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ओडिशा: भिखारी भी बनेंगे आत्मनिर्भर! झाड़ू-अगरबत्ती बनाने की दी जा रही ट्रेनिंग

भुवनेश्वर में काम करने वाला OPUS एनजीओ शहर भर से भिखारियों को लाकर दिव्यांग भिखारी पुनर्वास केंद्र में रखता है. इस केंद्र में अभी 26 महिलाओं समेत 92 भिखारी रह रहे हैं. इन भिखारियों को झाड़ू, अगरबत्ती, पूजा बत्ती, घर को सजाने के लिए पेंटिंग आदि बनाने का काम सिखाया जा रहा है. भिखारियों द्वारा बनाए सामान को नगर निगम द्वारा बाजार में बेचने की भी योजना है. इससे होने वाली कमाई को भिखारियों में बांटा जाएगा.

झाड़ू, अगरबत्ती बनाते भिखारी. (फोटो- आज तक) झाड़ू, अगरबत्ती बनाते भिखारी. (फोटो- आज तक)
मोहम्मद सूफ़ियान
  • भुवनेश्वर ,
  • 27 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST
  • ओडिशा के भुवनेश्वर में एनजीओ ने शुरू की पहल
  • भुवनेश्वर को भिखारी मुक्त बनाने का संकल्प

ओडिशा के भुवनेश्वर में भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की गई है. यहां ओडिशा पतिता उद्धार समिति (OPUS) नाम के एनजीओ ने शहर को भिखारी मुक्त बनाकर, इससे जुड़े लोगों को  सम्मानित जिंदगी देने का बीड़ा उठाया है. यह संस्था भिखारियों को घरेलू सामान बनाने की ट्रेनिंग दे रही है. 

भुवनेश्वर में काम करने वाला OPUS एनजीओ शहर भर से भिखारियों को लाकर दिव्यांग भिखारी पुनर्वास केंद्र में रखता है. इस केंद्र में अभी  26 महिलाओं समेत 92 भिखारी रह रहे हैं. इन भिखारियों को झाड़ू, अगरबत्ती, पूजा बत्ती, घर को सजाने के लिए पेंटिंग आदि बनाने का काम सिखाया जा रहा है.  भिखारियों द्वारा बनाए सामान को नगर निगम द्वारा बाजार में बेचने की भी योजना है. इससे होने वाली कमाई को भिखारियों में बांटा जाएगा. 

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भिखारी मुक्त होगा शहर
आजतक से बात करते हुए OPUS के एक सदस्य रितेश ने बताया कि दिव्यांग भिखारी पुनर्वास केंद्र को एकामरा निलय नाम दिया गया है. यह केंद्र भुवनेश्वर नगर निगम की मदद से संचालित किया जाता है. एनजीओ ने नगर निगम के सहयोग से शहर को भिखारी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. 

रितेश ने बताया कि भिखारियों को प्रशिक्षण देने के लिए शहर के पोखरीपुट में एक प्रशिक्षण केंद्र है. जहां सभी लोगों को उनके कार्य क्षमता के मुताबिक उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है. इन लोगों को केंद्र पर झाड़ू, अगरबत्ती, पूजा बत्ती, पेंटिंग और अन्य तरह का सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. 

हर रोज अगरबत्ती के 100 पैकेट हो रहे तैयार
उन्होंने बताया कि हर रोज अगरबत्ती के 100 पैकेट्स, 10-12 झाड़ू और बड़े पैमाने पर पूजा बत्ती का निर्माण हो रहा है. साथ ही मिट्टी के बर्तन और घर सजाने वाली पेंटिंग भी बनाई जा रही हैं. इन लोगों की मेहनत से तैयार सामान को अब बाजार में बेचने की योजना बनाई जा रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कदम भिखारियों की जीवन शैली में परिवर्तन आएगा. 

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