
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर विवाद छिड़ गया है. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. दोनों ने संयुक्त रूप से याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी है. वहीं, इस मामले में राज्य के गवर्नर भी एक्शन मोड में आ गए हैं. उन्होंने पूरी जानकारी के साथ राज्य चुनाव आयोग के कमिश्नर को तलब किया है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं. SEC ने चुनाव में नामांकन के लिए सिर्फ 7 दिन (9 जून से 15 जून तक) का समय दिया है. इतना ही नहीं, हाई कोर्ट ने गुरुवार को एसईसी को पंचायत चुनाव के लिए 48 घंटे के भीतर पूरे पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनात करने का निर्देश दिया था. इस आदेश का सरकार विरोध कर रही है. वहीं, विपक्ष ने केंद्रीय बलों की तैनाती का समर्थन किया है.
हालांकि हाई कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया, जिसमें चुनावों के पर्यवेक्षक के रूप में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त किए जाने की मांग की गई थी. दरअसल, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की तरफ से हाई कोर्ट में पत्र याचिकाएं दाखिल की गई थीं.
'राज्यपाल ने SEC को इमरजेंसी मीटिंग में बुलाया'
आयोग के सूत्रों के अनुसार, राज्य चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों और सरकार द्वारा शुक्रवार को कानूनी सलाहकारों के साथ बैठक की गई. उसके बाद निर्णय लिया गया. अब राज्य चुनाव आयोग और ममता सरकार ने सभी जिलों में केंद्रीय बलों की तैनाती पर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. वहीं, बंगाल के राज्यपाल ने पंचायत चुनाव हिंसा पर एक आपातकालीन बैठक के लिए राज्य चुनाव आयुक्त को राजभवन में बुलाया है. सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने चुनाव पूर्व हिंसा पर विस्तृत चर्चा के लिए एसईसी को बुलाया है.
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'BJP ने राज्यपाल को दी हिंसा की जानकारी'
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब बंगाल भाजपा अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे. बाद में मजूमदार ने एक बयान में कहा, मैं आज राज्यपाल से मिला. पिछले दिन मैंने बसंती का दौरा किया. राज्यपाल ने भांगोर का दौरा किया. उन्होंने सब कुछ देखा है. हिंसा कैसे हुई. मैंने राज्यपाल के साथ अपने अनुभव शेयर किए. एससी जाति के लोगों को टीएमसी के गुंडों ने घेर लिया है.
'सक्रिय और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे'
राज्यपाल ने कहा है कि वह हिंसा रोकने के लिए सामान्य कदम उठाएंगे. लोकतंत्र में हिंसा नहीं होनी चाहिए. टीएमसी के स्थानीय लोग सीधे तौर पर शामिल थे. मैं नाम नहीं लेना चाहता. उनके खिलाफ कदम उठाए जाएंगे. राज्यपाल ने खुद घटना स्थल का निरीक्षण किया है. उन्होंने कहा, हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे.
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'फिल्मों की तरह घटना के बाद आती है पुलिस'
उन्होंने हिंसा को रोकने के लिए कई कदम उठाने की बात कही है. अब उन्होंने एसईसी को तलब किया है. हमारा राज्य अब एसईसी के अधीन है. हाईकोर्ट से उन्हें करारा तमाचा लगा है. अब वे एससी जाएंगे. SC से भी उन्हें झटका लगेगा. फिल्म में हमने देखा है कि घटना खत्म होने के बाद पुलिस आती है. बंगाल में भी ऐसा हो रहा है. हमने देखा है कि टीएमसी के लोगों ने नामांकन फॉर्म फाड़े हैं. कई को रोका गया.
'हम लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे'
सुकांत ने कहा, टीएमसी ने इसकी योजना बनाई है. उन्होंने कई लोगों को नामांकन करने की अनुमति दी है और अब वे ऐसे हालात बनाएंगे, जहां लोग अब नामांकन वापस लेंगे. ये सब सुनियोजित है. SEC ने कुछ नहीं देखा? SEC, ममता बनर्जी का बंदर बन गया है. जैसे गांधीजी के पास बंदर है. हम लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे. बंगाल में बीजेपी ही विपक्षी पार्टी है. बाकी पार्टियों की कोई भूमिका नहीं है. एसईसी को नामांकन पर वीडियो फुटेज की निगरानी करनी चाहिए. जिला परिषद में हमने 97 फीसदी नामांकन दिया है. हिंसा के कारण लोग नामांकन करने से डर रहे हैं.
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