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वित्त मंत्रालय ने रविवार को बैकों को सुझाव दिया कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किए जाने वाले किसी भी ट्रांजेक्शन या पेमेंट पर शुल्क न लिया जाए. कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का सहारा लिया है. इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट बढ़ने के साथ ही कुछ बैंकों ने ग्राहकों से इसका शुल्क वसूलना भी शुरू किया है. इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय ने बैंकों को यह सुझाव दिया है कि ऐसा न करें.
वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि अगर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या पेमेंट का शुल्क वसूला गया है तो इसे ग्राहकों को लौटा देना चाहिए. वित्त मंत्रालय के मुताबिक 1 जनवरी से या उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक मोड से जो भी ट्रांजेक्शन किए गए हैं, उन पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए. वित्त मंत्रालय ने इसके लिए आईटी एक्ट की धारा 269 एसयू का हवाला दिया है. मंत्रालय ने कहा है कि इस धारा के तहत भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक मोड से किए जाने वाले ट्रांजेक्शन पर कोई शुल्क नहीं वसूला जाना चाहिए.
बता दें, चार साल पहले 2016 में सरकार ने कालाधन पर रोक लगाने के लिए हजार और पांच सौ के नोटों को बंद कर दिया था. इस कदम के बाद लोगों में इलेक्ट्रॉनिक मोड से ट्रांजेक्शन करने का प्रचलन तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया. पुराने नोट बंद होने से डिजिटल पेमेंट में उछाल आया और लोगों ने नकदी का इस्तेमाल कुछ कम कर दिया.
कोरोना महामारी में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने में आ रहा है. नोट चूंकि कई हाथों से गुजरते हैं, इसलिए इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. लिहाजा लोगों ने डिजिटल पेमेंट को ज्यादा सुरक्षित माना है. ऐसे में बैंक अगर इस पर शुल्क वसूलते हैं तो लोग इलेक्ट्रॉनिक मोड अपनाने से कतरा सकते हैं. इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय का यह सुझाव काफी अहम है.
इस बारे में पिछले साल 30 दिसंबर को एक सर्कुलर भी जारी किया गया था. सर्कुलर में पीएसएस एक्ट की धारा 10ए के हवाले से कहा गया था कि 1 जनवरी 2020 को या उसके बाद किसी भी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन पर शुल्क नहीं लिया जाएगा. इसमें एमडीआर यानी कि मर्चेंट डिसकाउंट रेट भी शामिल है. हालांकि ऐसी शिकायतें मिली थीं कि सर्कुलर के बावजूद कुछ बैंक यूपीआई के तहत ट्रांजेक्शन पर शुल्क वसूल रहे हैं. इसमें कहा गया था कि कुछ ही इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट मुफ्त हैं और एक लिमिट के बाद शुल्क वसूली की जाएगी. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जो बैंक ऐसा करते पाएंगे, उनके खिलाफ कानूनी प्रावधान के तहत कार्रवाई हो सकती है.