिससे रेल मंत्री और रेल मंत्रालय जरूरी कदम उठाने के लिए मजबूर होते. उन्होंने ये भी सवाल किया कि क्या ये सही है कि रेल मंत्री को रेल सुरक्षा की बजाय प्रधानमंत्री को खुश करने और मार्केटिंग की अधिक चिंता है?

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उन्होंने कहा है कि क्या रेल मंत्री यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने की बजाय प्रधानमंत्री से वंदे भारत ट्रेन शुरू कराने, रेलवे स्टेशनों की तस्वीरें ट्वीट करने और राजस्व बढ़ाने में व्यस्त हैं? क्या यही कारण है कि रेल मंत्री ने 2 जून को ओडिशा ट्रेन हादसे से कुछ घंटे पहले रेल सुरक्षा को लेकर चिंतन शिविर छोड़ दिया और वंदे भारत के लॉन्च पर ध्यान केंद्रित किया?

क्या सुरक्षा में चूक मानव संसाधन की कमी के कारण नहीं

रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या रेल सुरक्षा में बढ़ती चूक जरूरी मानव संसाधन की उपलब्धता जैसे गैंग मैन, स्टेशन मास्टर, लोको पायलट आदि की कमी के कारण नहीं है? क्या ये सही नहीं है कि रेलवे ने खुद एक आरटीआई के जवाब में जानकारी दी है कि 39 जोन में मानव संसाधन की कमी है? क्या ये सही नहीं है कि रेलवे में ग्रुप सी के 3 ला 11 हजार, राजपत्रित संवर्ग के 3081 पद रिक्त हैं?

कवच सिस्टम हर जोन में लागू क्यों नहीं किया गया?

सुरजेवाला ने ये भी सवाल किया है कि क्या ये सही नहीं है कि पिछले साल 35 की तुलना में साल 2022-23 में 48 ट्रेन हादसे हुए? इनमें से 35 की वजह सिग्नल की खामी रही? हादसे रोकने के लिए कौन से कदम उठाए गए? उन्होंने ये भी सवाल किया कि कवच सिस्टम को हर जोन में लागू क्यों नहीं किया गया? रेल मंत्रालय ने रेल सुरक्षा आयोग के अधिकार में कटौती कर इसे क्यों बेमानी बना दिया है?

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उन्होंने साल 2021 की कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष का 20 फीसदी हिस्सा गैर सुरक्षा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया. क्या ये जानबूझकर की गई चूक नहीं है? सुरजेवाला ने ये भी सवाल किया है कि रेल मंत्री पर आईटी और टेलीकॉम जैसे बड़े मंत्रालयों का बोझ क्यों डाला गया है जिसके चलते उनके लिए रेल मंत्रालय का कामकाज दूसरे नंबर पर आ गया है और सुरक्षा खतरे में पड़ रही है?

मनोज झा ने पीएम मोदी पर किया तंज

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने पीएम मोदी पर तंज करते हुए कहा है कि आप ही थे न जो हावड़ा में एक ब्रिज गिरा और कह दिया कि यह एक्ट आफ फ्रॉड है. ऐसा तो किसी ने नहीं कहा कल से. प्रधानमंत्री जी थोड़ा तो आईना देखिए. उन्होंने कहा कि  साहब तेरे सुबह शाम की जय और ईश्वर की बड़ी कृपा है कि नरेंद्र मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं. 90% आबादी जिन ट्रैक पर चलती है, जिन ट्रेन में चलती है, वह आपके सरोकारों में शामिल नहीं है. 16 कोच के बदले 8 कोच के वंदे भारत की तस्वीरें आप जारी करते हैं.

आरजेडी सांसद ने कहा कि हर हफ्ते एक वंदे भारत लेकिन कहां गया रेलवे सुरक्षा का मामला? आज रेल मंत्री कह रहे हैं कि इंटरलॉकिंग की समस्या है तो यह समस्या कहां फिक्स होगी? इतनी मौतों की जिम्मेदारी कहां फिक्स होगी? आप किसी लोको पायलट को सस्पेंड कर देंगे, किसी स्टेशन मास्टर को डिसमिस कर देंगे. उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि दोषियों को चिह्नित करके कड़ी कार्रवाई करेंगे तो सबसे बड़ी दोषी आपकी सरकार है जो लगातार फंड एलोकेशन कम कर रही है. मनोज झा ने कहा कि हमने जब-जब रेलवे सेफ्टी पर सवाल पूछा आपने गोल-गोल जवाब दिया.

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उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी आपकी तरफ से फिक्स होनी है. आप अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कीजिए और देश के लोगों से माफी मांगिए. मनोज झा ने लालू के कार्यकाल से तुलना पर कहा कि ये बहुत छोटी सोच के लोग हैं. हम तो चुप रहे और 24 घंटे रिलीफ रेस्क्यू के लिए हाथ जोड़े की हर एक व्यक्ति को सुविधा मिले. लालू के समय रेलवे की स्थिति क्या थी, उन्होंने रेलवे को निजीकरण के पंजे में नहीं डाला और रेलवे का प्रॉफिट बढ़ाया. आज जो फ्रेट कॉरीडोर चल रहा है, वह कब शुरू हुआ था? सही ही कहा जाता है कि आप सूट-बूट वालों के लोग हैं.

 

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