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बांग्लादेशी संत चिन्मय दास के वकील को कोलकाता के अस्पताल में कराया गया एडमिट, सीने में दर्द की शिकायत

बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास के वकील रबिन्द्र घोष अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वह चिन्मय दास के मामले की सुनवाई से पहले सीने में दर्द के कारण अस्पताल में एडमिट हुए. घोष बांग्लादेश में हिंदू समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे.

रबिन्द्र घोष कोलकाता के अस्पताल में कराए गए एडमिट (PTI) रबिन्द्र घोष कोलकाता के अस्पताल में कराए गए एडमिट (PTI)
राजेश साहा
  • नई दिल्ली,
  • 01 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

बांग्लादेश में गिरफ्तार हिन्दू संत चिन्मय कृष्णा दास के वकील रबिन्द्र घोष अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में एडमिट कराया गया है. उन्हें अचालक सीने में दर्द हुआ. वह बैरकपुर में अपने बेटे के घर पर थे. उन्हें देर रात अस्पताल में एडमिट कराया गया.

रबिन्द्र घोष ऐसे समय में अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं, जब बांग्लादेश के चित्तागोंग हाईकोर्ट में चिन्मय दास मामले की गुरुवार को सुनवाई होनी है. वह दिसंबर के दूसरे हफ्ते में भारत आए थे और तब से इलाज के लिए बैरकपुर में अपने बेटे के घर पर रह रहे थे. मंगलवार को टीएमसी नेता कुणाल घोष उनके आवास पर उनसे मिलने भी पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि उनकी मुलाकात के कुछ देर बाद सीने में तेज दर्द हुआ, और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.

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कौन हैं चिन्मय कृष्णा दास?

चिन्मय कृष्ण दास, बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, जिन्हें ढाका में हजरत शहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था. वह चत्तोग्राम में रैली के लिए जा रहे थे. उन्हें जमानत देने से कोर्ट ने इनकार कर दिया था, और 2 जनवरी तक हिरासत में भेज दिया था.

हिंदू समाज के हालात पर पीएम को लिखी थी चिट्ठी

रबिन्द्र घोष, गिरफ्तार संत चिन्मय दास के वकील हैं, और बांग्लादेश में हिंदू समाज के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे. मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया था कि अंतरिम सरकार आने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बांग्लादेश में हिंदू समाज की आवाज उठाने के लिए चिट्ठी लिखी थी. उनका कहना है, "बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को पिछली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार द्वारा लिए गए किसी भी नीतिगत फैसले को अस्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं है."

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वकील रबिन्द्र घोष का कहना है कि चूंकि वह चिन्मय दास प्रभु के वकील हैं, और उनका बचाव कर रहे हैं तो उनके खिलाफ झूठे आरोप भी लगाए जा सकते हैं, और उन्होंने अपनी जान का भी खतरा बताया था. बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार जाने और अंतरिम सरकार के गठन के बाद हिंदू समाज को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

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