
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से हिंसा का दौर खत्म नहीं हो रहा. वहां हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों पर लगातार हिंसा हो रही है. ऐसे में शिक्षाविदों और इतिहासकारों ने भारतीय संसद को खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में संसद से एक प्रस्ताव पारित करने की गुजारिश की गई है.
इस पत्र में कहा गया है कि संसद में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव को पारित किया जाना चाहिए. इस प्रस्ताव को पारित कर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले को रोकने और अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने की बात कही गई.
यह पत्र लिखने वालों में न्यूरोसर्जन डॉ. एके सिंह, लेखक अमीश त्रिपाठी, आनंद रंगनाथन, लेखक अश्विन सांघी, दुष्यंत श्रीधर, हिंडोल सेनगुप्ता, स्मिता बरुआ और सुमेधा वर्मा ओझा आदि शामिल हैं.
इन्होंने इस पत्र में बांग्लादेश में हिंदु समुदाय के साथ हो रही हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा कि हालिया घटनाओं से दुनियाभर का ध्यान इस क्षेत्र में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर गया है.
कई इलाकों में जलाए गए हिंदू मंदिर
पांच अगस्त की रात से ही बांग्लादेशी कट्टरपंथियों और उपद्रवियों ने देश के 58 राज्यों में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाने की कोशिश की. मेहरपुर से लेकर चिटगांव या शेरपुर से कई इलाके हैं जहां पर हिंदू मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया या तोड़फोड़ की गई.
भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर पर स्थित इलाके और जमात-ए-इस्लामी के गढ़ मेहरपुर में इस्कॉन मंदिर पर हमला किया गया और भगवद्गीता को जला दिया गया. इसके साथ ही मंदिर में रखा हारमोनियम तोड़ दिया गया. जानकारी के मुताबिक, भीड़ ने मंदिर के गर्भ गृह में लूटपाट और आगजनी भी की.